10 दिवसीय साधना शिविर का हुआ समापन, सहयोगियों का बहुमान | 10 divasiy sadhna shivir ka hua samapan

10 दिवसीय साधना शिविर का हुआ समापन, सहयोगियों का बहुमान

सत्य साधना मार्ग पर चलने से हमारा जीवन महकते फूलों का गुलदस्ता बन जाता है-श्री जिनचंद्र सूरीजी मसा 

10 दिवसीय साधना शिविर का हुआ समापन, सहयोगियों का बहुमान

रतलाम (यूसुफ अली बोहरा) - आचारांग सूत्र प्रभु महावीर की वाणी अपने में समेटे हुए है। आगमों में प्रविष्ट आगम- अंग प्रविष्ट व अंग बाह्य से जाने जाते हैं ।इनमें सर्वोपरि है आचारांग सूत्र।अपने भीतर सत्य है उसे जानो, खोजो, तलाशो। उसे पाना, जीवन जीना है तो अपने भीतर खोजना होगा। मैत्री भाव हर प्राणी के साथ में रखना होगा। मनुष्य मात्र के साथ तो रखनी ही होगी, जीव मात्र में भी। स्पष्ट निर्देश है- समाधि की अवस्था में रहना। समता की अवस्था में रहना होगा। समाधि में रहने की प्रभु की वाणी स्पष्ट है कि अप्रमत्त रहना। आलस्य, बेहोशी, नींद नहीं, सजग अवस्था में रहना होगा। निरंतर साधना के मार्ग पर चलना होगा। समुद्र में जितनी गहरी डुबकी लगाते हैं हम उतने अनमोल मोती मिलते हैं। शरीर को नौका बना लो और मन को नाविक बनाकर संसार भवसागर को पार करने का मार्ग है सत्य साधना। इसके लिए इस रास्ते पर तुम्हें बढ़ना होगा। संसार सागर है,इसमें कहीं विश्राम की जगह नहीं। नौका व नाविक मिले तो ही विश्रांति का एहसास हो सकता है। साधना के मार्ग पर चलना ही होगा। रतलाम वास्तव में रत्नों की पुरी है। स्वर्ण की शुद्धता प्रामाणिक है। यह प्रेम की साख के लिए भी जाना पहचाना जाता है। सत्य साधना जैसी कठिन तपस्या में सभी सदाचारों का पालन होता है। सुबह से शाम तक 1 मिनट पहले आओ और 1 मिनट बाद जाओ। जो इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं वे  पालने पडते हैं।सत्य साधना मार्ग पर चलने से हमारा जीवन महकते फूलों का गुलदस्ता बन जाता है। हमारे जीवन में ही नहीं, सारे समाज, राष्ट्र में महक फैल जाती है।यह जिंदगी का कायापलट कर देती है। वसुधेव कुटुंबकम् की भावना बढ़ती है। हर जीव, प्राणी से क्षमा याचना करते हैं। हर घटना को हम सकारात्मक रूप से देखने लग जाते हैं। नकारात्मकता दूर होती जाती है। देवी- देवताओं की पूजा- अर्चना का दृष्टिकोण भी सही हो जाता है। सत्य साधना की प्राप्ति सिर्फ मनुष्य जीवन में होना है और भक्ति भाव से आगे बढ़ते हैं। सत्य साधना का मार्ग अंतर्जीवन में तरह- तरह के परिवर्तन करता है।

   उक्त उक्त प्रेरक प्रवचन खतरगच्छाधिपति ,सत्य साधना प्रेरक श्री श्री पूज्य श्री जिन चंद्र सूरी जी महाराज यहाँ ने रविवार को सेठिया मैरिज गार्डन पर 10 दिवसीय साधना शिविर के समापन अवसर पर उपस्थित साधक साधिकाओ एवं गणमान्य नागरिकों के बीच कहे । समापन अवसर पर पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी विशेष रूप से उपस्थित रहे ।

भावी यतिनी अंजलि राखेचा ने कहा कि सत्य साधना की ढाल हमेशा हमारी रक्षा करती है। कोई बिखर जाता है तो कोई निखर जाता है। निरंतर साधना करने से मजबूती आती है।

    भावी यति विकास चौपड़ा ने कहा कि सत्य साधना मार्ग पर चलने का गुरुदेव का हम सभी पर अनंत उपकार है और इस साधना के माध्यम से हम अपने जीवन को उत्कर्ष की ओर ले जा सकते हैं।

यति अमृत सुंदर सूरी जी ने कहा शिविर से हमने क्या सीख यह सोचना जरूरी है। अपनी आदतों में जकड़े होकर हम उसके हिसाब से चलते हैं ।

समापन   अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित एसपी गौरव तिवारी ने कहा सत्य साधना साधक साधिकाओं को  बधाई देते हुए कहा हम अपनी व्यक्तिगत छवि को नहीं पहचान पाते। समाज के बीच जो चीजें हम ढूंढते रहते हैं वह शांति सुकून हमारे ही अंदर है हम जन्म से मृत्यु तक साथ देने वाली सांस के बारे में जान लें व उस पर नियंत्रण करने की कला आ जाए तो सफलता है। मैं भी निकट भविष्य में यह साधना करने की इच्छा रखता हूं। 

राजोद से आए असीम साहब ने कहा कि सत्य साधना का यह प्रथम अवसर है। इसे मैंने महसूस किया है। जिस तरह से किसी को गुड खिलाकर उसका स्वाद पूछने पर बस वह मुस्कुराहट उसके चेहरे की ही पहचान होती है, वही इस सत्य साधना का भी अनुभव है।

 खरतरगच्छ श्रीसंघ रतलाम के अध्यक्ष मनसुख चौपड़ा,कांतिलाल चौपड़ा ने अपने उद्बोधन में महिदपुर श्री संघ की सराहना की। परिधि धारीवाल ,कोलकाता की प्रीती दीदी सेठिया मैरिज गार्डन के बाबूलाल सेठिया ने भी अपना उद्बोधन दिया। अष्टापद तीर्थ अध्यक्ष आजाद सिंह ढडा, नागेश्वर तीर्थ के धर्मचंद जैन, खरतरगच्छ संघ जावरा अध्यक्ष प्रदीप चौधरी, इंदौर खरतर गच्छ  संघ अध्यक्ष जयंती संघवी मोहनखेड़ा तीर्थ के महासचिव फतेह लाल कोठारी का बहुमान हुआ। 10 दिवसीय इस शिविर की सफलता में प्रत्यक्ष परोक्ष योगदान देने वालों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। 10 दिवसीय शिविर के दौरान मीडिया का दायित्व निभाने पर जवाहर डोसी  शिरीष  सकलेचा, राजेंद्र कोठारी का भी गुमान कर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। सुरेंद्र डागा,शालिनी बोथरा, सुभाष धारीवाल, अजय धारीवाल,अनिल राखेचा, नरेंद्र नाहर,  जयंतीलाल धूपिया नलखेड़ा, आदि सभी महानुभावों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई। कमला बाई बाफना ने अपने विचारों को प्रस्तुत कर खूब सराहना पाई।  शिरीष सकलेचा ने बताया कि समापन अवसर पर प्रदेश के अलावा विभिन्न राज्यों के साधक साधिका भी यहां उपस्थित हुए। कई साधक साधिका अपने परिजनों को 10 दिनों बाद मिलकर प्रफुल्लित हो गए। स्वामीवात्सल्य का आयोजन भी हुआ।  कार्यक्रम का संचालन सुनील डागा ने किया।

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