खकनार जनपद अध्यक्ष निर्मला जावरकर ने कहा ग्रामो में विकास कार्य सिर्फ कागजो पर
*जनपद सदस्य बलराम राठौड़ ने कहा जनपद में भर्ष्टाचार की मुख्य वजह नेपानगर विधायक है*
*उपयंत्री राजेंद्र घेटे की कार्यशैली सवालों के घेरे में*
बुरहानपुर (नवीन आड़े) - जनप्रतिनिधियों की शिकायतो पर जब निराकरण नही हो रहा था तो जनता की कौन सुनेगा। जनता द्वारा भर्ष्टाचार को लेकर कई शिकायत की जा रही है लेकिन सुनवाई कही नही। इसी बीच जनपद अध्यक्ष खकनार श्रीमती निर्मला जावरकर द्वारा बताया गया कि मैने कई बार मीटिंग में कहा कि जो विकास कार्य हो रहे है वो सिर्फ कागजों पर बने है। धरातल पर कुछ भी नही है। मेरे द्वारा मीटिंग में कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई करवाई नही हो रही है। जनता के बीच विकास नही हो रहा है साथ ही उन्होंने कहा कि यह पूरी जगह भर्ष्टाचार है। कहा कि इस क्षेत्र में यहाँ कोई करवाई नही होती है। इसी कड़ी में जनपद सदस्य बलराम राठौड़ द्वारा बोला कि वर्तमान नेपानगर विधायक सुमित्रा कासडेकर के कारण ये सभी भर्ष्टाचार हो रहा है। साथ ही जनपद खकनार पर आरोप लगाते हुवे कहा कि हमारे पास ऐसे कुछ मुद्दे है जिनके जवाब अधिकारियों के पास नही है। इसलिए हमारी मीटिंग नही हो रही है।
*निर्माण कार्यो के सूचना बोर्ड गायब क्यो*
उपयंत्री के अधिकार क्षेत्र में आने वाली पंचायतो में सूचना पटल नदारद है। ग्राम पंचायत नागझिरी, ग्राम पंचायत बसाली रैयत , ग्राम पंचायत धाबा, ग्राम पंचायत खकनारखुर्द ऐसी बाकी पंचायतो में कोई सूचना पटल नही है। ग्रामीणों द्वारा भर्ष्टाचार को लेकर कई शिकायत की लेकिन अब तक कोई निराकरण नही ।
बड़ा सवाल निर्माण कार्यो से सूचना बोर्ड नही होना साथ ही 5 वर्षो के आयु अवधि वाले कार्य 1 वर्ष में खत्म हो जा रहे है। खकनार ब्लाक की ग्राम पंचायतों में वर्तमान समय में सैकड़ों कार्य प्रगति पर हैं लेकिन किसी में कोई सूचना पटल नहीं लगाया गया। ये लापरवाही सरपंच, सचिव ने की ये तो सही है लेकिन सरपंच-सचिव के कार्य की निगरानी के लिये उपयंत्री, सहायक यंत्री, पंचायत समन्वयक के साथ जनपद सीईओ इन कार्यो का निरीक्षण करते हैं। उन्होंने भी सूचना पटल की ओर आज तक कोई ध्यान नहीं दिया ये सोचने की बात है। ग्रामीणों को तो पता ही नही उनके ग्राम में कौन मजदूर है न उनको कभी मजदूर कार्य करते मिलने जबकि यदि निरीक्षणकर्ता अधिकारियों की बात करे तो उनको लगातार मजदूर गांव में कार्य करते मिलते हैं लेकिन किसी को ये जानकारी नही हैं कि वह मजदूर कौन हैं और जिस कार्य का वह निरीक्षण कर रहे हैं वह कितनी लागत का है
सवाल अब यह उठता है ग्रामीण न्याय की उम्मीद किससे करें। 181 शिकायत करने से कोई निराकरण नहीं हो रहा है साथ ही जिला पंचायत सीओ को लिखित आवेदन देने के बाद भी ना कोई जांच ना ग्रामीणों को राहत मिल पा रही है।
*यहां कुछ प्रश्न खड़े हो रहा है जो इस प्रकार है*
1. प्रत्येक निर्माण कार्य के लिए एक सूचना बोर्ड होता है जिसे पब्लिक इनफार्मेशन बोर्ड भी कहा जाता है लेकिन यह बोर्ड है कहा?
2. कोई भी निर्माण कार्य 5 साल की अवधि का होता है फिर भी इतनी खराब गुणवत्ता उपयोग कैसे किया जा रहा है?
3. बड़े अधिकारी किस प्रकार मॉनिटरिंग कर रहे हैं?
4. निर्माण कार्यों के एजेंसी पंचायत होती है लेकिन कार्य करने वाले लोग कौन हैं जो जो नियमों को ताक पर रखकर कार्य कर रहा है
5. ग्रामीणों की शिकायतों का निराकरण क्यों नहीं हो पा रहा है
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