आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. का 11 वां पुण्य दिवस गुणानुवाद के साथ मनाया
राजगढ/धार (संतोष जैन) - दादागुरूदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. की पाटपरम्परा के षष्टम गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. का 11 वां पुण्योत्सव गुणानुवाद सभा के रूप में राजेन्द्र भवन राजगढ में मुनिराज श्री पीयुषचन्द्रविजयजी म. सा., मुनिराज वैराग्ययशविजयजी म. सा., साध्वी श्री तत्वदर्शनाश्रीजी म. सा., साध्वी श्री मनीषरसाश्रीजी, साध्वीश्री हर्षवर्धना श्रीजी, और साध्वीश्री विरागयशाश्रीजी आदि ठाणा की निश्रा में गुणानुवाद सभा के साथ मनाया गया । गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य मुनि श्री पीयुषचन्द्रविजयजी म. सा. ने आचार्यश्री के गुणानुवाद में कहा कि आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. हमेशा सत्य के मार्ग पर चले और हमेशा अपनी ध्यान साधना में रत रहते थे । प्रतिक्रमण में हमेशा सुत्रों का स्पष्ट उच्चारण करवाने के पक्षधर थे । वे काफी सहज ओर सरल स्वभावी थे । मुनिराज श्री वैराग्ययशविजयजी म. सा. ने कहा वो आज हमारे बीच में नहीं है पर भक्तों के भावो से लगता है कि गुरूदेव आज भी हमारे बीच में है वे सूक्ष्म चारित्र पालक थे । गुरू वो होते है जो शिष्य की मुर्छा को भगाकर उसे जागृत अवस्था में ले आवे । इस अवसर पर साध्वी श्री तत्वदर्शनाश्रीजी म. सा. ने कहा आचार्यश्री का जन्म राजस्थान के बागरा नगर में हुआ । दृढ वैराग्य के कारण 1991 में उन्होने प्रवज्या अंगीकार की । उनकी बाल्यावस्था में ही गुरू चरणों में समर्पित होने की भावना थी । विनयवान होने के कारण अपने गुरू के काफी नजदीक रहे और गच्छाधिपति पद तक पहुचे । साध्वी श्री मनीषरसाश्रीजी म. सा. ने कहा गुरू का सानिध्य ही आत्मा का कल्याण करना है । साध्वीश्री विरागयशाश्रीजी ने कहा उनका जीवन अपने आप में अमुल्य था । गुरू दिपक का कार्य करने है । उन्होंने नगर -नगर, डगर-डगर ज्ञान का प्रकाश फैलाया । इस अवसर पर बाबुलाल मामा, अनिल खजांची, संतोष चत्तर, संतोष लोढा आदि ने गुरू को भावांजली अर्पित करते हुए अपने जीवन के संस्मरण सुनाए।
श्री मोहनखेडा महातीर्थ पर आचार्यश्री हेमेन्द्रसुरीश्वरजी म. सा. के समाधि मंदिर पर पुष्प से सजावट की गई । भक्तों ने पुजा अर्चना के साथ गुरूदेव की आरती उतारी ।
इस अवसर पर राजगढ श्रीसंघ ने प्रकाशचंदजी बाबुलालजी कोठारी, दत्तीगांव वालों की ओर से दीपक एकासने का आयोजन किया गया साथ ही आयंबिल तप भी रखे गये । दीपक एकासने के लाभार्थी कोठारी परिवार का बहुमान राजगढ श्रीसंघ की ओर से पुखराज मांगीलालजी मेहता परिवार द्वारा किया गया । मुनिराज पीयुषचन्द्रविजयजी म. सा. की प्रवचन वाणी से प्रेरित होकर गादिया परिवार की श्रीमती पिंकी सुमित गादिया ने महामृत्युंजय मासक्षमण तप का संकल्प किया था आज तपस्वी का 36 वां उपवास है और शनिवार को श्री मोहनखेडा महातीर्थ ट्रस्ट के तत्वाधान में तपस्वी का बहुमान श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढी (ट्रस्ट), श्री मोहनखेडा तीर्थ एवं राजगढ श्रीसंघ की ओर से धर्म सभा में किया जायेगा ।