सुकमा में मछली पालन के लिए नई संभावनाएं: कृषि विज्ञान केन्द्र का मार्गदर्शन New possibilities for fish farming in Sukma: Guidance from Krishi Vigyan Kendra

सुकमा में मछली पालन के लिए नई संभावनाएं: कृषि विज्ञान केन्द्र का मार्गदर्शन New possibilities for fish farming in Sukma: Guidance from Krishi Vigyan Kendra


 सुकमा - सुकमा, जो कि एक नवोदित जिला है, यहां हर गांव में छोटे-बड़े तालाब और डबरी देखने को मिलते हैं। हाल ही में, कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्यक्रम सहायक डॉ. संजय सिंह राठौर ने तालाबों में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है।

निवासी श्री जगन्नाथ ने अपने तालाब में मछलियों की तेजी से बढ़त के उपायों की जानकारी के लिए संपर्क किया, जिसके पश्चात डॉ. राठौर ने 30 सितंबर को तालाब का निरीक्षण किया। उन्होंने मछली के प्राकृतिक भोजन निर्माण की प्रक्रिया को समझाया, जिसमें गोबर, खली, और सिंगल सुपर फास्फेट के मिश्रण को किण्वन के लिए तीन दिन तक रखने का सुझाव दिया।

इसके अलावा, डॉ. राठौर ने नयानार निवासी श्री जोगा मरकाम को मछली पालन से संबंधित तैयारियों की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने बताया कि मछली पालन के माध्यम से वे अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। इस पर श्री जोगा ने अपनी मछली पालन की योजनाओं को साझा किया।

02 अक्टूबर को डॉ. राठौर ने धोबनपाल में कोसाराम जी के तालाब का निरीक्षण किया और पाया कि उनके बताए गए उपायों से मछलियों की मृत्य दर में कमी आई है। उन्होंने पाइकपारा के तालाबों का भी निरीक्षण किया, जहां उन्होंने समन्वित कृषि पद्धतियों के लाभ बताने के साथ-साथ मछली पालन को अन्य कृषि गतिविधियों के साथ मिलाकर आय को दोगुना करने की सलाह दी।

डॉ. राठौर ने बताया कि सुकमा के अधिकांश तालाब सीजनल हैं और गर्मी के दिनों में सुख जाते हैं। उन्होंने तालाबों को गहरा करने और काली मिट्टी की परत बिछाने के माध्यम से उन्हें पेरिनियल बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की।

इस पहल में छिदगढ़ के मत्स्य निरीक्षक श्री रमेश कुमार टंडन का भी सहयोग रहा, जो सुकमा में मछली पालन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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