किसानों के संघर्ष के आगे झुका प्रशासन, लिखित आश्वासन के बाद खत्म हुआ चक्का जाम jam Aajtak24 News

किसानों के संघर्ष के आगे झुका प्रशासन, लिखित आश्वासन के बाद खत्म हुआ चक्का जाम jam Aajtak24 News

रीवा - मध्य प्रदेश के रीवा जिले के तहसील सिरमौर में धान खरीदी केंद्रों की मांग को लेकर चल रहे विवाद ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया, जब देवास चौराहे पर किसानों और जनप्रतिनिधियों ने सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक चक्का जाम कर दिया। यह आंदोलन जनपद सदस्य अखिलेश पटेल के नेतृत्व में हुआ, जिसमें क्षेत्र के सरपंचों, किसानों और जनप्रतिनिधियों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया।

किसानों की धान खरीदी केंद्र की मांग

देवास और इसके आसपास के गांवों के किसान लंबे समय से अपनी फसल बेचने के लिए खरीदी केंद्र की मांग कर रहे थे। खरीदी केंद्रों की कमी के कारण किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए दूर-दराज के स्थानों पर जाना पड़ता था, जिससे समय की बर्बादी और अतिरिक्त परिवहन लागत का सामना करना पड़ रहा था। इस समस्या को लेकर प्रशासन से कई बार अपील की गई, लेकिन समाधान नहीं निकला, जिसके बाद किसानों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर चक्का जाम करने का निर्णय लिया।

आंदोलन में भारी संख्या में किसान और जनप्रतिनिधि शामिल

गुरुवार सुबह से ही देवास चौराहे पर किसानों और जनप्रतिनिधियों की भारी संख्या जुटने लगी। जनपद सदस्य अखिलेश पटेल, सरपंच देवास और खरहरी, और अन्य प्रमुख किसान नेताओं ने धरने का नेतृत्व किया। किसानों के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश प्रवक्ता विश्वनाथ पटेल चोटीवाला भी धरने स्थल पर पहुंचे। इस शांतिपूर्ण आंदोलन ने हालांकि यातायात को पूरी तरह से बाधित कर दिया, जिससे प्रशासन को स्थिति को गंभीरता से लेने के लिए मजबूर किया।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और समाधान

प्रशासन की तरफ से सिरमौर तहसीलदार अरुण यादव और जनपद अध्यक्ष गंगेव विकास तिवारी मौके पर पहुंचे और किसानों से बातचीत की। प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया कि अगले दो दिनों के भीतर देवास में धान खरीदी केंद्र B.O.T केंद्र कपूरी की स्थापना की जाएगी। लिखित आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन समाप्त हो गया और देवास चौराहे पर यातायात फिर से बहाल हो गया।

किसानों की चेतावनी और भविष्य की रणनीति

आंदोलन समाप्त होते समय किसान नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि समयसीमा के भीतर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे फिर से बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। किसानों ने यह स्पष्ट किया कि उनकी फसलें उनकी आजीविका का आधार हैं, और प्रशासन को उनकी समस्याओं को प्राथमिकता देनी चाहिए।

आंदोलन का क्षेत्रीय राजनीति पर असर

इस आंदोलन ने न केवल प्रशासन को झकझोर दिया, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी हलचल मचा दी। जनप्रतिनिधियों ने किसानों के साथ खड़े होकर यह साबित कर दिया कि वे अपने क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। यह आंदोलन किसानों और जनप्रतिनिधियों की एकजुटता और संघर्षशीलता का प्रतीक बन गया है। इस घटना के बाद किसानों ने अपनी आवाज को मजबूती से दर्ज करवा दिया है, और प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी है कि किसानों की मांगों को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं।



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