660 मेगावाट की इकाई नंबर तीन की एल पी टरबाइन का पहला रोटर गुजरात के लिऐ रवाना
दूसरे रोटर की रवानगी भी रविवार शुबह की जाएगी
क्या जिस कंसल्टेंसी कंपनी को करोडो की फीस दि गई उसकी रिपोर्ट को ध्यान रखा गया
निर्माणकर्ता एल एंड टी पावर कंपनी ने शुध्द भाप ओर पानी नही मिलने की वजह से टरबाइन का टूटना बताया था
अक्सीलरी बायलर गायब डिजाइन के अनुसार बहुत जरूरी था निर्माण
बी एच ई एल के बायलर से स्टीम लेना पड़ा भारी एक साल बाद फिर टरबाइन खुली
जवाबदेह अधिकारी केसे हो गए जांच से बाहर
बीड (सतीश ग़म्बरे) - संत सिंगाजी पावर परियोजना की नव निर्मित 660 मेगावाट क्षमता की तीन नंबर इकाई की एल पी टरबाइन साल भर बाद फिर से खुल चुकी है जिसकी ब्लेडो की जांच कर परीक्षण पूरा होने के बाद इसे दुरुस्त करने के लिऐ एल एंड टी पावर कंपनी के गुजरात मे बने वर्कशाप मे शनिवार सुबह जल्द बड़े ट्रालो की मदद से भेज दिया गया इस इकाई से वापस बिजली उत्पादन शुरू करने मे करीब तीन से छः माह का समय लगने का अनुमान लगाया जा रहा है इस इकाई के बंद रहने से करीब छः करोड़ रुपए रोज की उत्पादन हानि होती है अगर इकाई चलती तो रोजाना छः करोड़ की बिजली बनती है विदित होकी टरबाइन टूटने के बाद तमाम जांच मे इसे सही पानी एवं शुध्द भाप नही मिलने ओर इकाइयों के बंद रहने के बाद भी स्टीम का लगातार नही मिलने की वजह से टूटना बताया गया था
उच्च तकनीक से बनी इकाइयों के लिऐ अलग से बनाया जाना था आक्स्लरी बायलर
परियोजना के द्वितीय चरण मे एल एंड टी कंपनी द्बारा निर्माण की गई इकाई नंबर तीन एवं चार मे अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है इसकी टरबाइन मे बगेर हाईड्रोजन .पोटेशियम .क्लोराइड वाली स्टीम ओर पानी का प्रयोग किया जाना था इसके लिऐ डिजाइन मे आक्सीलरी बायलर दिया गया था जिससे स्टीम लेना थी लेकिन इसके बाऊजुद भी डिजाइन के अनुसार अलग से बायलर का निर्माण नही किया जाकर प्रथम चरण मे बी एच ई एल द्बारा पुरानी एवं अलग तकनीक से बनाए गए बायलर से हाईड्रोजन एवं पोटेशियम सहित कई तत्वो वाली अशुद्ध स्टीम लेकर टरबाइन क्यो चलाई गई तथा किसके आदेश पर चलाई गई इस पर भी सवालिया निशान खड़े होते है एवं करोडो रुपए की फीस देकर कंसल्टेंसी कंपनी ने जो रिपोर्ट बनाई थी उसका क्या हुआ इसकी भी जांच अब तक नही हो सकी
पिंजरवेशन सिस्टम को इकाइयों से उत्पादन के दो साल बाद बनाय़ा गया
5 अगस्त 2020 मे इसी तीन नंबर टरबाइन टूटने पर एल एंड टी कंपनी द्बारा बताया गया था की इस सुपर क्रिटिकल तकनीक से बनी इकाइयों को बंद रहने के समय भी लगातार शुद्ध की गई स्टीम की जरूरत थी लेकिन जब इकाइयां बंद थी इन्हे स्टीम नही मिली इसलिए भी टूटी । लेकिन जिस समय इन इकाई का पी जी टेस्ट चल रहा था ऐसा कोई भी सिस्टम का निर्माण नही किया गया था जो दस्तावेजो मे भी अंकित है इकाइयों की टरबाइन टूटने के बाद इस पिंजरवेशन सिस्टम का निर्माण किया गया वो भी वर्तमान मे सही मापदंड पर नही चल रहा है परियोजना मे बाते की जा रही है की कही इसी वजह से तो वापस तीन नंबर की टरबाइन मे परेशानी नही आई यह मामला बहुत संगीन है ऊर्जा सचिव को निष्पक्ष जांच के लिऐ किसी रिटायर न्यायाधीश य़ा अन्य किसी स्वतंत्र एजेंसी से जाँच कराना चाहिए अंदर कर्मचारियो मे यह चर्चा भी जोरो पर है
जवाबदार अधिकारियो को जांच से बाहर रखा गया
1320 मेगावाट की इन दोनो इकाइयों के निर्माण के समय कंपनी के वर्तमान एम डी मंजीत सिंह एवं मुख़्य अभियंता अनिल शर्मा को इसके निर्माण के लिऐ विशेष अधिकारी नियुक्त किया गया था यही लोग सभी निर्णय लेते थे । स्टीम लेने से लेकर बायलर .पिंजरवेशन तक छोटे बड़े सभी निर्णय इन्ही के थे लेकिन जाँच मे दोनो का नाम नही होना अन्य साथियो के साथ अन्याय होने जेसा है इन्हे भी जाँच का हिस्सा बनाया जाए ॥
टरबाइन का एक रोटर ट्राले सहित मेनगेट पर खड़ा है सभी पुर्जों को लेकर जल्द गुजरात रवाना होगा ।
तत्कालीन समय मे इंजीनियरों को लग रहा था की स्टीम की वजह से टरबाइन की ब्लेड टूटी है लेकिन एक्सपर्ट लोगो की जो टीम यहा निरीक्षण के लिऐ आई थी उन्होने कभी इस बात को नही माना ॥
अनिल कुमार शर्मा
मुख़्य अभियंता सिंगाजी परियोजना
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