भगोरिया पर्व के अंतिम दिन बडे ही हर्षोल्लास व उमंग के साथ मनाया गया
भगोरिया पर्व पर ढोल मादल का आनंद लेते हुए युवा नेता विश्वास पांडे
तिरला (बगदीराम चौहान) - धार जिले के तिरला के पास गंगानगर मेें आदिवासी लोक संस्कृति व सभ्यता का सबसे बड़ा भगोरिया पर्व पर आसपास के आदिवासी बाहुल्य अंचल से आदिवासी समाज जन मादल की थाप व बांसुरी की मधुर धुन पर युवा व आदिवासी जन व आम जनता जमकर थिरके। भगोरिया पर्व का आनंद उठाया। इस अवसर पर युवा नेता विश्वास जी पांडे भी मादल दल के साथ भगोरिया पर्व का आनंद लेते हुए।
*आदिवासी लोक संस्कृति के प्रमुख पर्व भगोरिया उत्सव में आदिवासी लोक संस्कृति के रंग चरम पर नजर आते है, भगोरिया की तारीख घोषित होने के साथ ही आदिवासी इलाकों में भगोरिया हाट को लेकर तैयारियां शुरू हो जाती हैं। जिसमें आदिवासी संस्कृति और आधुनिक जीवन शैली का अलबेला संगम देखने को मिलता हैं।*
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में भगोरिय पर्व की पूर्ण तैयारी *ढोल, (मादल) बांसुरी* की मिश्री सी मिठास कानों में घोल देती है और उमंगों में एक नई ऊर्जा भरती है।
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