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कुशल संगठन कर्त्ता रामचंद्र थवाणी नगर को सूचना छोड़कर चले गए - कुलवंत सिंह सलूजा saluja Aajtak24 News |
चांपा - सबके प्रेरणास्त्रोत , स्थानीय पूज्य सिंधी पंचायत बस्ती के मुखी ,सुप्रसिद्ध कपड़ा व्यवसायी फर्म रामा क्लाथ स्टोर्स के सफल संचालक , विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जांजगीर-चांपा एवं सक्ती जिला के पूर्व जिला संघ-चालक रहे श्रद्धेय रामचन्द्र थावाणी जी ( ऊर्फ रामा भैय्या जी ) उम्र 80 वर्ष के आकस्मिक निधन 15 मई 2024 से हर कोई चिंतित हैं । कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और स्थानीय डाक्टर उनका इलाज़ कर रहे थे। उनका अंतिम संस्कार दिनांक 16 मई , 2024 दिन गुरुवार की सुबह 11:00 पुराना भैंसा बाजार स्थित हसदेव नदी के तट पर स्थित सार्वजनिक मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया। शोकाकुल परिवार में उनके साथ एक भाई लक्ष्मण दास थावाणी तथा दत्तक पुत्र के रुप में संजय थावाणी, विजय थावाणी और दंत रोग विशेषज्ञ डाक्टर अजय थावाणी हैं। मुखाग्नि संजय थवाणी ने गमगीन वातावरण में दिया। प्रेस क्लब परिवार चांपा से उनका गहरा लगाव था , इसीलिए क्लब के सदस्य ,अध्यक्ष कुलवंत सिंह सलूजा जी के साथ अंतिम संस्कार में शामिल होकर उनके पार्थिक शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित किए और थवाणी परिवार के प्रति अपनी शोक गहरी संवेदना व्यक्त किये हैं। इस अवसर पर प्रेस क्लब के ऊर्जावान अध्यक्ष सरदार कुलवंत सिंह सलूजा ने बताया कि थवाणी जी नहीं रहे इस बात की प्रथम सूचना पाकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था , उनके जैसा उदार ह्वदय व्यक्ति का अचानक चले जाना मेरा दिलोदिमाग भी तैयार नहीं हुआ ,ऐसा लगा मानो विशिष्ठ भाग्यविधाता और सदगुरु नानक देव जी को कह देता कि कुछ भी हो जाए लेकिन नगर में रामचंद्र थवाणी जी को उनकी भूमिका और निभाने दीजिए ,जो कि अभी तक अधूरी ही हैं । परंतु शायद यह जीवन-मृत्यु के रचनाकार को बिल्कुल भी मंजूर नहीं था , फिर मैं पूरी जानकारी लेने जुट गया कि थवाणी जी का आकस्मिक अवसान क्या वास्तव में सही हैं। कुलवंत सिंह सलूजा ने बताया कि हर दिन की तरह उस दिन भी सुबह हुई और मेरा मन पता नहीं किसी धर्मराज युधिष्ठिर को बार-बार ढ़ूढ़ने लगा ,जो कि यह बता सके स्वयं से ,प्रश्नोत्तर करने लगा मैं स्वयं से कि किसी धर्मराज युधिष्ठिर को ढ़ूढ़ लाओ कि जो यह बता सके कि जिसने अपना जीवन देश ,छत्तीसगढ़ राज्य, जांजगीर-चांपा जिला, चांपा नगर ,समाज और हर लोगों के लिए जीया। जिसने जीवनपर्यंत सत्ता की चाह लिए बैगर कार्य किया ,उनकी कभी-भी किसी से कोई शिकायत नहीं रही ऐसे व्यक्तित्व थवाणी जी को ले जाना क्या सही था। काल की इस रहस्य को मैं समझ नहीं पाया मेरे लिए तो क्या साधारण लोगों के लिए यह अबूझ ही हैं। मैं जब भी उनके पास गया हरदम उनको हंसता मुस्कुराता हुआ ही देखता था। उनका हृदय उदारमना और व्यक्तित्व सबसे आकर्षक था। कुलवंत सिंह सलूजा ने बताया कि हर समय समाज ,देश और परिवार के प्रति ही चिंता की भाव रहती थी। कुछ दिनों पूर्व ही एक कार्यक्रम में उनसे मेरी भेंट-मुलाकातें हुईं ,कुशलक्षेम पूछा और मैनें भी उनसे घर पर ही रहकर सेवाभाव करने की सलाह दिया था , उस दिन की संक्षिप्त चर्चा आज जेहन में अंकित हैं। मैनें इस बात को हमारे प्रिय शशिभूषण सोनी भाई जी को भी बताया था कि उनके जैसा उदारमना हृदय वाला इंसान और कुशल संगठन कर्त्ता मुझें हमारे चांपा नगर में कहीं भी दिखाई नहीं देता। आज जब सरस्वती शिशु उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चांपा के विशाल सभाकक्ष में सायंकाल पांच बजें एकत्रित होगें तब उन्हें ढूंढ़ने मेरी आंखें तरस रही होगी। सभाकक्ष के एक कोने में लगी होगी उनकी तैल चित्र ,श्रद्धांजली अर्पित करने और ढ़ाढस बनाने वाले जुटेगे सैकड़ों लोग , हंसते-मुस्कुराते हुए उनके चित्र क्या मैं देख पाऊंगा। जब हम-सब एकत्रित होगें तब वह व्यक्ति सदा के लिए चिरनिंद्रा में लीन हो गया ,उनके चित्र पर पुष्पांजली अर्पित करने के लिए आज दिनांक 18 मई 2024 को सायंकाल पांच बजे इकठ्ठा होगें। हमने चांपा नगर के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति ,सबके स्नेहिल अभिभावक तथा एक प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता को सदा सदा के लिए ही खो दिया हैं। इस मौके पर नम आंखों से मैं परमपिता परमेश्वर और सदगुरु नानक से अरदास करता हूं कि थवाणी परिवार को इस दु:ख को सहने की शक्ति प्रदान करें और दिवंगत आत्मा को सद्गति दे। प्रगतिशील स्वर्ण एवं रजत समिति के सचिव तथा साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चांपा की स्थापना और भवन निर्माण में थवाणी जी का अहम योगदान था। उन्होनें पूज्य सिंधी पंचायत ,तिलभाण्डेश्वर बाल कल्याण समिति ,कुष्ठ आश्रम सोनी के सेवाभावी कार्यों और जांजगीर-चांपा जिले के अनेक ग्रामों में सरस्वती शिशु मंदिर के स्थापना और विस्तार में बड़ा योगदान दिया था। दिनांक 22 जनवरी , 2024 को अयोध्या में बने श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु धन संग्रह में उन्होनें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से वे जीवनपर्यंत जुड़े रहे। रामचंद्र थावाणी जी के जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे नि:संतान होते हुए सबको अपनी संतान मानकर वह कार्य किया , जो आवश्यक सेवा था । भाजपा कार्यकर्ताओं से जीवंत संपर्क रामा थवाणी भैय्याजी की प्राथमिकता रहती थी ,उन्होने संघ के स्वयंसेवकों को ज्ञान और मां भारती की सेवा का मार्ग दिखाया। स्थानीय गुरुद्वारा ,सिक्ख संगत के लोग भी उनके कार्यक्रम में शामिल होंगे और दिवंगत थवाणी के अंतिम अरदास के लिए अरदास कर भावभीनी श्रद्धांजली देंगें। थवाणी जी यह नश्वर शरीर जरुर छोड़ गये हैं लेकिन सूक्ष्म रूप से हम-सबके बीच विद्मान रहेगें।