सी.एम.एच.ओ. कार्यालय में पदस्थ संविदा कर्मचारी के कार्यों की होगी जांच hogi jach Aaj Tak 24 news |
शहडोल - सी.एम.एच.ओ. कार्यालय में लगभग 10 वर्षों से पदस्थ संविदा जिला कम्युनिटी मोबिलाईजर (डीसीएम) द्वारा अपने कार्यकाल में ऐसे कारनामे किये गये हैं जिसकी चर्चा हमेशा सुर्खियों में रहती है। सोने पे सुहागा जैसी कहावत यहां पर चरितार्थ होती है क्योंकि एक ही कार्यक्रम में ये पति एवं पत्नी दोनों एक ही जिले में पदस्थ हों। सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ संविदा जिला कम्युनिटी मोबिलाईजर (डीसीएम) जिनकी पत्नी भी विकासखण्ड बुढार में विकासखण्ड कम्युनिटी मोबिलाईजर (बीसीएम) के पद पर लगभग 10 वर्षों से पदस्थ हैं। एक ही कार्यक्रम में ंयदि पति जिला पर एवं पत्नी विकासखण्ड स्तर पर पदस्थ हों तो कारनामों की चर्चा होना आम बात है।जानकारी के अनुसार पति पत्नी मिलकर विकासखण्ड बुढ़ार में नगरपालिका क्षेत्र बुढ़ार और धनपुरी मंे नियम विरूद्ध तरीके से मनमाने तैार पर आशा चयन कर डाला। शहरी क्षेत्र में आशा चयन केवल मलिन बस्ती में किया जाना है, लेकिन डीसीएम-बीसीएम या यूं कहें कि पति-पत्नी की जोड़ी ने मिलकर बुढ़ार के सभी 14 वार्डों में 15 आशा तथा धनपुरी के 24 वार्डों में 31 आशाओं की भर्ती कर दी यहां तक एक वार्ड में दो से तीन आशाओं की भर्ती कर डाली। आम जन में चर्चा तो यहां तक है कि आशा बनने हेतु अभ्यर्थियों को लाखों तक खर्चे करने पड़े हैं। सूत्रों के अनुसार यह सभी नियम विरूद्ध भर्तियां 2015 से लगातार चली हैं । संविदा जिला कम्युनिटी मोबिलाईजर ने अपने नाम से वर्ष 2018 में ग्न्ट 500 जैसी लगभग 18 लाख की मंहगी गाडी तथा रीवा रोड हाइवे से लगी जमीन लगभग 6-7 लाख रूपये की खरीदी है । आश्चर्य तो यह है कि एक ही वर्ष में इतनी बड़ी रकम संविदा कर्मचारी के पास कैसे आई ? नियमानुसार यह तो आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। बहरहाल पति पत्नी संविदा कर्मचारी द्वारा इसके अलावा भी मिलकर कई प्रकार के भ्रष्टाचार को भी अंजाम दिया गया है, जिसकी विधिवत शिकायत भोपाल के उच्च अधिकारियों को की गई है। जिस पर क्षेत्रीय संचालक रीवा को जांच करने हेतु भोपाल उच्च कार्यालय से निर्देशित किया गया है। इस प्रकरण में देखा जाए तो भोपाल से रीवा और रीवा से शहडोल में फिरकी फिराई जा रही है लेकिन 01 माह बीत जाने के बाद भी आज दिनांक तक न तो कोई जांच हुई और न ही कोई कार्यवाही की गई।
जिला पर पदस्थ संविदा डीसीएम की कार्यप्रणाली हमेशा से विवादास्पद रही है। जिला शहडोल में पदस्थ कोई भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी साहेबान कभी भी इस संविदा कर्मचारी की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं थे, बल्कि उच्च अधिकारियों को जिले से हटाने एवं सेवा समाप्त जैसी कार्यवाही हेतु पत्राचार करते ही रहे हैं। खबर तो यहां तक है कि इन डीसीएम साहब द्वारा आशा कार्यकर्ताओं के प्रोत्साहन राशि भुगतान करवाने में कभी भी रूचि नहीं दिखाई जाती ताकि आशा कार्यकर्ताओं में हमेशा असंतोष व्याप्त रहे और तो और चर्चा तो यहां तक है कि इनके द्वारा विभाग संबधी जानकारी बाहरी व्यक्तियों से साक्षा कर शिकायतंें भी करवाई जाती हैं। क्षेत्रीय संचालक रीवा द्वारा लगभग 01 माह पूर्व इन पति पत्नी के द्वारा किये गये कारनामों की जांच हेतु पत्र लेख किया था किंतु अभी तक इनके प्रकरण के जांच के संबंध में कोई भी सुगबुगाहट नहीं है जिसका क्या अर्थ निकाला जाए यह समझ से परे है।