रायगढ़ - कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के निर्देशन में एडीएम सुश्री संतन देवी जांगड़े ने अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनिटरिंग समिति की बैठक का आयोजन कलेक्टोरेट सभाकक्ष में किया। बैठक में अधिनियम के तहत दर्ज विभिन्न मामलों की विस्तृत समीक्षा की गई और पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए।
बैठक के दौरान एडीएम सुश्री जांगड़े ने अनुसूचित जाति, जनजाति मामलों के लंबित प्रकरणों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पुलिस विभाग से अधिनियम के अंतर्गत दर्ज प्रकरण, चालान, पेशी, खात्मा, और खारिज मामलों की जानकारी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन में लंबित मामलों की भी समीक्षा की गई, जिसमें विशेष रूप से अनुरक्षण अनुदान और राहत पुनर्वास सहायता का मूल्यांकन किया गया। एडीएम ने निर्देश दिए कि सभी मामलों में न्यायालय में प्रभावी अभियोजन की व्यवस्था की जाए और पीड़ितों को यात्रा भत्ता व अन्य सहायता समय पर मुहैया कराई जाए।
बैठक में बताया गया कि अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्य के खिलाफ उत्पीड़न, अपमान, भूमि कब्जा, बंधुआ मजदूरी, बेगार करवाने, महिलाओं का अनादर, बल प्रयोग आदि जैसे मामलों में 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। साथ ही, किसी भी गैर-सदस्य लोकसेवक द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा करने पर 6 माह की सजा का प्रावधान है। राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत आकस्मिकता योजना नियम 1995 लागू किए गए हैं, जिनका उद्देश्य जरूरतमंद अनुसूचित जाति-जनजाति के परिवारों को त्वरित राहत पहुंचाना है।
बैठक में सहायक संचालक आदिम जाति विकास कल्याण सुश्री आकांक्षा पटेल, डॉ. पवन जायसवाल, श्री सनत नायक, उप संचालक लोक अभियोजन श्री वेद प्रकाश पटेल, विशेष लोक अभियोजक (एट्रोसिटी) श्री राजीव बेरीवाल, डीपीओ महिला एवं बाल विकास श्री एल.आर. कच्छप, योजना एवं सांख्यिकी अधिकारी श्री सिलवेस्टर कुजूर, तथा श्री छेदूराम राठिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
इस बैठक के माध्यम से जिला प्रशासन ने अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिससे उनके अधिकारों का संरक्षण हो सके और समाज में उनके प्रति सम्मान व सुरक्षा की भावना बढ़ सके।