समाजसेवी एम.एस. मेवाड़ा ने जंगल का निरीक्षण कर किये खाकर देव के दर्शन darsan Aajtak24 News |
सीहोर - यूं तो पूरे भारत में एक से बढक़र एक विचित्र स्थान मौजूद है। जिनके विषय में बहुत कम लोग जानते हैं आज हम आपको ऐसे ही एक विचित्र जंगल के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जिसकी विशेषताएं जानकर आप आश्चर्य चकित हो जाएंगे। जी हां यह जंगल मौजूद है मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से 60 किलोमीटर दूर ग्राम खाकर देव में,जो लगभग 500 एकड़ के भू भाग में फैला हुआ है। सीहोर जिला मुख्यालय से 60 किलों मीटर दूर ग्राम खक्रिया देव के निकट मौजूद इस जंगल में हजारों की संख्या में पेड़ दिखाई देते हैं। जंगल में पेड़ होना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य का विषय यहां है कि इस जंगल में केवल और केवल आपको खाखरे के वृक्ष ही चारों ओर दिखाई देंगे। वैसे इस जंगल के आसपास करीब 5 गांव की सीमाएं लगी हुई है इस जंगल में लगभग 500 से अधिक गोमाता रोजाना विचरण कर अपना पेट भरती है। इस जंगल की एक और बड़ी विशेषता यह है कि यहां से आज तक कोई भी व्यक्ति लकड़ी चुराकर या पेड़ काटकर नहीं ले जा पाया है। इस जंगल की रक्षा स्वयं खाकर देव करते हैं यहां उनका एक अति प्राचीन मंदिर रूपी खाकर देवस्थान भी मौजूद है। सैकड़ो ग्रामीणों की मांगों पर सरकार ने भी यह पूरा जंगल गौमाता के विचरण के लिए ही स्थाई कर दिया गया। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा ग्रामीणजन घर घर करते हैं। लेकिन ग्राम खोखरिया देवा के सभी ग्रामीण मिलकर गांव के चौक में एक बड़े से गोवर्धन बनाकर एक साथ सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा करते हैं। जिसे देखने के लिए आसपास के भी सैकड़ो ग्रामीण यहां आते हैं। इस मामले की जानकारी ग्रामीण किसानों ने ग्राम चंदेरी के समाजसेवी किसान एम एस मेवाड़ा को अपने गांव बुलाकर उक्त स्थल का निरीक्षण करवाया एवं गर्मी में होने वाली पानी की समस्या के बारे में अवगत कराया और अन्य लोग रामविलास, लाखन सिंह, मोतीलाल मेवाड़ा, दीपक विश्वकर्मा के साथ इस जंगल में पहंचे और इसकी पूरी विशेषताओं के बारे में जानकारी एकत्रित की। इस जंगल में अनेक जीव जन्तु पशु पक्षी भी आपको दिखाई देंगे, जो जंगल की सुंदरता को और अधिक बढ़ा देते हैं। निश्चित तौर पर आपको यह सब जानकर आश्चर्य होगा कि एक ओर जहां लगातार मध्य प्रदेश से जंगलों की कटाई हो रही है पेड़ों की कटाई हो रही है वृक्षों की संख्या लगातार घट रही है। ऐसे में यह गांव मध्य प्रदेश का एक आदर्श गांव है और यह जंगल मध्य प्रदेश का एक आदर्श जंगल स्थापित हो चुका है। यहां ऐसा संभव इसलिए हो पाया क्योंकि यहां के ग्रामीणों ने सामूहिक रुप से प्रयास किया और उनकी मदद स्वयं खाकर देव करते हैं। इसके पीछे इनका उद्देश्य गौमाता का संरक्षण व रक्षा करना एवं गौसेवा को बढ़ावा देना है। गौ माता की रक्षा एवं दूध डेरी को बढ़ावा देने हेतु सरकार भी पहल कर रही है।