शाला त्यागी बच्चों के पुनःप्रवेश के लिए चला रहे अभियान | Shala tyagi bachcho ke punah pravesh ke liye chala rhe abhiyan

शाला त्यागी बच्चों के पुनःप्रवेश के लिए चला रहे अभियान

न्यायाधीश ने कहा 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार

शाला त्यागी बच्चों के पुनःप्रवेश के लिए चला रहे अभियान

बड़वाह (विशाल कुमरावत) - शाला त्यागी बच्चों को फिर से स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।इसके लिए बस्तियों में जाकर शाला त्यागी बच्चों को चिन्हित कर बच्चों को उनके मूल अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में बताया जा रहा है।शाला त्यागी बच्चों के पुनः शाला में प्रवेश के लिए बाल संरक्षण एवं संवर्धन सप्ताह का आयोजन विधिक सेवा प्राधिकरण मंडलेश्वर के द्वारा बालको का शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत विधिक साक्षरता शिविर संजय नगर गिट्टी खदान सनावद में आयोजित किया गया।न्यायिक दंडाधिकारी महोदय सुशील गहलोत,एवं न्यायाधीश पूर्वी तिवारी भी शामिल हुई।उन्होंने कहा कि 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।इस अवसर पर क्षेत्र के बस्ती इलाके में घर-घर जाकर किसी कारणवश शाला त्यागने वाले बच्चों को चिन्हित किया गया।पुनः शाला में प्रवेश के लिए उन्हें एवं उनके पालकों को प्रेरित किया गया।साथ ही बालिकाओं को माता पिता को बालको के शिक्षा अधिकार के बारे में बताया| पेरा लीगल वोलेंटियर रविंद्र अम्बिया,रघुनाथ सावल्दे ने बताया कि बच्चों को निः शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चों को निः शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।इसके अतिरिक्त निजी विद्यालयों में भी शासन द्वारा आरटीई के माध्यम से बच्चों को निः शुल्क प्रवेश दिलाया जाता है।उन्होंने यह भी बताया कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का श्रम करना कानूनी अपराध है।उन्होंने यह भी बताया कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का श्रम करना कानूनी अपराध है।

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