न्यायाधीश, खण्डपीठ सदस्यगण एवं पक्षकार के अधिवक्ता द्वारा समझाईश दिये जाने के फलस्वरूप राजीनामा हुआ lok adalat me rajinama karwaya gaya



न्यायाधीश, खण्डपीठ सदस्यगण एवं पक्षकार के अधिवक्ता द्वारा समझाईश दिये जाने के फलस्वरूप राजीनामा हुआ lok adalat me rajinama karwaya gaya 

मण्डलेश्वर - नेशनल लोक अदालत में प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, मण्डलेश्वर के न्यायालय में लंबित एक अन्य आपराधिक एम.जे.सी. प्रकरण में परिवादी पत्नी उषा द्वारा अपने पति अनिल के विरूद्ध धारा 125 अधिनियम के अंतर्गत परिवाद पेश किया गया था। पति पत्नी के मध्य शादी के अल्प समय के पश्चात् ही छोटी मोटी बातो को लेकर मनमुटाव हो गया था। इस कारण वह 04 वर्षीय बच्चे के साथ अपने पति से 03 वर्ष से अलग रह रही थी। परिवार टुटने की कगार पर था।उक्त प्रकरण में लोक अदालत में न्यायाधीश, खण्डपीठ सदस्यगण एवं पक्षकार के अधिवक्ता द्वारा समझाईश दिये जाने के फलस्वरूप राजीनामा हुआ एवं विवाद के समाधान हेतु आपसी सहमती बनी। इस प्रकरण में मामुली से विवाद में प्रकरण में उलझे हुये पति पत्नी के मध्य लोक अदालत ने राजीनामा करवाया। प्रधान जिला न्यायाधीश श्री डी.के.नागले एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मण्डलेश्वर नरेन्द्र पटेल एवं विचारण न्यायालय के न्यायाधीश श्रीमती मैरी मार्गेट फ्रासिंस डेविड, उप प्रशासनिक अधिकारी संजू कुमार सोलंकी की उपस्थिति में राजीनामा के परिणाम स्वरूप पति पत्नी को फूल माला एक दूसरे को पहनाकर अपने मन मुटाव को भूलकर भावी जीवन में स्नेह पूर्वक रहने की सलाह भी दी गई।  इस प्रकार लोक अदालत में अनेको मामलों का निराकरण, पक्षकारों में प्रेमभाव का बना रहना तथा विवाद का समाप्त हो जाना ही इस लोक अदालत की सफलता एवं अनुठी विषेषता है। विवाद समाप्ति के साथ विभिन्न प्रकार की छूटे प्राप्त होती है, परिवारों का मिलन हो जाता है, पक्षकारों का मनमुटाव भी मिट जाता है एवं एक स्मृति चिन्ह के रूप में पौधे वितरित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी लोक अदालतों के माध्यम से दिया जा रहा है।



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