पूर्वजों के पुण्य से होता है कुल में पुण्यात्मा का जन्म | Purvajo ke punya se hota hai kul main punyatma ka janm

पूर्वजों के पुण्य से होता है कुल में पुण्यात्मा का जन्म

पूर्वजों के पुण्य से होता है कुल में पुण्यात्मा का जन्म

मनावर (पवन प्रजापत) - ज्ञान प्रचारक समिति मनावर के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत गीता पर प्रवचन करते हुए पूजा व्यास जी ने कहा कि सुचिनाम श्रीमतां गेहे योग भ्रष्टों अभी जायते गीता 6 /41 

मानस गाथा गाते हुए शिव ने शिवा को भी कहा है। कि हे भवानी वह देश धन्य है। जहां गंगा बहती है वह समय धन्य है। जिसमें सत्संग सुनने को मिलता है। और वह धन धन्य है जिस की प्रथम गति होती है और वह कुल धन्य  है .जेहि नर उपज विनीत।      रामायण

लेकिन अपने चाहने से अपनी इच्छा की पूर्ति नहीं होती है। कामना की पूर्ति भी विधि के विधान के अनुसार पूरी होती है। विधान कर्म से बनता है। अतः कर्म प्रधान है....कर्म प्रधान विश्व रचि राखा गीता में कर्म योग विशिष्यते कहा गया है।

पूर्वजों के पुण्य से होता है कुल में पुण्यात्मा का जन्म

आज किसी के पास संतान है तो संपत्ति का अभाव है। संपत्ति बहुत है पर संतान नहीं है कहीं संपत्ति संतान तो है। लेकिन स्वास्थ ठीक नहीं है कहीं-कहीं संतान संपत्ति स्वास्थ्य है। लेकिन सुमति नहीं और अगर किसी के जीवन में यह उपयुक्त चारों चीजें हैं। तो यह कहा जा सकता है। कि वह जरूर पुण्यात्मा है अतः भागवत में परीक्षित के जन्म के पूर्व उनके पूर्वजों की कथा को सुनाया जहां धर्मात्मा होते हैं। वही पुण्य आत्माओं का जन्म होता है। कल कथा  में धूमधाम से कृष्ण जन्म बनाया जाएगा।

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