माचना पुनर्जीवन अभियान के तहत माचना घाट पर चला स्वच्छता अभियान | Machna punarjivan abhiyan ke tahat machna ghar pr chala

माचना पुनर्जीवन अभियान के तहत माचना घाट पर चला स्वच्छता अभियान

माचना पुनर्जीवन अभियान के तहत माचना घाट पर चला स्वच्छता अभियान

बैतूल - की जीवन रेखा माचना नदी के पुनर्जीवन अभियान के अन्तर्गत सोमवार को फिल्टर प्लान्ट माचना घाट पर एक सभा आयोजित की गई, जिसमें बैतूल नगर की पर्यावरणीय, सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। सभा के पूर्व सभी श्रमदानियों ने नदी के तट व घाट की साफ-सफाई की गई। नदी में उग आई खरपतवार तथा अपशिष्ट को श्रमदानियों ने बाहर निकाला।

श्रमदान के पश्चात आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए माचना पुनर्जीवन अभियान से जुड़े पर्यावरण कार्यकर्ता श्री मोहन नागर ने कहा कि भारत का हर शहर व गाँव नदियों व सरोवरों की किनारे बसा है, क्योंकि बिना जल के जीवन सम्भव नहीं हैं। हमें नदियों के प्रति पूज्य भाव तो याद रहा किन्तु उसके जीवतन्त्र को भूलने से नदी किनारे वृक्षविहीन होते गये, जिसके कारण हमारी सदानीरा नदियाँ फरवरी-मार्च में ही सूखने लगीं। अगर नदियों को पुन: सदानीरा बनाना है तो उसके सम्पूर्ण बेसिन क्षेत्र में वर्षाजल संरक्षण के लिये काम करना होगा। इसके लिए केवल शासन को ही नहीं, बल्कि उसके साथ सामाजिक संगठनों और आम समाज को मिलकर एक त्रिवेणी के रूप में कार्य करना होगा। सहायक कलेक्टर श्री अंशुमन राज ने कहा कि भवन निर्माण के साथ वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दिया जाना चाहिए जिससे भूगर्भ में जल पहुंचाया जा सके, क्योंकि वर्षा के 2 माह तक ही जमीन को जल प्राप्त होता है। फिर वर्ष भर उसे जल वापस करना होता है ऐसी परिस्थिति में हम अधिक से अधिक जल भूगर्भ में पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं में आमजन के सुझाव पर अगले एक वर्ष 600 नई जल संरचनाएं माचना बेसिन में बनायेंगे। उन्होंने कहा कि नागरिकों के द्वारा दिये गये सुझावों का शासन स्तर पर अमल करेंगे। अखिल विश्व गायत्री परिवार के जिला समन्वयक डॉ. कैलाश वर्मा ने कहा कि नदिया मां की तरह पोषण करती हैं, हमें भी उसके तटों को पोषित करना चाहिए। पूर्व सांसद श्री हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि यह जन जागरण का विषय है, शासन-प्रशासन की ओर ना देख कर जनमानस को नदी के सुध लेनी चाहिए। श्री सुनील द्विवेदी ने संस्थाओं और परिवार के द्वारा स्वच्छता हेतु नदी के तट गोद लेने का सुझाव दिया। श्री अनिल राठौर द्वारा नदी के एक चिन्हित भाग को गोद लेने का संकल्प किया गया। श्री प्रवीण गुगनानी ने माचना के तट को तात्या टोपे जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से जोडक़र नदी पुनर्जीवन के बिंदुओं को प्रस्तुत किया। श्री अतीत पंवार सुझाव देते हुए कहा कि वर्षा का जल भूगर्भ से निकालने का साधन प्रत्येक घर में है परंतु पुनर्भरण की व्यवस्था कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि छतों के पानी को अनिवार्य रूप से भूगर्भ में पहुंचाया जाना आवश्यक है। पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही संस्था ग्रीन टाइगर के श्री सुरेन्द्र धोटे ने तटों के संकुचित होने पर चिंता व्यक्त की और अर्जुन, गूलर जैसे जलधारी पौधों को रोपने की सलाह दी। अन्य सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए जिसमें शहर के गंदे पानी का नियोजन करने जैसे सुझाव प्रमुख हैं। कार्यक्रम का संचालन श्री अमोल पानकर द्वारा किया गया। सभा के पश्चात अतिथियों द्वारा फिल्टर प्लान्ट पर पौधारोपण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उप प्रधान जिला पंचायत श्री नरेश फाटे, श्री बबलू दुबे, श्री आनंद प्रजापति, श्री प्रदीप खण्डेलवाल, श्री अतीत पवार, श्री प्रवीण गुगनानी, श्री संजू सोलंकी, श्री दीपक कपूर, श्री मोतीलाल कुशवाह, श्री पंजाबराव मगरदे, श्री संजीव शर्मा, श्रीमती लीना ठेमस्कर, श्री पिंटू परिहार, श्री राजेश आहूजा, श्री विक्रम वैध, श्री राजेश शर्मा, श्री दीपक मालवीय, श्री रवि शंकर पारखे, श्री अनूप वर्मा, श्री अजय पंवार, श्री आशीष पटैया, श्री मनीष धोटे, ग्रीन टाइगर्स के सदस्यों सहित 150 से अधिक विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। आगंतुक नागरिकों का आभार श्री आनंद प्रजापति ने व्यक्त किया।

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