सोने की महत्ता, चुनौतियां और उपभोक्ता अधिकार, एक व्यापक विश्लेषण vishleshn Aajtak24 News

सोने की महत्ता, चुनौतियां और उपभोक्ता अधिकार, एक व्यापक विश्लेषण vishleshn Aajtak24 News 

सोना मानव इतिहास की सबसे प्राचीन और मूल्यवान धातुओं में से एक है। इसकी चमक, दुर्लभता, और स्थायित्व ने इसे न केवल एक व्यापारिक वस्तु, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक महत्व की धरोहर बना दिया है। भारत में सोने का महत्व इतना अधिक है कि यह हमारी परंपराओं और आर्थिक व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

भारत में सोने का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत में सोने का उपयोग हजारों साल पुराना है। सन् 1800 और 1900 के बीच सोने और अन्य धातुओं के मिश्रण से बने सिक्के चलन में थे। आज भी सोना, धार्मिक और सामाजिक समारोहों का मुख्य हिस्सा है।

धार्मिक महत्व: सनातन धर्म में सोना पवित्र माना जाता है। मृत्यु के समय गंगाजल, तुलसी के साथ सोना भी मुंह में डालने की परंपरा है। मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा और गुंबद निर्माण में भी सोने का उपयोग किया जाता है।

सामाजिक महत्व: विवाह समारोहों में सोने के आभूषणों की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है। मंगलसूत्र, पायल, कड़े, और अन्य आभूषण सामाजिक प्रतिष्ठा और परंपरा के प्रतीक हैं।

सोने की शुद्धता और उसके प्रकार

सोने की शुद्धता इसे विभिन्न वर्गों में विभाजित करती है:

  1. 24 कैरेट: 100% शुद्ध सोना, लेकिन यह नाजुक और आभूषण निर्माण के लिए अनुपयुक्त है।
  2. 23 कैरेट: 95% शुद्ध।
  3. 22 कैरेट: 92% शुद्ध, आभूषण निर्माण में सबसे प्रचलित।
  4. 18 कैरेट: 75% शुद्ध, फैशन ज्वेलरी और हल्के आभूषणों में प्रचलित।

शुद्ध सोना बेहद लचीला होता है। इसे मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए इसमें तांबा, चांदी, पैलेडियम, जस्ता, और निखिल जैसी धातुएं मिलाई जाती हैं। इससे सोने की रंगत और मजबूती बढ़ती है।

आधुनिक समय में सोने के व्यापार की समस्याएं

  1. मिलावट और धोखाधड़ी
    सोने की लचीलेपन को नियंत्रित करने के लिए पारंपरिक रूप से अन्य धातुओं का मिश्रण किया जाता है। लेकिन अब मिलावट का उद्देश्य वजन बढ़ाना और लागत कम करना हो गया है। कई बार आभूषणों में 18 कैरेट से भी कम शुद्धता का सोना इस्तेमाल होता है। ग्रामीण इलाकों में गैर-प्रमाणित सोने का व्यापार तेजी से बढ़ा है। उपभोक्ताओं को शुद्धता की गारंटी देने वाले प्रमाण पत्र और रसीदें नहीं दी जातीं।

  2. जीएसटी और लेबर चार्ज का दोहराव
    सोने की खरीद पर जीएसटी, लेबर चार्ज और अन्य शुल्क वसूले जाते हैं। समस्या तब और बढ़ जाती है जब उपभोक्ता पुराने आभूषण बदलवाते हैं और उन्हें फिर से इन शुल्कों का भुगतान करना पड़ता है।

  3. गरीब और मध्यम वर्ग की पहुंच से दूर
    सोने की बढ़ती कीमतों और अन्य शुल्कों ने गरीब वर्ग के लिए इसे खरीदना मुश्किल कर दिया है। सरकार की योजनाओं, जैसे लाडली लक्ष्मी योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना, ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। लेकिन शादी और धार्मिक आयोजनों के लिए शुद्ध सोने की खरीद अब भी चुनौती बनी हुई है।

  4. ग्रामीण इलाकों में बढ़ती धोखाधड़ी
    ग्रामीण इलाकों में सोने के आभूषण बेचने वाले व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं को गुमराह करने की घटनाएं आम हो गई हैं। रसीद और शुद्धता प्रमाण पत्र न देने से उपभोक्ता ठगा हुआ महसूस करते हैं।

उपभोक्ताओं के अधिकार और समाधान की जरूरत

  1. गुणवत्ता सुनिश्चित करने के नियम
    सभी आभूषणों के लिए हॉलमार्क प्रमाणन अनिवार्य किया जाए। उपभोक्ताओं को रसीद और शुद्धता प्रमाण पत्र दिया जाए। पुराने आभूषण बदलने पर जीएसटी और लेबर चार्ज की छूट दी जाए।

  2. सरकारी निगरानी
    सोने के व्यापारियों के लाइसेंस और गुणवत्ता की नियमित जांच। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाएं।

  3. सोने की खरीदारी में पारदर्शिता
    उपभोक्ताओं को उचित मूल्य, शुद्धता, और पारदर्शी सेवा प्रदान की जाए। ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

  4. सामाजिक सहयोग
    गरीब परिवारों को विवाह में शुद्ध सोने की खरीदारी में सहयोग के लिए विशेष सरकारी योजनाएं लागू की जाएं।

सोना न केवल एक धातु है, बल्कि यह भारतीय समाज का प्रतीक भी है। लेकिन इसके व्यापार में बढ़ती अनियमितताओं और धोखाधड़ी ने उपभोक्ताओं की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है। समय की मांग है कि सरकार और समाज मिलकर सोने के व्यापार को पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल बनाने के लिए कदम उठाएं।



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