आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का समापन | Acharya rishabhchandra surishwarji ms ke mahapunyotsav ka samapan

आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का समापन

प्रभु अभिषेक, पूजन, आंगी-भक्ति हुई

तेज बारिश पर भारी पड़ी गुरु की श्रद्धा, श्रद्धालुओं का आया सैलाब

आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का समापन

राजगढ़/धार (संतोष जैन) - गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव में हुई गुणानुवाद सभा में तेज बारिश के दौर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा कम नहीं पड़ी । मुम्बई, अहमदाबाद, बैंगलोर, भीनमाल, जालोर, बांसवाड़ा, सियाणा, थराद, इन्दौर, उज्जैन, बदनावर, बड़नगर, खाचरौद, खरसौदकलां, नागदा जं., जावरा, रतलाम, मन्दसौर, नीमच, झाबुआ, थांदला, मेघनगर, निसरपुर, राणापुर, बाग, टाण्डा, कुक्षी, धार, राजगढ़ सहित 50 से अधिक श्रीसंघों की उपस्थिति में गुरुभक्तों ने अपने लाडले ‘‘गुरु ऋषभबाबजी‘‘ की प्रतिमा पर  श्रद्धासुमन के साथ पुष्प अर्पित किये।

आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का समापन

परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि आचार्यश्री हमेशा मानवसेवा, जीवदया व जिनशासन के कार्यो में सदैव अग्रणी रहते थे । शरीर में कई बिमारीयां होने के बाद भी अपने स्वास्थ्य के बारे में कभी नहीं सोचा और हमेशा दूसरों की भलाई करते करते स्वयं कोरोना की चपेट में आ गये और देवलोक की ओर प्रस्थान कर दिया । आचार्यश्री ने अपने अंतिम समय में कोरोना के मरीजों के लिये 300 बिस्तर वाला कोविड केयर सेन्टर शुरु करवाया था और क्षेत्र के लोगों को सुविधा प्रदान की । वे जैन के ही नही जन जन के गुरुदेव थे । उन्होंने जरुरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीने, विकलांगों को बेटरी चलित वाहन, ट्राईसिकल अपने हर जन्म दिवस के अवसर पर उपलब्ध कराये । इस अवसर पर मुनिराज श्री वैराग्ययशविजयजी म.सा. ने कहा कि वे मुझसे बहुत स्नेह रखते थे नियमित रुप से मैं जब भी वंदन हेतु जाता तो वे मुझसे दिल की बात किया करते थे । मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि मुझे गुरुदेव के पास 3 से 4 वर्षो तक सेवा करने का अवसर मिला और मेने उनकी सेवा पूरे तन्मय भाव से की । इस अवसर पर साध्वी श्री विरागयशाश्रीजी म.सा. आदि साध्वीवृंदों ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।

आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का समापन

कार्यक्रम में पधारे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री देवेन्द्र पाटीदार ने कहा कि मैं आचार्यश्री से दो वर्षो तक लगातार सम्पर्क में रहा । आचार्यश्री पुलिस विभाग को हर मामलों में काफी सहयोग करते थे । हमारे विभाग की कई बैठके श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आयोजित हुई । उनका जाना पुलिस विभाग और मेरे निजी जीवन में बहुत बड़ी क्षति है । हम उनके सदा ऋणी रहेगें । इस अवसर पर तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ ने कहा कि आचार्यश्री का बाल्यकाल भले ही सियाणा में रहा हो बहुत छोटी उम्र में उनकी माताश्री अपने दोनों पुत्रों नथमलजी एवं मोहनजी को आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. को समर्पित कर दिया था व स्वयं ने दीक्षा ले ली । कुछ अंतराल बाद नथमलजी मुनि रवीन्द्रविजयजी म.सा. बने । अपने अंतिम क्षणों में आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने मोहनजी को मुनिराज श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. के नाम से दीक्षित किया । मगराजजी के परिवार से यह दोनों पुत्र त्रिस्तुतिक जैन परम्परा में आचार्यपद तक पहुंचे । आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने समाजसेवा के हर क्षेत्र में काम किया । श्री विद्या सहकारी साख संस्था की स्थापना की । श्रीसेठ ने साख संस्था की ओर से जीवदया हेतु गौशाला को दान की घोषणा की । मेघराज जैन ने कहा कि हमें गुरुदेव द्वारा आरम्भ किये अधुरे कार्यो को पुरा करना है । यह हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है ।

आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के महापुण्योत्सव का समापन

आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की नवनिर्मित पाषाण प्रतिमा के समक्ष एक गुरुभक्त की और से नागदा श्रीसंघ के श्री सुनिलजी कोठारी ने गहुंली की । प्रतिमा पर प्रथम वासक्षेप पूजा का लाभ श्री संतोष नाकोड़ा झाबुआ एवं श्री शैलेष अम्बोर ने लिया । प्रभुजी व दादा गुरुदेव एवं आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की आरती एक परम भक्त की ओर से थांदला श्रीसंघ द्वारा उतारी गयी । कार्यक्रम में तीर्थ के उपाध्यक्ष पृथ्वीराज सेठ, मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, ट्रस्टी- शांतिलाल साकरिया, जयंतिलाल बाफना, मांगीलाल पावेचा, मेघराज जैन, संजय सराफ, बाबुलाल डोडियागांधी, आनन्दीलाल अम्बोर एवं महामण्डलेश्वर श्री मनमोहनदास त्यागी ‘‘राधे राधे बाबा‘‘ विशेष रुप से उपस्थित रहे ।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में गुरु गुण इक्कीसा का पाठ मुनि भगवन्तों ने करवाया । कार्यक्रम में ‘‘अनमोल वचन‘‘ तथा ‘‘ऋषभ राज की भक्ति से मिलेगी मुक्ति‘‘ पुस्तको का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया । जावरा श्रीसंघ सहित आये हुऐ श्रीसंघों ने मुनिश्री से वार्षिक क्षमायाचना की । झाबुआ से मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. एवं नागदा से मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा. द्वारा भेजे गये पत्रों का वाचन भी किया गया । कार्यक्रम का संचालन पंकज जैन धार ने किया एवं संगीतमय प्रस्तुति देवेश जैन मोहनखेड़ा ने दी ।

दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का महापुण्योत्सव 11 से 18 सितम्बर तक श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वाधान में मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज वैराग्ययशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विमलयशाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में हुआ ।

पुण्योत्सव के अंतिम दिन का सम्पूर्ण लाभ श्री बाबुलाल धनराजजी डोडियागांधी परिवार धुम्बड़िया द्वारा लिया गया । जिन मंदिर, गुरु समाधि मंदिर एवं आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के समाधि स्थल पर पुष्प एवं विद्युत सज्जा की गई ।


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