महारुद्राभिषेक के साथ सम्पन्न हुआ एक माह चला अनुष्ठान | Maharudrabhishek ke sath sampann hua ek mah chala anushthan

महारुद्राभिषेक के साथ सम्पन्न हुआ एक माह चला अनुष्ठान 

श्रावण माह में एक माह तक चला लघुरुद्राभिषेक

प्रतिदिन अलग-अलग द्रव्यों से हुआ भोलेनाथ का अभिषेक

महारुद्राभिषेक के साथ सम्पन्न हुआ एक माह चला अनुष्ठान

धरमपुरी (गौतम केवट) - धार जिले की तहसील धरमपुरी नर्मदा के बीच बेंट (टापू) पर स्थित श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के अभिषेक का अत्यंत महत्व बताया गया है। इस स्थान पर किए के अनुष्ठान का कई गुना फल साधक को मिलता है। जिसके चलते यहां सदियों से कई धार्मिक अनुष्ठान होते आये है। श्रावण माह में कई श्रद्घालु यहां भगवान श्री बिल्वामृतेश्व महादेव के अभिषेक के अभिषेक के लिए दुर-दुर से पहुंचते है। इसी कड़ी में पुरे श्रावण माह में चला लघुरुद्राभिषेक अनुष्ठान की पूर्णाहूति महारुद्राभिषेक के साथ हुई।

महारुद्राभिषेक के साथ सम्पन्न हुआ एक माह चला अनुष्ठान

पुरे श्रावण माह में पंडित राघवेन्द्र जोशी के नेतृत्व में श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव का लघुरुद्राभिषेक किया गया। गुरुपूर्णिमा से प्रारंभ हुआ यह अनुष्ठान गत सोमवार को महारुद्राभिषेक के साथ सम्पन्न हुआ। ११ विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा सस्वर रुद्रपाठ किया गया। जिससे पुरे वातावरण मंत्रोच्चार से गुंजायमान हो उठा। मंत्रोच्चार के साथ स्वयंभू भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव का सहस्त्र दुग्धधारा के साथ विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक किया गया। पूर्णाहूति अनुष्ठान प्रातः १० बजे से शाम ५ बजे तक चला। नगर के विद्वान पंडित संतोषचन्द्र जोशी, पं.विश्वनाथ व्यास, पं.प्रवीण जोशी, पं.विरेन्द्रकुमार व्यास (बबलु भाई), पं.योगेश नेगी (महेश्वर) सहित कई विप्रजन एवं संत शामिल हुए।

महारुद्राभिषेक के साथ सम्पन्न हुआ एक माह चला अनुष्ठान

विभिन्न द्रव्यों से हुआ एक माह तक अभिषेक- पं.राघवेन्द्र जोशी ने बताया कि श्रावण माह में प्रतिदिन अलग-अलग द्रव्यों व वस्तुओं से भगवान भोलेनाथ अभिषेक किया गया। प्रतिदिन ११ ब्राह्मणों के द्वारा रुद्रपाठ किया गया, जिसमें नगर सहित अन्य नगरों के करीब १२१ यजमानों के द्वारा पुजन किया गया। भगवान का दुध, दही, घी, शहद, भस्म, भांग, इत्र, फलों के रस, हल्दी, पंचगव्य, तीर्थ व समुद्र जल सहित रजत व स्वर्ण भस्म से अभिषेक किया गया। साथ ही पूर्णाहूति पर सहस्त्र दुग्धधारा से पहली बार भगवान का अभिषेक किया गया।

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