शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में मनमानी, हितग्राही दो माह से खाद्यान्न से वंचित vanchit Aajtak24 News


विक्रेता की लापरवाही से ग्रामीण परेशान, अधिकारियों की चुप्पी पर उठे सवाल

रीवा - जिले के तहसील मनगवा के ग्राम पंचायत गढ़ में शासकीय उचित मूल्य की दुकान पर विक्रेता की मनमानी और लापरवाही के कारण ग्रामीण हितग्राही पिछले दो माह से खाद्यान्न से वंचित हैं। कई लोग मजबूर होकर अन्य ग्रामों की उचित मूल्य दुकानों से अपना हक पाने के लिए भटकने को विवश हैं। ग्राम गढ़ निवासी विनायक सिंह, पिता राजबली सिंह, ने बताया कि उन्हें उचित मूल्य की दुकान से प्रति माह 40 किलो खाद्यान्न मिलता था। यह सुविधा उन्हें विक्रेता भमरलाल सिंह की देखरेख में संचालित गढ़ स्थित उचित मूल्य की दुकान से प्राप्त होनी चाहिए। लेकिन भमरलाल सिंह दुकान पर कभी उपलब्ध नहीं रहते। विक्रेता की अनुपस्थिति में दुकान का संचालन उनके पुत्र राहुल सिंह और गांव के ही अन्य व्यक्ति कमलेश द्वारा किया जा रहा है। ये लोग हितग्राहियों से जबरन अंगूठा लगवाकर मनमानी तरीके से खाद्यान्न का वितरण करते हैं। शिकायत करने पर ग्रामीणों को धमकी दी जाती है और कहा जाता है, "जहां शिकायत करनी है, वहां कर दो।"

शिकायतों पर कार्रवाई का अभाव

विनायक सिंह ने इस समस्या को लेकर शासन की 181 हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। साथ ही खाद्य विभाग के संबंधित अधिकारियों को भी इस मामले की जानकारी दी। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में विनायक सिंह और अन्य हितग्राही पिछले पांच महीनों से अपने ग्राम की दुकान छोड़कर लौरी और पारसी गांव की उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।

नियमों का उल्लंघन, व्यवस्थाओं पर सवाल

सरकार के नियमों के अनुसार, उचित मूल्य की दुकानों का संचालन नियुक्त विक्रेता को ही करना चाहिए। लेकिन यहां गढ़ ग्राम की दुकान में नियमों की अनदेखी हो रही है। विक्रेता ने अपनी जिम्मेदारियां दूसरों को सौंप दी हैं। इससे न केवल वितरण प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि हितग्राहियों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है।

अधिकारियों की चुप्पी: अनदेखी या मिलीभगत?

यह स्थिति जिला प्रशासन और मनगवा तहसील के अधिकारियों की निष्ठा और ईमानदारी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। शासकीय योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये का खाद्यान्न जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए निशुल्क वितरण की व्यवस्था की गई है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस गड़बड़ी पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह सवाल उठता है कि यह चुप्पी उनकी उदासीनता है या विक्रेता की मनमानी में उनकी मिलीभगत।

हितग्राहियों की मांग: तत्काल समाधान हो

ग्रामीण हितग्राहियों ने शासन और प्रशासन से मांग की है कि गढ़ स्थित उचित मूल्य की दुकान की अनियमितताओं की जांच की जाए। विक्रेता भमरलाल सिंह को हटाकर एक ईमानदार और जिम्मेदार व्यक्ति को दुकान का संचालन सौंपा जाए।

सरकार के लिए चुनौती

यह मामला स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार की योजनाओं का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और जवाबदेही बढ़ाने की आवश्यकता है। इस तरह की घटनाएं सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की साख पर सवाल खड़ा करती हैं। ग्रामीणों की समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो यह मामला शासन की अनदेखी का प्रतीक बन सकता है। हितग्राही उम्मीद कर रहे हैं कि उनके अधिकारों को बहाल किया जाएगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।




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