ग्राम पंचायत टांडा की तानाशाही प्रवृत्ति से गांव हुआ बेहाल
टांडा (यश राठौड़) - चुनावी अवसर आते हैं तब सेवा के एवं जनहित के बड़े-बड़े वादे करने वाले उम्मीदवार नेता पंचायत में पदारूढ़ होने के बाद मुंह छिपाते फिरते हैं।*
*शासन प्रशासन के द्वारा ग्राम हित में लाखों रुपए की अनेक योजनाएं आती है, परंतु सभी की सभी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है, मूलभूत सुविधाओं के लिए भी आम जनता आज तक तरस रही है।*
*ग्राम पंचायत में पदस्थ जिम्मेदार व्यक्ति जो सेवा एवं दूरदृष्टिता की बातें करते रहते हैं, गांव में न तो पीने का पानी उपलब्ध करवा पाए और ना ही गली मोहल्ले में अंधेरे को दूर करने की व्यवस्था करवा पाए। हां ये बात गौरतलब है इन सारी व्यवस्थाओं के नाम पर लाखों रुपए के फर्जी बिल मनगढ़ंत तरीके से लगाकर लाखो रुपए निकलते रहे हैं।*
*ग्राम टांडा में आए दिन चोरों का आतंक बना रहता है और स्ट्रीट लाइट बंद होने से उन्हें हाथ साफ करने में और आसानी हो जाती है, लगातार कई दिनों तक नल में से पानी नहीं आने के कारण लोगों को महंगे टैंकर डलवा करके अपने घर पर पानी की आपूर्ति स्वयं ही करना पड़ती है।ग्राम के मुख्य सड़क की पाइप लाइन 7 साल से खराब पड़ी है।*
*ग्राम प्रधान, उप सरपंच प्रतिनिधि एवं सचिव की तानाशाही के आगे ग्राम की भोली-भाली जनता लाचार हो चुकी है।*
*5 साल पूर्ण होने के बाद वैश्विक महामारी के चलते ग्राम पंचायत को 1 साल से अधिक का समय बोनस के रूप में भी मिला था,पर पूरी तरह से विश्वास खो चुकी ग्राम पंचायत के जवाबदार लोगो ने जनसेवा की जगह केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।*
*देखते है जनता के धैर्य की परीक्षा कब तक ली जाती है, और कब तक शासन - प्रशासन की आंखो मे धूल झोंका जाता रहेगा।*