उद्यान की दीवार बनी ही नहीं और पेश कर दिए बिल,लाखों के घपले के आरोप में सहायक यंत्री वाजपेई निलंबित nilambit Aajtak24 News


उद्यान की दीवार बनी ही नहीं और पेश कर दिए बिल,लाखों के घपले के आरोप में सहायक यंत्री वाजपेई निलंबित nilambit Aajtak24 News

इंदौर - घोटालों का गढ़ बन चुके नगर निगम में दो और उपयंत्रियों पर कमिश्नर ने गाज गिराई है।नगर निगम के वार्ड क्रमांक 79 में शगुन अपार्टमेंट के पास उद्यान की दीवार के निर्माण और सौंदर्यीकरण के नाम पर करीब 13 लाख रुपए की राशि की धांधली के आरोप में प्रभारी सहायक यंत्री लक्ष्मीकांत वाजपेई को निलंबित कर दिया गया है। इसी मामले में एक अन्य मस्टर उपयंत्री हरीश कारपेंटर की सेवा समाप्त कर दी गई हैं। दोनों के खिलाफ कार्रवाई निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने की है। उपयंत्री वाजपेई को ट्रेंचिंग ग्राउंड अटैच कर दिया गया है। साथ ही इस दौरान उनके ऊपर पर्याप्त कार्य नियंत्रण के भी आदेश दिए गए हैं।  निगम आयुक्त द्वारा जारी आदेश के अनुसार वार्ड क्रमांक 79 में कॉलोनाइजर के समय शगुन अपार्टमेंट के समीप एक गार्डन की दीवार क्षतिग्रस्त होना बताया गया। इसके निर्माण के लिए 1334789 रुपए की लोकधन की राशि निगम खजाने से पास कर दी गई। आदेश के अनुसार जिस गार्डन की दीवार के लिए गलत मेजरमेंट एमबी में दर्शाया गया वहां कोई दीवार पहले से थी ही नहीं। आदेश में यह भी स्पष्ट है कि गार्डन की दीवार नहीं बनाई गई। यह जानकारी निगम कमिश्नर शिवम वर्मा को मिलते ही उन्होंने तत्काल एक्शन लिया और आदेश जारी कर उपयंत्री वाजपेई को गलत बिलों को प्रमाणित किया जाने का दोषी पाया। साथ ही वाजपेई को निलंबित कर ट्रेंचिंग ग्राउंड अटैच कर दिया गया है। इसी मामले में एक अन्य उपयंत्री हरीश कारपेंटर के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। कारपेंटर मास्टर उप यंत्री के रूप में निगम में कार्यरत रहे। मामले में कारपेंटर पर आरोप है कि उन्होंने गलत बिलों को पेश किया है। मामले में निगम मुख्यालय द्वारा दीवार के संबंध में सत्यापन की कार्रवाई भी की गई। जिस्म भी यह पाया गया कि उक्त स्थल पर गार्डन की कोई दीवार निर्मित ही नहीं थी।

सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर 3 वर्ष के लिए ब्लैकलिस्टेड

वार्ड क्रमांक 79 में सड़क निर्माण में अनियमितता करने वाली कंपनी सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर को निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने 3 वर्ष के लिए ब्लैकलिस्टेड कर दिया है। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही उसकी सहयोगी कंपनियों और पार्टनरशिप इकाइयों को भी ब्लैकलिस्टेड किया गया है। सरकार इंफो पर आरोप है कि उसने वास्तविक मेजरमेंट से कहीं अधिक मेजरमेंट एमबी में दर्ज किया है।

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