किसानों की मेहनत पर मिलावटखोरी का डाका, खाद-बीज में मिलावट से परेशान अन्नदाता annadata Aajtak24 News


किसानों की मेहनत पर मिलावटखोरी का डाका, खाद-बीज में मिलावट से परेशान अन्नदाता annadata Aajtak24 News

रीवा - जिले में किसानों के खून-पसीने से अर्जित मेहनत की कमाई अब मिलावटखोरों के गैंग द्वारा लूटी जा रही है। यह मामला उस खेती का है, जो भीषण ठंड, गर्मी और बरसात के मौसम में किसान अपनी जान झोंककर धरती से अन्न उगाता है, जो देश के हर अमीर-गरीब की भूख को मिटाता है। लेकिन अब किसानों को अपनी मेहनत का सही मूल्य न मिलकर मिलावटी खाद और बीज के इस्तेमाल के लिए मजबूर किया जा रहा है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि खाद-बीज में मिलावट खोरी की शिकायतें अब आम हो चुकी हैं। गांव-गांव में मिलावटी डीएपी खाद की बिक्री हो रही है, और कुछ किसान तो मजबूरी में तो कुछ नासमझी में इस गोरखधंधे का हिस्सा बन रहे हैं। इस बीच, मुनाफाखोरों के जेब भरने का खेल भी जारी है। वहीं, जिम्मेदार विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं और उनकी लापरवाही के कारण यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि खाद और बीज में मिलावट की वजह से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है, और उनकी उत्पादन क्षमता भी प्रभावित हो रही है। भारतीय जन उर्वरक परियोजना कंपनी की खाद, जो मानक के अनुसार 50 किलो 200 ग्राम होनी चाहिए, उसे 51 किलो 800 ग्राम के रूप में बेचा जा रहा है। यह अतिरिक्त वजन मिलावट और धोखाधड़ी का संकेत है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।

गांवों में सक्रिय अवैध कंपनियां

ग्रामीण क्षेत्रों में कई अवैध कंपनियां काम कर रही हैं, जबकि सरकारी तौर पर इनका कोई अस्तित्व नहीं है। ये कंपनियां किसानों को ठगने का काम कर रही हैं और उन्हें नकली खाद-बीज बेच रही हैं। अक्टूबर 2024 से लेकर अब तक मिलावटखोरी के मामले तेजी से बढ़े हैं, और रीवा व मऊगंज जिलों के अधिकांश तहसील क्षेत्रों से इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। इसके बावजूद प्रशासन और विभागीय अधिकारी कोई ठोस कदम उठाने में विफल रहे हैं।

किसान संगठनों की बढ़ती चिंता

किसान संगठनों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा है कि यदि जल्द इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो वे मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपनी बात पहुंचाएंगे। इन संगठनों ने सवाल उठाया है कि अब तक कितने गोदामों और दुकानों पर छापेमारी की गई है? यदि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाय अपनी जेबें भरने में व्यस्त हैं, तो किसानों की मेहनत पर लगातार चोट लगती रहेगी।

प्रदेश सरकार से मांगी गई कार्रवाई

किसान और उनके संगठन अब प्रदेश सरकार से निम्नलिखित कदम उठाने की मांग कर रहे हैं:

  1. विशेष जांच दल (SIT) का गठन: जिला कलेक्टर की अगुवाई में एक विशेष जांच दल गठित किया जाए, जो खाद-बीज में मिलावटखोरी की गहन जांच करे।

  2. अवैध कंपनियों पर सख्त कार्रवाई: सभी अवैध कंपनियों को तत्काल बंद किया जाए, जो किसानों को लूट रही हैं और उनकी मेहनत पर डाका डाल रही हैं।

  3. शिकायत प्रणाली का निर्माण: किसानों की शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए, ताकि वे तुरंत अपनी समस्याएं प्रशासन तक पहुंचा सकें।

  4. किसानों की जागरूकता: किसानों को सही खाद और बीज की पहचान के लिए जागरूक किया जाए, ताकि वे मिलावटी उत्पादों से बच सकें।

अन्नदाता के अधिकारों की रक्षा जरूरी

किसान और उनके संगठन इस बात से चिंतित हैं कि यदि प्रशासन और सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में खेती पर बुरा असर पड़ेगा। इसका न केवल किसानों पर, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। मिलावटखोरी की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है और इसे हल करने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

सख्त संदेश की जरूरत

यह वक्त है जब सरकार और प्रशासन मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और मिलावटखोरी की जड़ तक पहुंचा जाए। अन्नदाता की मेहनत को बचाने के लिए सभी जिम्मेदारों को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा।

जनहित में यह लेख किसानों की पीड़ा और उनके अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। आम जनता किसी भी प्रकार की कालाबाजारी, मिलावटखोरी या रिश्वतखोरी की जानकारी हमारे मोबाइल नंबर 9826818689 पर व्हाट्सएप के माध्यम से भेज सकती है। आपके पास लगाए गए आरोपों का सक्षम प्रमाण होना चाहिए, हम आपकी खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे।


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