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सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की अनूठी परंपरा का गवाह बना रामलीला का मंच ka manch Aaj Tak 24 news |
आगर मालवा - नगर में 72 साल से ज्यादा समय से रामलीला की सांस्कृतिक विरासत को सहेजा जा रहा है। इस परंपरा का निर्वहन 1950 से लगातार जारी है। नगर में गणेश चतुर्थी से 10 दिवसीय रामलीला का मंचन किया जाता है, जो अनंत चतुर्दशी पर श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ सम्पन्न होता है। इसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा रामायण का सजीव मंचन किया जाता है। वर्षों से किए जा रहे इस आयोजन में स्थानीय लोग रामायण के विभिन्न चरित्रों को मंच पर प्रस्तुत करते हैं। इसे देखने के लिए प्रतिदिन नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र मंचन में प्रमुख पात्रों का अभिनय नगर के लोग बड़ी संख्या में आते हैं। नगर के रामलीला चौक में होने वाले सार्वजनिक गणेशोत्सव समिति द्वारा किया जाता है। इसमें हारमोनियम,ढोलक, नृत्य करने वाले कलाकारों बाहर से बुलाए जाते हैं। जिनके पारिश्रमिक का भुगतान समिति द्वारा किया जाता है। रामलीला को लेकर बुजुर्ग से लेकर बच्चों तक देखने की उत्कर्षता रहती है। नगर के शिक्षित वर्ग के युवाओं सहित शिक्षक के रामलीला चौक में होने वाले आदि राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न सार्वजनिक गणेशोत्सव का आयोजन दशरथ, जटायु रावण, मेघनाथ ग्रामीणों द्वारा किया जाता है। इसमें विभीषण सहित रामायण के पात्रों का हारमोनियम, ढोलक तथा नृत्य करने अभिनय करते हैं। रावण की भूमिका निभाने वाले शिक्षक धर्मेंद्र सिंह राठौर हैं, बताया कि यह हमारे गांव सांस्कृतिक धरोहर है। आज की पीढ़ी इससे रूबरू हो इसलिए इस आयोजन में सहभागिता करते हैं। लक्ष्मण का अभिनय करने वाले शिक्षक सर्वेश घोंसले ने बताया रामायण के चरित्र आदर्श जीवन जोने की सीख देते हैं। आयोजन में सक्रिय रूप से भागीदारी करने वाले दिनेश कोठारी, कालू सिंह फौजी, भगवान दास बैरागी, भरत दास बैरागी, नारायण दास बैरागी, गोपाल परमार, कमल सिंह राठौर, ईश्वर सिंह राठौर ,ओम यादव, हरिओम सिंह राठौर, विशाल शर्मा, नर्मदा शंकर जोशी,बंटी सिंह राठौर सहित प्रबुद्धजनों का योगदान रहता है।
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