![]() |
निजी स्कूलों की मनमानी पर कलेक्टर का बड़ा एक्शन, 30 स्कूल जांच के घेरे में, भारी जुर्माने की तैयारी tayyari Aajtak24 News |
रीवा - जिले में निजी स्कूलों की फीस वृद्धि और पुस्तकों की मनमानी को लेकर अभिभावकों की शिकायतें आखिरकार असर दिखाने लगी हैं। कलेक्टर के निर्देश पर गठित तीन विशेष जांच टीमों ने जिले के 30 प्रमुख निजी स्कूलों का निरीक्षण कर जो रिपोर्ट सौंपी है, उससे शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट में बड़े स्तर पर अनियमितताएं सामने आई हैं, जिससे कलेक्टर ने गहरी नाराजगी जताई है और स्कूलों पर सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
एक साथ रिपोर्ट देने पर कलेक्टर नाराज
जांच टीमों द्वारा 30 स्कूलों की सामूहिक रिपोर्ट डीईओ कार्यालय के माध्यम से कलेक्टर को सौंपी गई, जबकि स्पष्ट निर्देश था कि प्रत्येक स्कूल की अलग-अलग जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इस लापरवाही पर कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को फटकार लगाई और निर्देश दिए कि सभी स्कूलों की अलग-अलग रिपोर्ट तीन दिन के भीतर पुनः तैयार कर प्रस्तुत की जाए। कलेक्टर का यह रुख यह दर्शाता है कि प्रशासन निजी स्कूलों की मनमानी के प्रति अब और अधिक सख्त रवैया अपनाने के मूड में है।
बिलाबांग स्कूल सबसे पहले कलेक्टर की रडार पर
रीवा का प्रतिष्ठित बिलाबांग इंटरनेशनल स्कूल जांच रिपोर्ट के बाद सबसे पहले सवालों के घेरे में आया है। रिपोर्ट के अनुसार इस स्कूल ने बीते सत्र की तुलना में 12.5 प्रतिशत तक फीस वृद्धि की है, जबकि नियम अनुसार 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के लिए राज्यस्तरीय समिति से अनुमति लेना अनिवार्य है। डीईओ कार्यालय द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में स्कूल प्रशासन ने खुद इस वृद्धि को स्वीकार किया है। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन फीडिंग में भी गड़बड़ी पाई गई, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।
किताबों में कमीशन का खेल
बिलाबांग ही नहीं, बालभारती स्कूल, ज्ञानस्थली, राजहंस, सेंट्रल अकेडमी, गुरुकुल चोरहटा और गीतांजलि स्कूल जैसे कई नामी स्कूल भी जांच के दायरे में आए हैं। इन स्कूलों पर पुस्तक विक्रेताओं से सांठगांठ कर हर साल किताबें बदलने और अभिभावकों को निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर करने का आरोप है। इस वर्ष कई स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबें लागू की हैं, जबकि पिछले वर्षों में ये स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें चलवाते रहे। यह बदलाव प्रशासन की नजरों में शक की दृष्टि से देखा जा रहा है, क्योंकि इसका सीधा संबंध कमीशन की सांठगांठ से जोड़ा जा रहा है।
अभिभावकों पर आर्थिक बोझ
जांच में यह भी पाया गया कि कई स्कूलों ने पुस्तकें तय करने में पारदर्शिता नहीं बरती और अभिभावकों पर महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाया। शिकायतों में कहा गया है कि स्कूलों ने जिस प्रकाशन की किताबें तय कीं, वे केवल कुछ खास दुकानों पर ही उपलब्ध थीं, जिससे पुस्तक विक्रेताओं और स्कूलों की मिलीभगत उजागर होती है। पिछले साल जिन किताबों पर हजारों रुपये खर्च कराए गए, उन्हें इस साल पूरी तरह बदल दिया गया, जिससे अभिभावकों का आर्थिक बोझ बढ़ गया।
जिला स्तर पर पुस्तक मेला भी बना विवाद का केंद्र
प्राइवेट स्कूलों के पुस्तक विक्रेताओं के साथ सांठगांठ का असर जिला स्तरीय पुस्तक मेले पर भी पड़ा। कई अभिभावक निराश होकर मेले से खाली हाथ लौटे क्योंकि वहां केवल कुछ स्कूलों की किताबें ही उपलब्ध थीं। यह स्थिति प्रशासन के लिए शर्मिंदगी का कारण बनी। अब माना जा रहा है कि कलेक्टर इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषी स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकते हैं।
संभावित कार्रवाई: 2 लाख रुपये तक का जुर्माना
सूत्रों के अनुसार, जांच में अनियमितता पाए गए स्कूलों पर दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। जिला शिक्षा विभाग ने इस पर प्रक्रिया शुरू कर दी है और नए सिरे से रिपोर्ट तैयार की जा रही है। कलेक्टर स्वयं इन रिपोर्टों की निगरानी कर रही हैं और हर स्कूल के खिलाफ तथ्यों के आधार पर कार्रवाई तय की जाएगी। यदि किसी स्कूल द्वारा नियमों की जानबूझकर अवहेलना पाई गई तो मान्यता रद्द करने जैसी कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।
शिक्षा के व्यावसायीकरण पर लगाम लगाने की तैयारी
रीवा कलेक्टर का यह कदम निजी स्कूलों के शिक्षा के नाम पर हो रहे व्यावसायीकरण पर अंकुश लगाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। अभिभावकों की वर्षों से चली आ रही शिकायतों पर अब प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। इससे एक ओर जहां स्कूल संचालकों में हड़कंप है, वहीं अभिभावकों में प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर उम्मीद जगी है।
जांच के प्रमुख बिंदु
-
फीस वृद्धि – पिछले और वर्तमान सत्र की फीस की तुलना कर बिना अनुमति के की गई वृद्धि की जांच।
-
पुस्तक चयन – किन प्रकाशकों की पुस्तकें निर्धारित की गईं और वर्ष दर वर्ष बदलाव की जांच।
-
पुस्तक मेला – सरकारी आयोजन में हुई अनियमितताओं की समीक्षा।
-
ऑनलाइन फीडिंग – स्कूलों द्वारा नियमों के पालन और जानकारी अपडेट करने की स्थिति की जांच।
कलेक्टर का संदेश स्पष्ट: अब बख्शा नहीं जाएगा
रीवा कलेक्टर का स्पष्ट संदेश है कि अब निजी स्कूलों की मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूटने वाले स्कूल संचालकों पर अब कड़ी निगरानी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जो स्कूल नियमानुसार कार्य नहीं करेंगे, उन पर आर्थिक दंड के साथ-साथ प्रशासनिक कार्रवाई भी तय है।