चौथे चरण नहर में सात साल से 119 गांव के किसान पानी आने की संघर्ष व तपस्या कर रहे हैं | Chouthe charan nahar main sat saal se 119 ganv ke kisan pani aane ki sangharsh
चौथे चरण नहर में सात साल से 119 गांव के किसान पानी आने की संघर्ष व तपस्या कर रहे हैं
सात साल में 2400 सौ करोड रुपए का किसानों का नुकसान जिम्मेदार कौन
मनावर (पवन प्रजापत) - चौथे चरण नहर में 7 साल से 119 गांव के किसान पानी आने की संघर्ष और तपस्या कर रहे हैं। फिर भी पानी नहीं मिल पा रहा है 119 गांव के किसानों को मेन नहर में लिकेज के नाम पर बार-बार किसानों को गुमराह किया जा रहा है। मायरो का काम 70 से 80 परसेंट काम अधूरा है। माइनर लौणी, जाटपुर व अजंदीमान माइनर लगभग80 परसेंट काम अधूरा है इन माइनरो
का ना तो चौकीदार है और ना एसडीओ कौन है। और ठेकेदार व इंजीनियर भी इस और ध्यान नहीं दे रहे हैं।
किसानों से संबंधित जो ओमकारेश्वर चतुर्थ चरण नहर परियोजना ग्रुप टू के बारे में भी लिखा है पिछले दिनों से कोई लीकेज ( चेंबर ) ग्राम रालामंडल गांव में 84 किलोमीटर पर जो लीकेज हुआ था ।उस पर रिपेयरिंग कार्य चालू हो गया है। अब यह देखना है कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार की जो योजना है। कि किसानों को 2024 तक आय दोगुनी करना है। उसी क्रम में मध्यप्रदेश शासन में भी अनेक सारी नर्मदा परियोजनाएं चल रही है ।उनमें से एक परियोजना यह भी है ।इस परियोजना से 119 गांव के किसानों की 30000 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होना है। वह 119 गांव के किसानों की 1 साल में 600 करोड़ की फसल का उत्पादन होना है। यह परियोजना 2013-14 से चालू होना था। लेकिन आज तक चालू नहीं हो पाई पिछले 7 वर्षों में किसानों का ₹2400 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन क्योंकि NVDA विभाग के अधिकारी दो-तीन साल से सिर्फ टेस्टिंग में ही अपना समय व्यतीत कर देते हैं। और किसानों तक पानी नहीं पहुंचाते हैं और किसानों ने इस परियोजना को चालू करवाने के लिए अनेक बार अधिकारियों से मुलाकात करें लेकिन कुछ भी हल नहीं निकला जुलाई 2020 को भी किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर महोदय आलोक कुमार जी से मिला था और उन से निवेदन किया था। या आप एक बार इस नहर का परीक्षण कीजिए क्योंकि इससे पहले भी कितनी बार किसानों का प्रतिनिधिमंडल धार जाकर कलेक्टर महोदय से मिल चुका है। लेकिन धार कलेक्टर महोदय ने आज तक नहर का निरीक्षण नहीं किया है। रहा सवाल जन नेताओं का【विधायक व सांसद】 का तो यहां पर सभी नेता किसानों के बारे में बोलते जरूर है। कि हम किसानों व आदिवासियों का भला करेंगे ।लेकिन आज तक ऐसा हुआ नहीं है। क्योंकि 70% जनसंख्या आदिवासी छोटे व सामान्यआदिवासी किसान परिवार से हैं । और रहा सवाल यहां के आदिवासी संगठन जयस का जयस के राष्ट्रीय संरक्षक विधायक डॉ. हीरालाल जी अलावा लेकिन वह भी ना जाने क्यों इस परियोजना के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं ।क्योंकि यह परियोजना धरमपुरी, मनावर और कुक्षी तहसील तक हैं। और इन तीनों तहसीलों में तीनों विधानसभा आती है। लेकिन एक भी विधायक आज तक किसानों के साथ खड़ा नहीं हो रहा है।
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