आर्यिका मृदुमति संग तीर्थंकर पालकी यात्रा पहुंची भक्तों के घर bhakto ke ghar Aaj Tak 24 news

 


आर्यिका मृदुमति संग तीर्थंकर पालकी यात्रा पहुंची भक्तों के घर bhakto ke ghar Aaj Tak 24 news 

दमोह  -  अनादि कालीन प्राकृतिक जैन दर्शन के तीर्थंकर भगवंतों की असंख्य भूतकालीन चौबीसी हो चुकने के बाद वर्तमान की चौबीसी के प्रथम आदिम तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ व अंतिम चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी हुए। इसी तरह भविष्य काल की भी असंख्य तीर्थंकर चौबीसियां होंगी। ये ज्ञान दिया संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज की आज्ञानुवर्ती साध्वी पूज्य 105 आर्यिका रत्नश्री मृदुमति माता जी ने। जिनके संघ में पूज्य 105 आर्यिका निर्णयमति  माता जी व विदुषी ब्रह्मचारिणी वंदनीय पुष्पा दीदी जी दमोह के वैशाली नगर जैन मंदिर में विराजमान होकर तप आराधना कर रही हैं। सरस्वती सिद्ध पूज्य मृदुमति माता जी के हृदय से आगम गंगा प्रवाहमान होकर लेखनी में परिवर्तित होती रहती है। अनेकों आगम साहित्य, विधान आदि की रचियता माता जी की प्रेरणा से मंदिर के निकटवर्ती कालोनियों में निवासरत दिगंबर जैन परिवारों ने भगवान आदिनाथ स्वामी का जन्मोत्सव व तप-उत्सव धूम-धाम से मनाया।  चैत्र कृष्ण नवमी को आदि ब्रह्मा श्री आदिनाथ तीर्थंकर भगवान के जन्मोत्सव व तप उत्सव के उपलक्ष्य में भगवान के श्री जिन बिम्ब (प्रतिमा जी) को सिंहासन सहित एक चमचमाती हुई पालकी में विराजमान कर सर्व प्रथम सुमित-पलाश जैन लहरी व राकेश जैन पलंदी पारसमणि ने अपने कंधों पर उठाने का सौभाग्य पाया। सौधर्म इंद्र बनकर सर्व प्रथम जलाभिषेक व शांति धारा कलश करने का सौभाग्य श्री पदम चंद - ऋषि जैन जुझार वालों ने प्राप्त किया। ईशान इंद्र डॉ. पी. के. जैन, सानत इंद्र अतुल जैन, माहेन्द्र इंद्र एकांत पलंदी के पिताश्री बने। ढोल-मंजीरे के दिव्य घोष ने पूरे वैशाली नगर, श्याम नगर, शिव नगर, एस.पी.एम. नगर, वर्धमान कॉलोनी, श्रीवास्तव कॉलोनी क्षेत्र के आसमान को भगवान के घर-घर पहुंचने के संकेत से गुंजायमान कर दिया। केसरिया ध्वज हवा में लहराकर अहिंसा मय धर्म का संदेश प्रसारित कर रहे थे। आर्यिका रत्नश्री मृदुमति व निर्णयमति माता जी पालकी में विराजे भगवान के साथ - साथ भक्तों के घर-घर के द्वार तक अपनी उपस्थिति से सभी को मुग्ध कर रहीं थीं। आदीनाथ भगवान की जय, विद्या सागर जी महाराज की जय, मृदुमति माता जी की जय के जयघोषों (नारों) से नर-नारियों में आनंद ऊर्जा का संचार हो हुआ। युवाओं सहित सीनियर सिटीजन भी जमकर झूमे-नाचे। घर-घर, द्वारे-द्वारे  पालकी में विराजे भगवान के श्री जिनबिंब (प्रतिमा जी) की शुद्ध घी के दीपों से घर-धनी ने आरती उतारी। महिलाओं ने आर्यिका रत्नश्री के चरण धोकर उन्हें वंदामी (नमन) किया। इस अवसर पर पालकी यात्रा कार्यक्रम में सर्व श्री आनंदी लाल,पदम जुझार, राकेश पलंदी, सोनल सिंघई, प्रद्युम्न, अवध शिक्षक, सेवालाल,डॉ.पी.के.जैन, राकेश शिक्षक,विजय कुमार, सुमत लहरी, प्रदीपबजाज,अजितबीमा, गोलू बजाज,नीरज,अतुल,नरेंद्र छिरका,विनोद पिपरिया,विवेक नायक, मोनू,प्रमोद, महेन्द्र, पलाश लहरी, श्रीमति शकुन जुझार, सुनीता, सुलोचना, सुनंदा, साधना पलंदी, मोनिका, नीरजा, सीमा, आशा, हिना पलंदी आदि भक्त महिला-पुरुषों की उपस्थीति रही। मंदिर समिति के अध्यक्ष इंजी.अमर सेठ ने सफल अयोजन की बधाइयां प्रेषित करी। डॉ.जेके जैन, डॉ.आर.के.जैन, रानू बड़े राय,राजकुमार खमरिया, महेन्द्र सगरा, जवाहर जैन भी पालकी यात्रा में सम्मिलित हुए।

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