नगर निगम के राजस्व विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से परेशान लोग |
इंदौर - शहर के ईमानदार करदाताओं ने अपनी जिम्मेदारी पूर्ण करते हुए लाखों रुपए संपत्ति कर निगम को जमा कर दिया। इसके बाद भी नगर निगम के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने लाखों रुपए बकाया के बिल दोबारा उन्हें करदाताओं को थमा दिए हैं। लाखों रुपए बकाया के यह बिल देखा लोग सदमे में आ गए हैं। लाखों रुपए का बिल देखे ही लोग नगर निगम मुख्यालय और झोनल कार्यालय पहुंचे और उन्होंने वहां के अधिकारियों से पूर्व में ही संपत्ति कर जमा कर देने की बात कही। हालांकि लापरवाह नगर निगम अधिकारियों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया और कहा कि यदि संपत्ति कर जमा किया है तो उसकी रसीद पेश करें। हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। जानकारी अनुसार नगर निगम के झोन क्रमांक 2, 3, 16 और अन्य कई क्षेत्र में लोगों को संपत्ति कर बकाया के बिल थमाए गए हैं। इसे राजस्व वसूली में ऊपरी अधिकारियों का प्रेशर कहे या निगम कर्मचारियों की गंभीर लापरवाही कि जिन करदाताओं ने समय से पूर्व ही अपना संपत्ति कर नगर निगम के खाते में जमा कर दिया उन्हें ही दोबारा बकाया होने का बिल थमा दिया है। यह बकाया धनराशि भी थोड़ी बहुत न होकर लाखों रुपए में है। लाखों रुपए बकाया का बिल देखा कई लोग तो सदमे में आ गए। कई लोगों ने तुरंत बिल देखे ही नगर निगम के झोनल कार्यालय की ओर दौड़ लगाई और वहां मौजूद निगम अधिकारियों को कहा कि उन्होंने तो अग्रिम भुगतान कर दिया है। इसके बाद भी निगम ने उन्हें बकाया का बिल थमा दिया। तब निगम कर्मचारियों ने कहा कि हमारे पास रिकॉर्ड नहीं है। आपने यदि बिल भुगतान किया है तो उसकी रसीद पेश करें।
लापरवाही निगम अधिकारियों की, भुगतना होगी जनता को
जानकारी अनुसार रिकॉर्ड अपडेट रखना नगर निगम अधिकारी और कर्मचारियों की जिम्मेदारी है, लेकिन उन्होंने इसे नहीं निभाया। अब इस लापरवाही का खामियाजा शहर की जनता को भुगतना होगा। बहुत से ऐसे कर देता है होंगे जो किसी कारणवश अदा किए गए टैक्स की रसीद निगम अधिकारियों को पेश नहीं कर पाएंगे। ऐसे में जिन लोगों ने ईमानदारी से और समय से पूर्व अपना संपत्ति कर जमा कर दिया है उन्हें दोबारा उतनी ही राशि फिर निगम को भुगतान करना होगी। यह भी सामने आया है कि कुछ महीनों पूर्व नगर निगम का ई पोर्टल हैक कर लिया गया था जिससे बहुत सारा डाटा रिकवर नहीं हो पाया था। हालांकि कई महीनों पूर्व ही निगम अधिकारी यह स्वीकार कर चुके हैं कि पुराने पोर्टल का सारा डाटा रिकवर कर लिया गया है। यदि यह सही है तो इसके बाद भी लाखों रुपए बकाया का बिल उन्हीं करदाताओं को थमाया जाना जिन्होंने पूर्व में भुगतान कर दिया है, कहां तक उचित है।
अपर आयुक्त ने काट दिया फोन
मामले में जानकारी के लिए नगर निगम के अपर आयुक्त नरेंद्र नाथ पांडे से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क करना चाहा, लेकिन उन्होंने फोन काट दिया।