ऐसे कार्य मत करो, जो माता-पिता को न बता सको आर्यिका रत्न मृदुमति rajya ki khabar


ऐसे कार्य मत करो, जो माता-पिता को न बता सको आर्यिका रत्न मृदुमति  rajya ki khabar 

दमोह  -  संत शीरोमणि परम पूज्य 108 आचार्य श्री विद्या सागर जी मुनि महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका रत्नश्री 105 मृदुमति माता जी अपनी संघस्थ आर्यिका श्री 105 निर्णयमति माता जी के साथ जसवंत लाल प्रहलाद भाई कन्या शाला (जे.पी.बी. स्कूल) पहुंचीं।  हाई स्कूल की लगभग एक हजार छात्राओं को अपनी धर्ममयी अमृत वाणी से संबोधित किया। उन्होंने अपने उपदेश में कहा कि छात्राएं अपने मन मर्जी की नहीं बल्कि अपने माता पिता के मन की शादी कर भारतीय संस्कृति की रक्षा कर सकती हैं। *मत फिसलो ऊपर की सफाई पर,* *वर्क सोने का चढ़ा है, गोबर की मिठाई पर*। ये संसार मृग मरीचिका का रेगिस्तान है। लड़कियां फिसलें नहीं, लव जेहाद में फंसने से बचें। मोबाइल फ़ोन का पढ़ाई में सदुपयोग करें। मोबाइल के दुरुपयोग से बचें। बराबरी के लड़कों से या अन्य पुरुष वर्ग से सूने में व्यक्तिगत एकाकी संपर्क में न रहें। घी आंच में पिघलता है। साधु वृक्ष की तरह प्रतिकूलताओं को सम भाव से सहते हैं। फिर भी दूसरों को सन्तोष रूपी फल देते हैं। जैन दर्शन की प्रसिद्ध प्रार्थना "मेरी भावना" का वाचन करते हुए कहा कि घर-घर चर्चा होती रहे धर्म की व फैले प्रेम परस्पर जग में, मोह दूर ही रहा करे, अप्रिय कटु कठोर शब्द नहीं कोई मुख से कहा करे। साधु जीवन कठिन नहीं है। हमारी आस्था में कठिनाई है। भारतीय संस्कृति में केवल भेष की नहीं बल्कि गुणों की पूजा प्रधानता से होती है। छात्राओं को कई चरित्रवान सतियों के उदाहरण देकर नारी की पवित्रता का संदेश दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन शरद मिश्रा सर ने व कोआर्डिनेशन अनिल जैन सर ने किया। प्राचार्य डी.के.मिश्रा व भारतीय जैन संघठन के जिलाध्यक्ष राकेश पलंदी ने प्रवचन के पूर्व सभा को संबोधित किया। सभी महीला पुरुष स्टॉफ व छात्राओं ने पूज्य आर्यिका श्री संघ के समक्ष श्रीफल अर्पित कर उनका अभिनंदन किया। संतों को सूर्य के तेज से बचाने के लिऐ एड. विकल्प जैन ने पूरे समय बड़े समर्पित भाव से बड़ा अंब्रेला अपने हाथों व कंधों पर थांबे रखा। संदीप गांगरा ने भी सहयोग किया। इस अवसर पर प्रतिष्ठाचार्य पंडित अंकित भैया जी की भी विशेष उपस्थिति रही। विनय जैन, सन्तोष अविनाशी सहित अनेक धर्म प्रेमी महिलाओं की भी उपस्थिति रही। समस्त विद्यालयीन स्टॉफ व छात्राओं ने बड़े ध्यान पूर्वक आर्यिका रत्नश्री मृदुमति जी की वाणी सुनी। छात्राओं ने माता जी की प्रेरणा से अपनी स्वेच्छा पूर्वक हांथ उठाकर तंबाकू उत्पाद, गुटका, पाउच, नशीले पदार्थ, मांस आदि अभक्ष खाद्य पदार्थों को न ग्रहण करने का संकल्प लिया। ज्ञात हो कि विद्या मृदु प्रवाह ग्रंथ प्रकाशन समिति द्वारा प्रवचन प्रभावना श्रृंखला का तृतीय चरण संपन्न हुआ। चतुर्थ चरण में मंगलवार 29 नव. को शिशु मंदिर कानेटकर भवन पलंदी चौराहा के निकट लगभग 500 विद्यार्थियों को संबोधित किया जायेगा।


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