राजा शालिवाहन सिंह का वरिष्ठ जनों ने किया भव्य स्वागत
आगामी दिनों में होने वाले मांडू उत्सव को लेकर मीडिया से चर्चाएं भी की
मनावर (पवन प्रजापत) - इतिहास गवाह है प्रदेश और देश में राजाओं और योद्धाओं की विरासत रही है, साथ ही वक्त के साथ बहुत बदलाव भी हो चुका है। आज ऐसे ही रॉयल फैमिली के सोनगरा चव्हाण के वंशज शालीवाहन सिंह जामनिया का मनावर आगमन होने पर नगर के पत्रकारों व वरिष्ठ जनों ने भव्य स्वागत किया।
उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान आगामी दिनों में होने वाले मांडव उत्सव के विषय में पूछा तो उन्होंने कहा, असल में मांडव एक बड़ी रियासत है धरातल है और जनता को जितनी बातें अभी तक बताई गई है वह जानकारी कम है पूरी नहीं है। उन्होंने बताया कि रॉयल फैमिलीयों को अब कहां पूछा जा रहा है, इस बदलाव के दौर में सब कुछ मिटता दिख रहा है। उन्होंने देश और प्रदेश में बदलती पूर्व और वर्तमान सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, 800 सालों से हमारे पूर्वजो का इतिहास रहा है और वह इस क्षेत्र की धरोहर रहे है, सालों पहले सोनगरा चौहानो के आगमन पर सोनगरा किले का निर्माण हुआ था, और आज भी हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए इतिहास मेंरे पास मौजूद है। उन्होंने कहा कि मांडव की पुरातत्व धरोहर, मांडव का जो इतिहासिक पहलू है, मांडव की जो पहचान है वह आज भी मेरे पूर्वजों द्वारा दी गई हमारे पास मौजूद है जिससे कई और भी जानकारियां प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि मेरे पास कई ऐसी चीजे है जिससे यह साबित होता है कि मांडव एक बहुत बड़ी सभ्यता थी।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में पुरातत्व इमारतों को पुनः निर्मित करना चाहिए, उनके आसपास अतिक्रमण हटाकर उन्हें सुरक्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की जा रही है। लेकिन आज के दौर में पुरातत्व विभाग ने इन इमारतों और महलों को पुनः निर्मित कर धरोहर को बचाना चाहिए।
श्री सिंह ने इतिहासकारों पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करना बताया, उन्होंने कहा कि कुछ इतिहासकारों ने जिनके पास पूरी जानकारी नहीं थी उन्होंने अपनी महिमा मंडल को बनाने के लिए ये सब किया। ऐसी पहचानो को मिटाया जा रहा है।
उन्होंने खुद को सोनगरा वंशज बताते हुए कहा कि इतिहास मिटाया नहीं जा सकता है, आज भी वहा हमारी कुलदेवी आशापुरी माता का स्थापना है। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे द्वारा निर्मित देव हनुमान मंदिर है, जो हमारे द्वारा बनाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि सोनगरा किला पहले गेटवे आफ दख्खन के नाम से जाना जाता था लेकिन हम लोग सोनगरा चौहान थे जिसके लिए उसका नाम सोनगरा के नाम से जाना जाने लगा। और यह मांडव की धरोहर है।
उन्होंने अपने पूर्वजों की जानकारी देते हुए बताया कि अलाउद्दीन खिलजी जिस समय में सन 1303 में आए थे उस समय यह रियासत हमारे पूर्वजों को दी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि पहले मालवा की सल्तनत रायसेन तक थी, जो रायसेन और मांडव यह दोनों मांडव से गवन होती थी उनका राज्य मांडव से संचालित होता था, इसलिए मांडव की महत्वता ज्यादा है।
उन्होंने सरकार तक संदेश भेजने के उद्देश्य से कहा कि मांडव पुनः स्थापित होना चाहिए और किसी जमाने में वहां पर एक लाख दो लाख जनता हुआ करते थी, आज वहां 20 हजार जनसंख्या नहीं सम्भल रही है जिसका कारण पता करना चाहिए। जिन कुंड और सरायो में पानी हुआ करता था वहां तक पहुंचने की जरूरत है, वरना नहीं तो ऐसे सब कुछ खत्म हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि मांडव में पूर्व में ऐसे भी कुंड हुआ करते थे जहां से लाखों लोग पानी पिया करते थे आज उनका नामोनिशान तक नहीं है और ऐसी उपलब्धियां भी दिखाई नहीं दे रही है।
मांडव उत्सव की तैयारियों को देखते हुए उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री के आगमन पर प्रोटोकॉल का पालन है, असल में इस धरोहर को बचाने के लिए सही मुद्दों को हल करना जरूरी है। सरकार को इमारतों को लेकर गंभीरता से इस विषय पर विचार करना चाहिए, जो नेस्तनाबूद होती जा रही है। उन्हें साल में एक बार नहीं हमेशा के लिए सजाया एवं निर्मित किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मनावर नगर के वरिष्ठ जनों एवं पत्रकारगण मौजूद रहे, जिन्हें राजा शालिवाहन सिंह ने अपनी हवेली पर आने का न्योता भी दिया, जहां वह पत्रकारों को अपने यहां मौजूद पुरातत्व और पूर्वजों द्वारा दी गई वस्तुएं एव जानकारी स्पष्ट रूप से दे सके।
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