तंबाकू निषेध से जागरूकता लाने का प्रयास करें | Tambaku nishedh se jagrukta lane ka prayas kare

तंबाकू निषेध से जागरूकता लाने का प्रयास करें

तंबाकू निषेध से जागरूकता लाने का प्रयास करें

मनावर (पवन प्रजापत) - सेवन से जन्मे अनेक रोगों से बचने हेतु सलाह दी जाना चाहिए।एक जानकारी के मुताबिक बढ़ती लत कारण मुख केंसर के मरीजो की संख्या लाखों के लगभग है |घातक रसायन निकोटिन तंबाकू में पाया जाता है| स्वैच्छिक संगठन एवं सामाजिक संस्थाए तंबाकू निषेध दिवस (३१-मई ) पर अपना राग अलापते शायद थक सी गई है |आज भी स्थितिया वैसी ही बनी हुई है।व्यसन मुख्य परामर्श केंद्र भी जागरूकता लाने का प्रयत्न कर रही है।व्यसन मुक्ति केंद्र भी चिकित्सालय के समीप में ही होना चाहिए ताकि इलाज हेतु मरीज को एक ही स्थान पर सुविधा प्राप्त हो सके।तम्बाकू सेवन से खतरों की जानकारी ग्रामीण क्षेत्रों मे ना के बराबर है |कई बच्चे  भी तंबाकू खाने की लत के शिकार है ।उन्हें समझाइश की आवश्यकता है| वर्तमान में कई क्षेत्रो में तम्बाकू सड़कों,कार्यस्थलों,सार्वजनिक स्थानों आदि पर थूके जाने पर जुर्माना भी निर्धारित किया गया है. तंबाकू  सेवन से होने वाली  गम्भीर बीमारियो से बचाव हेतु व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाए. ताकि तम्बाकू सेवन कर्ताओं को असमय मौत का ग्रास बनने से बचाया जा सके.

तंबाकू ने बड़ा दुर्व्यसन का धारण कर लिया है| बच्चों से लेकर वृद्ध तक इसे मुख से भरे मिल जाएंगे|भोजन लार से पचता है |तंबाकू का प्रभाव रक्त पर पड़ता है|मुख से बदबू आने लगती,इसके परिणाम स्वरूप आँख की रोशनी कम हो जाना ,छयरोग ,ह्रद्य रोग ,नपुसंगता ,पागलपन ,मुँह सड़ना,कैंसर जैसी घातक बीमारिया आ सकती है | साथ ही तंबाकू मांगने की आदत पड जाती है | तंबाकू को पुर्तगीज लोग इसे यहाँ लेकर आये थे |सर्वप्रथम कोलम्बस ने अमेरिका में वहाँ के निवासियों को तंबाकू पीते देखा था|संसार का कोई भी पशु-पक्षी इसके पत्ते नहीं खाता,मुँह तक नहीं लगाता केवल एक प्रकार का कीड़ा है, जो तम्बाकू के पत्ते पर पैदा होता और पत्तों को खाता है|वैज्ञानिकों ने तंबाकू में छः प्रकार के विषों का पता लगाया है|निकोटिन,प्रुसिक एसिड, पाइरीडीन, कोलीडीन, एनोमिया, कार्बनमोनोऑक्साइड इसके अलावा और भी विष निकलने की संभावना है|तंबाकू की खेती की जाने से अनाज की खेती का अनाज उत्पादन भी प्रभावित हुआ है |पशुओं के लिए चारे का संकट दिनों दिन गंभीर होता जा रहा है |चारे का उत्पादन में कमी आने से पशुओं पर इसका प्रभाव देखा गया है|जैसे दूध का कम होना,बाजार से महंगा चारा पशुओं को पर्याप्त मात्रा में ना खिला पाना आदि कई कारण रहे है|तम्बाकू का सेवन इंसान मुख्य रूप से इन कामों के लिए करता है.ऐसा तंबाकू सेवनकर्ताओ का मानना है-शौच जाने के पहले ,भोजन करने के बाद ,रात को जागते समय ,पेट की गैस को कम करने के लिए| 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार इस प्रकार के परोक्ष धूम्रपान के कारण विश्व भर में दो लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष मर जाते है | ग्लोबल यूथ टोब्बेको  सर्वे के अनुसार परोक्ष धूम्रपान से 36 .4 प्रतिशत  बच्चे घरों में प्रभावित हो रहे है और विश्व में 70 करोड़ बच्चों को निष्क्रिय धूम्रपान का शिकार होना पड रहा है|अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन में 31 मई को नो टोबेको -डे घोषित किया है |जिसका उदेश्य तंबाकू के सेवन में कमी लाना है |इससंबंध  में किए गए प्रयास के अंतर्गत18 मई 2003 को तंबाकू के बढ़ते हुए उपयोग पर प्रतिबंध हेतु भारत सरकार ने तंबाकू नियंत्रण अधिनियम पास किया है |जिसे सन 2008 से लागु किया गया है|अधिनियम में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध है शैक्षणिक संस्थाओं के 100 गज की परिधि में तम्बाकू उत्पादन बेचने पर प्रतिबन्ध ,तम्बाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित होनी चाहिए (कई स्थानों पर लगी भी है ),सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने तथा किसी अवयस्क को तंबाकू उत्पाद बेचने के अपराध में जुर्माना हो सकता है |समस्त क़ानूनी प्रतिबंधों के उपरांत भी तंबाकू सेवन पर पूर्ण प्रतिबन्ध नहीं हो पाया है। तंबाकू सेवन पर प्रतिबंध हेतु अधिकारीयों,स्वयं सेवी संस्थानों,मिडिया,जन प्रतिनिधियों व जनता का सक्रिय सहयोग अति आवश्यक है। इन सबसे अधिक आवश्यक है आत्म नियंत्रण।

  अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू एवं धूम्रपान निषेध दिवस का मुख्य उदेश्य युवाओं,छात्र ,छात्राओं एवं जनसामान्य में बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश के लिए इसके दुष्परिणामों से अवगत करा कर जान लेवा बीमारियों से बचाना है | सामाजिक संगठनों ,स्वयं सेवी संगठनों शिक्षण संस्थानों ,नगर निकायों ,ग्राम पंचायतो ,विभिन्न शासकीय कार्यालयों द्धारा  अपने स्तर पर कार्यक्रम जैसे - वाद -विवाद ,निबंध लेखन,चित्र कला ,नाटक , काव्य गोष्ठी ,प्रश्न मंच ,गायन ,नृत्य आदि कार्यक्रम आयोजित कर जागरूकता लाने का प्रयत्न करें |तंबाकू छोड़ने के लिए अभी तक कोई दवाई,टीका इंजेक्शन या गोली कारगर नहीं साबित हुई है |पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में छोटी छोटी बातों पर अमल कर सहयोग कर सकते है | निकोटिन भी हमारे पर्यावरण को जहरीला बनाता है।महज 8 या 10 मिनट तक के परोक्ष धूम्रपान से व्यक्ति के रक्तचाप में वृद्धि, ह्रदय की धड़कनों में वृद्धि, खून की नलिकाओं में सिकुड़न जैसे घातक प्रभाव पड़ते है।धूम्रपान का धुँआ पर्यावरण औऱ इंसान की सेहत बिगाड़ रहा है। यदि व्यक्ति अपनी,अपनों की एवं सारे संसार की खुशहाली जिंदगी चाहता है तो उसे आज से ही तंबाकू का सेवन बंद कर देना चाहिए | दृढ़ इच्छाशक्ति के बिना इसे छोड़ा नहीं जा सकता है | अपनी व अपने परिवार की खुशहाली के लिए तंबाकू ,धूम्रपान से दूर रहने का प्रयत्न करना चाहिए | 

संजय वर्मा "दॄष्टि "

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