भजन संध्या के साथ हैप्पीनेस कार्यशाला का हुआ समापन | Bhajan sandhya ke sath happyness karyashala ka hua samapan
भजन संध्या के साथ हैप्पीनेस कार्यशाला का हुआ समापन
खलघाट (मुकेश जाधव) - चार दिवसीय हैप्पीनेस कार्यशाला समापन हुआ जिसका समय सुबह 6 बजे से 9 बजे तक था आर्ट ऑफ़ लिविंग के श्री श्री रविशंकर जी की सुदर्शन क्रिया का कोर्स श्री श्री रविशंकर जी के शिष्य एव हेपिनेश कार्यशाला के शिक्षक अरुण महेंद्रू एवं नीलेश मोरे द्वारा गायत्री शक्तिपीठ खलघाट में करवाया गया। अंतिम दिन समापन के अवसर पर रात्रि में भजन संध्या के द्वारा भजनों की सुमधुर प्रस्तुति दी गई। हेप्पीनेश कार्यशाला का कोर्स करने वाले कैलाश चौहान द्वारा बताया गया कि इस कार्यक्रम में शरीर एवं मन का भी शोधन हु है ,आध्यात्मिक अनुभव के साथ जीवन जीने के तरीकों पर भी बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई जो जीवनभर काम आयेगी। वही नारायण सिंह चौहान अधिवक्ता द्वारा इस अनुभव को साझा करते हुए शिक्षकद्वय द्वारा दिये गए सूत्रों के सम्बंध में बताते हुए कहा कि कार्यशाल में वैसे तो कई जीवनोपयोगी बाते बताई गई जिनमे चित्त को शांत रखने के लिए एवं जीवन मे सफलता पाने के लिए सूत्र "जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करे" को हमेशा मन मे रखकर व्यवहार करना चाहिए । राजनाथ पाटीदार द्वारा भी अपने अनुभव बताते हुए कहा कि सूत्र"किसी की गलतियों में कमी न निकालने की प्रवर्ति मनुष्य के जीवन मे खुशियां भर देती हैं। शिक्षक अरुण महेंद्र द्वारा चेहरे पर हमेशा मुस्कान रखने पर जोर दिया एवं इस सम्बन्ध में कई रोचक कथाये भी सुनाई।वही हेपिनेश कार्यशाला के शिक्षक नीलेश मोरे द्वारा जीवन मे असफलता ,असहाय,निर्बल होने पर भी हार नही मानने एवं फिर से उठ खड़े होने के सम्बंध में बाज की कथा सुनाते हुए कहा कि 12 वर्ष की उम्र में बाज के नाखून टेढ़े हो जाते हैं एवं चोंच भी अंदर की ओर घूम जाती हैं तथा पंख भी भारी हो जाने से वह न तो ठीक से उड़ान भर सकता हैं न नाखुनो से शिकार कर पाता हैं और चोंच टेढ़ी होने से शिकार का भोजन भी नही कर पाता हैं ऐसे में पक्षियों का राजा कहे जाने वाले पक्षी के सामने बस तीन ही परिस्थिति हैं की या तो वह किसी के द्वारा मारे गए शिकार पर आश्रित हो जाये या भूखा रहे अथवा आत्महत्या कर लेवे मगर वह इन तीनो रास्तो को नही अपनाता औऱ चला जाता है ऊँचे पहाड़ो पर औऱ अपने पंख नोच नोंच कर तोड़ देता है नाखून औऱ चोंच को पत्थरो पर घिस घिस कर तोड़ देता हैं फिर कुछ दिन के बाद नये पंख आते हैं नई चोंच एवं नए नाखून आते हैं फिर निकल पड़ता हैं अपनी मंजिल अपने शिकार की ओर वैसे ही मनुष्य को व्यापार व्यवसाय में कभी घाटा भी हो जाये या जीवन मे विपरीत परिस्थितियां भी आ जाये तो निराश होकर कोई गलत कदम न उठाते हुए विपरीत समय को निकल जाने दे और पुनः उठ खड़े होना चाहिए।इस तरह उन्होंने जीवन मे हमेशा अपने चेहरे पर मुस्कान होने को तरजीह देने का संदेश दिया वही मानसिक शांति,स्वस्थ शरीर ,भरपूर स्फूर्ति एवं उत्साह सकारात्मक सोच,तनाव,अवसाद से मुक्ति,एकाग्रता,आत्मविश्वास क्रोध पर नियंत्रण आदि विषयों पर भी काफी महत्वपूर्ण जीवनुपयोगी बाते बताई गई।
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