कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत सें उछालों यारों | Kon kehta hai ki asman main surakh nhi ho sakta

कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत सें उछालों यारों

कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत सें उछालों यारों

दसाई (कैलाश पटेल) - ”कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत सें उछालों यारों’’ उक्त कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है समीपस्थ एक छोटे से गांव पदमपुरा की बेटी मधुबाला मारू ने जिसने पीएचडी जैसी उच्चतम डिग्री कई कठिनाईयों के बावजूद हासिल करने में सफलता प्राप्त की है।

कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत सें उछालों यारों

      मधुबाला मारू ने स्नातक की परीक्षा उतीर्ण की ही थी की एक हजार से कम की आबादी के गांव चिचली जिला बडवानी (निमाड) में इनका विवाह हो गया लेकिन इनकी पढाई के प्रति लगन से ससूराल परिवार के लोगों ने भी इन्हे पूर्ण सहयोग किया। ससूराल में दैनिक जीवन की जवाबदारियां निभातें हूऐ भी आपने अपनी पढाई को जारी रखा ओर स्वाध्यायी रूप में ही  हिन्दी में स्नातकोतर की उपाधि उच्च अंको से हासिल की। बाद में मानवाधिकार में भी स्नातकोतर डिप्लोमा हासिल किया। 

      मधुबाला को इन सबके बाद भी पढाई में संतुष्टी नहीं मिली ओर अपने पति से अपने क्षेत्र में समाज सुधार के लिये पीएचडी करने की इच्छा जाहिर की पति यतेन्द्र पटेल ने भी होसला बढाया ओर विक्रम विश्व विद्यालय की  पीचडी की प्रवेश परीक्षा दी जहां पर आपने  विश्व विद्यालय में पि.वर्ग की सूचि में दूसरा स्थान प्राप्त किया। 

   मधुबाला ने कठिन परिश्रम कर अतंतः ”गणगोर पर्व संबधि निमाडी लोक साहित्य और संस्कति का समग्र अनुशीलन” पर मंदसौर की प्रोफेसर डाॅ. उमा गगरानी के निर्देशन तथा उज्जैन के प्रोफेसर डाॅ. जगदीशचन्द्र शर्मा के सहनिर्देशन में अपना शोध प्रबन्धन प्रस्तुत किया। इस पर मधुबाला मारू को विक्रम विश्व विद्यालय उज्जैन के हिन्दी विभाग परिसर में विगत दिवस एक समारोह में डाक्टरेट की उपाधि दी गई।

     इस अवसर पर विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग प्रमुख डाॅ  शैलेंद्र  शर्मा एवं जगदिश शर्मा ने अपने संबोधन में इस शोध प्रबधंन की प्रशंसा करते हुवे बताया कि मधुबाला मारू द्वारा कठिन परिश्रम के परिणाम स्वरूप ही यह शोध विशिष्ट हो गया है। यह शोध अभी तक के समस्त शोध प्रबन्ध से अलग हटकर है।  इससे निमाडी साहित्य मे विकास को तो बल मिलेगा ही वरन हमारे पूराने तीज त्योैहारों के लिये यह मिल का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अनेक प्रोफेसर, विद्यार्थी तथा आम नागरिकों के अलावा इनके परिजन भी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि मधुबाला की जन्म भूमि एक छोटे से गांव पदमपुरा की है। आप दसाई जिला धार के रिटायर्ड  प्रधान अध्यापक कैलाश चन्द्र मारू की बेटी है। इस कार्य पर निमाड तथा मालवा क्षेत्र के अनेक बुध्दिजिवियों ने प्रसन्नता प्रकट करते हुवे मधुबाला के उज्जवल भविष्य की कामना की है।

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