सच्ची विधा वह है जो दूसरों का मन्नन करे, सच्चा धनवान वह है जो दीन दुखियों की सेवा करे - भागवताचार्य देवी संध्या जी
भिंड (मधुर कटारे) - भागवत कथा में देवी संध्या जी ने सप्तम कथा में महिलाओं को बताया माता बहनो को हमेसा हिर्दय में सेवा भाव करूणा प्यार सम्मान रखना चाहिए तभी हम ईस्वर की कृपा के सार्थक बनकर दुनिया मे कष्ठ से मुक्ति पा सकते है ,सास का बहु के साथ आदर मान बहु का ननद ,बेटी देवर ससुर सास जिठानी देवरानी के साथ प्यार सम्मान हमेसा बना कर रखना चाहिए तब हम ईस्वर की कृपा के हकदार बनते है ,देवी संध्या जी ने माँ रुक्मणि लष्मी जी की कथा का वर्णन किया भगवान कृष्ण की आठ पटरानियों का नाम और उनके चरित्र को बताकर श्रोताओ को मन्त्र मुग्ध कर दिया ,भजन गा कर पंडाल को भक्ति का स्मरण कराया ।
हे लाडली सुन लीजो हमारी हे राधा रानी हे श्यामा प्यारी कब होगी मो पे कृपया तुम्हारी हे राधा रानी हे श्यामा प्यारी,
देवी संध्या जी ने कथा में कहानी सुनाकर भक्तो के हिर्दय में मदद का भाव जगाया देवी संध्या जी ने कहा हम राष्ट्रीय की मंगल कामनाओ का गायन करते है लेकिन हमारा कर्तव्य भी ऐसे राजा का राजतिलक करने का भाव होना चाहिए जो जन जन तक लाभ पहुचाये जन जन की सेवा का कर्तव्य पूर्ण करे सिँह के जैसा हो जो हर पल अपने जन जन की रक्षा करे ऐसा राजा ऐसा जन नायक हमे चुनना चाहिए, राजा भामोसुर को जन जन ने अपना राजा तो बनाया लेकिन उस दुष्ट राजा ने अपनी प्रजा पर अत्याचार किया कुँवारी यूब्तियो को अपने कारागार में बंद कर लिया और हर एक यूब्तियो से विवाह रचाने का पाप करने लगा था तब भगवान ने अवतार लेकर श्री कृष्ण ने उस राजा का संहार किया और सारी कन्याओ को रिहा कराया तब उन सभी यूब्तियो ने भगवान कृष्ण से शादी का भाव रखा और ऐसे भगवान की 16हजार 108 रानीयों से विवाह हुआ ,देवी संध्या जी ने कथा में सुदामा चरित्र की कहानी का भी वर्णन किया और मित्रता के लक्षण बताये मित्र बह नही जो जुआ शराब विवाद ओर अन्य बुरे कार्यो में शामिल होने के लिए मित्रों का नाम लेता हो मित्र तो बह है जो हमेसा दुख में भी अपने मित्र का साथ हमेसा देता हो मित्र की हर परेशानी में शामिल हो मित्र को सच्चे ओर अच्छे रास्ते पर चलने की सीख देता हो ठीक उसी प्रकार जैसे भगवान कृष्ण ने सुदामा को सदमार्ग का रास्ता दिखाया ओर उनके दुखों को दूर किया ,भजन गा कर ईस्वर की भक्ति का स्मरण कराया ,दे दो अपनी नोकरी मुझको भी एक बार बस इतनी तन्खा दे दो मेरा सुखी रहे संसार ,कथा में कृष्ण और बहिलिये की कहानी सुनाकर भागवत कथा का सप्तम दिवस पर भागवत कथा का समापन किया ,देवी संध्या जी ने सभी भक्तों को कथा का सार सुनाकर धन्यवाद दिया।
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