शिवाजी का चरित्र केवल ग्रंथों में न रहे उसे जीवन मे उतारना भी आवश्यक | Shivaji ka charitr keval grantho main na rhe use jivan main utarna

शिवाजी का चरित्र केवल ग्रंथों में न रहे उसे जीवन मे उतारना भी आवश्यक

सुंदरनगर में भाजपा द्वारा आयोजित शौर्य गाथा में महामंडलेश्वर जनार्दन हरी जी महाराज ने कहा

शिवाजी का चरित्र केवल ग्रंथों में न रहे उसे जीवन मे उतारना भी आवश्यक

बुरहानपुर (अमर दिवाने) - शिवाजी का चरित्र केवल ग्रंथों में न रहे, उसे हमें अपने जीवन में उतारना भी आवश्यक है। बैठकर शिवाजी की शौर्य गाथा सुनाना सम्भव नहीं इसलिए खड़े रहकर व्याख्यान दे रहा हूं। शिवाजी का पूरा जीवनचरित्र प्रेरणादायक है। टीवी सीरियल की कहानियों से समाज को नुकसान है।

यह बात सुंदरनगर में भाजपा द्वारा आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित शौर्य गाथा में मुख्य वक्ता संत सतपंथरत्न महामंडलेश्वर जनार्दन हरीजी महाराज ने कही। शाम पांच से 7 बजे तक स्थानीय पांच पांडव मंदिर सुंदर नगर में आयोजित शौर्य गाथा में उन्होंने कहा कि जीजामाता शिवाजी को लोरी की जगह राष्ट्र कथा सुनाती थी। वीर पुरूषों की शौर्य गाथा सुनाती थी। इसलिए शिवाजी वीर बने। नारी सम्मान उनके रग रग में था। अपने सामने पेश की गई सूबेदार की बहू को अपनी माता कहकर सम्मान दिया।

शिवाजी का चरित्र केवल ग्रंथों में न रहे उसे जीवन मे उतारना भी आवश्यक

आजकल देश मे टुकड़े गैंग प्रचलित है। इनको ठीक करने के लिए शिवाजी बनना आवश्यक है। साधु संतों को समाज में निर्णायक भूमिका में आना आवश्यक हो गया है। उत्तर प्रदेश इसका अच्छा उदाहरण है। कुछ राजनीतिक दल टुकड़े गैंग के समर्थक हैं। राष्ट्रवाद की विचारधारा का प्रचार आवश्यक हो गया है। ऐसे कार्यक्रम समय समय पर होना जरूरी है। शिवाजी देश की सभ्यता, संस्कृति और वीरता के प्रतीक हैं। समय और युद्ध का मैनेजमेंट शिवाजी से सीखना चाहिए।

शिवाजी यदि छः वर्ष और जीवित रहते तो अंग्रेजो का शासन न होता। इस दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री अर्चना चिटनीस ने भी संबोधित किया। भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज लधवे ने कहा कि शिवाजी हमारे मार्गदर्शक हैं। बुरहानपुर में महाराजजी के श्रीमुख से शिवाजी की शौर्य गाथा सुनना सौभाग्य का विषय रहा। इस स्थान पर गाथा सुनने का विशेष महत्व, क्योंकि एक तरफ पांच पांडव मंदिर और दूसरी तरफ अटल जी की समाधि स्थित है। भाजपा द्वारा महापुरुषों की जयंती पर ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे। संचालन मनोज माने ने किया। आभार प्रदर्शन कविता मोरे ने किया।

Post a Comment

0 Comments