ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की व्याख्या करता है ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 - एडवोकेट वाधवानी
पुलिस ट्रेनिंग सेंटर कानूनी कार्यशाला संपन्न
इंदौर (राहुल सुखानी) - ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को होने वाली सामाजिक, आर्थिक , पारिवारिक समस्याओं के निराकरण के लिए तथा ऐसे ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ होने वाले विभिन्न प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए नालसा बनाम भारत संघ के केस में अनेक अधिकारों की व्याख्या की गई और इसी केस के आधार पर ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स अधिनियम 2019 पारित किया गया जिसकी वजह से आज ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को मान्यता देते हुए गरिमामय जीवन प्रदान करने के संकल्प के साथ यह कानून कार्य कर रहा है। यह कहना है इंदौर के विधि विशेषज्ञ एवं एडवोकेट पंकज वाधवानी का जो कि पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में कानूनी कार्यशाला पर संबोधित कर रहे थे।
मूसाखेड़ी स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में ट्रांसजेंडर एक्ट के मुख्य प्रावधानों की जानकारी के लिए कानूनी कार्यशाला आयोजित की गई। पुलिस अधीक्षक श्रीमती सुनीता रावत एवं डीएसपी शैलजा भदोरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि विधि विशेषज्ञ पंकज वाधवानी एडवोकेट द्वारा ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 पर व्याख्यान देते हुए इस कानून के मुख्य प्रावधानों की जानकारी दी गई।
*किन्नरों को भी सामान्य जीवन जीने का अधिकार--संविधान हर किसी को अपने तरीके से जीने की आजादी देता है*
आयोजित व्याख्यान में विधि विशेषज्ञ पंकज वाधवानी ने ट्रांसजेंडर एक्ट के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बताया कि समानता के अधिकार के तहत भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने ढंग से जीवन व्यतीत करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है किसी को भी किसी की भावनाएं आहत करने का अधिकार नहीं है ना ही उपहास करने का ।प्रत्येक व्यक्ति गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकता है ऐसी व्यवस्था सरकार को की जानी आवश्यक है। आयोजित व्याख्यान में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों द्वारा हिस्सा लिया गया।
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