धान खरीदी केंद्रों में अनियमितता से त्रस्त किसान, बार-बार खरीदी केंद्र के बदलाव से आक्रोश बढ़ा bada Aajtak 24 News

रीवा जिले के मनगवा क्षेत्र में धान खरीदी केंद्रों की बार-बार अदला-बदली से किसान परेशान

रीवा जिले के मनगवा विधानसभा क्षेत्र में धान खरीदी केंद्रों के बार-बार स्थानांतरण ने किसानों को गहरे संकट में डाल दिया है। प्रशासनिक असमंजस, राजनीतिक हस्तक्षेप और जनप्रतिनिधियों के आपसी मतभेदों के कारण यह समस्या और भी जटिल हो गई है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि किसान अपनी शिकायतों को लेकर सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। किसानों की परेशानी का मुख्य कारण धान खरीदी केंद्रों का बार-बार बदलना है। क्षेत्र की दो प्रमुख समितियां—सेवा सहकारी मर्यादित समिति हिनौती और देवास—इसके उदाहरण हैं, जहां हाल ही में बार-बार केंद्र बदले गए हैं।

हिनौती केंद्र क्रमांक 2

  1. 20 नवंबर 2024: सी पी वेयरहाउस ककर को खरीदी केंद्र घोषित किया गया।
  2. 5 दिसंबर 2024: माल्टी वेयरहाउस भटवा में स्थानांतरित कर दिया गया।
  3. 10 दिसंबर 2024: पुनः सी पी वेयरहाउस को खरीदी केंद्र बनाया गया।
  4. 11 दिसंबर 2024: किसानों ने कलवारी लालगांव मार्ग को सुबह 12 बजे से शाम 4 बजे तक अवरुद्ध कर दिया, जिसके बाद माल्टी वेयरहाउस में पुनः खरीदी शुरू हुई।

देवास केंद्र क्रमांक 2

  1. 20 नवंबर 2024: B.O.T वेयरहाउस कपूरी को खरीदी केंद्र बनाया गया।
  2. 22 नवंबर 2024: श्री एंटरप्राइज शौर्य को केंद्र घोषित किया गया।
  3. 5 दिसंबर 2024: इसे पुनः B.O.T कपूरी में स्थानांतरित कर दिया गया।
  4. 6 दिसंबर 2024: शौर्य में नया केंद्र स्थापित किया गया, जिसका उद्घाटन विधायक नरेंद्र प्रजापत ने किया।

इस प्रकार की अस्थिरता ने किसानों को पूरी तरह असमंजस में डाल दिया है।

किसानों का प्रदर्शन

बार-बार हो रहे केंद्रों के बदलाव से नाराज किसानों ने मंगलवार को भटवा-लालगांव मार्ग पर जाम लगाकर प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। किसानों का कहना था, "हम 8 दिनों से परेशान हैं। प्रशासन की उठापटक के चलते हमें नहीं पता कि अपना धान कहां बेचें। आदेशों का सिलसिला जारी है, लेकिन खरीदी स्थायी नहीं हो रही।"

घटनास्थल पर पहुंचे सिरमौर तहसील के नायब तहसीलदार ने किसानों को समझाने का प्रयास किया और मौखिक आदेश देकर भटवा माल्टी वेयरहाउस में पुनः खरीदी प्रक्रिया शुरू कराई। हालांकि, किसानों का आक्रोश इस बात को लेकर है कि यह केवल अस्थायी समाधान है और समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती है।

राजनीतिक और प्रशासनिक असफलता के आरोप

किसानों ने खरीदी केंद्रों में हो रहे बार-बार बदलाव के लिए सीधे तौर पर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि:

  1. राजनीतिक हस्तक्षेप: खरीदी केंद्रों का निर्धारण जनप्रतिनिधियों के निजी स्वार्थों के अनुसार किया जा रहा है।
  2. प्रशासन की निष्क्रियता: प्रशासन ने बार-बार आदेश बदलने के बावजूद स्थायी समाधान की ओर ध्यान नहीं दिया।
  3. कर्मचारियों की भूमिका: स्थानीय कर्मचारी जनप्रतिनिधियों के दबाव में काम कर रहे हैं और निष्पक्षता नहीं दिखा पा रहे।

किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों ने स्पष्ट रूप से अपनी मांगें रखी हैं:

  1. स्थायी व्यवस्था: खरीदी केंद्रों का निर्धारण स्थिरता के साथ किया जाए और बार-बार बदलाव न हो।
  2. पारदर्शी प्रक्रिया: केंद्र बदलने के निर्णय में किसानों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की सहमति ली जाए।
  3. किसानों को प्राथमिकता: खरीदी प्रक्रिया किसानों की सहूलियत के अनुसार होनी चाहिए, न कि राजनीतिक प्रभाव के आधार पर।
  4. सूचना का समय पर संप्रेषण: किसी भी बदलाव की सूचना किसानों को समय पर दी जाए ताकि वे अपनी योजना बना सकें।
  5. आर्थिक नुकसान की भरपाई: प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि किसानों को किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान न हो।

जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर सवाल

मनगवा विधानसभा क्षेत्र के विधायक नरेंद्र प्रजापत के नेतृत्व में सरई में नया खरीदी केंद्र स्थापित करने के बावजूद किसानों की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। किसानों का आरोप है कि विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि केवल अपने प्रभाव क्षेत्र में केंद्रों का निर्धारण कर रहे हैं, जिससे अराजकता की स्थिति बन गई है।

प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। आदेशों की बार-बार अदला-बदली और जनप्रतिनिधियों के दबाव में काम करने की प्रवृत्ति ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

क्या करेंगे सरकार और प्रशासन?

धान उत्पादन करने वाले किसान जो देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, इस समय सबसे बड़ी परेशानी झेल रहे हैं। यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वास के कारण जनता ने उन्हें वोट दिया है, इसलिए इस दिशा में तुरंत हस्तक्षेप करना होगा। किसानों का कहना है कि यदि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

अन्नदाता का भविष्य और सरकार की प्राथमिकता

धान खरीदी केंद्रों में अस्थिरता ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार और प्रशासन किसानों को लेकर गंभीर हैं? यदि स्थिति को जल्द हल नहीं किया गया, तो इसका प्रभाव न केवल किसानों की आजीविका पर पड़ेगा, बल्कि राजनीतिक परिदृश्य पर भी दिखाई देगा। किसान अन्नदाता हैं, लेकिन उनकी उपेक्षा किसी भी सूरत में उचित नहीं। अब यह देखना बाकी है कि सरकार और प्रशासन उनके हित में कब और क्या ठोस कदम उठाते हैं।



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