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स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपाॅक्स रोग की रोकथाम व नियंत्रण के संबंध में जारी किए दिशा निर्देश nirdesh Aajtak24 News |
सतना - जिले में मंकी पॉक्स को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ एल के तिवारी ने एडवाइजरी जारी की है, जिसमें मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, समस्त मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को इस बीमारी से कैसे निपटें, बचाव कैसे करें, इसको लेकर निर्देशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपाॅक्स बीमारी को लोक स्वास्थ्य के हित में विश्व स्तर पर चिंताजनक घोषित किया है। मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मंगलवार को एडवाइजरी जारी करते हुए मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के लिए जिला कलेक्टरों, के अलावा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मंकी पॉक्स से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों को सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा है कि मंकी पॉक्स से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के साथ ही आवश्यक प्रबंध करने को कहा है। गाइडलाइन के अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिन्हित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक जब आइसोलेशन समाप्त करने का निर्देश देंगे तब ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए प्रयोगशाला का सैंपल एनआईवी पुणे भेजे जाएंगे। साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटैक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश हैं।
मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है
डॉ प्रदीप गौतम जिला महामारी विशेषज्ञ के मुताबिक यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। उक्त वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने आगे बताया, मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है. संक्रमित व्यक्ति शरीर पर चकत्ते दिखने के, एक से दो दिन पहले तक रोग फैला सकता है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रह सकता है।