मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना के अधीन ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न | MP uchch shiksha gunvatta sudhar pariyojna ke adhin online karyashala ka ayojan sammpan

मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना के अधीन ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न

मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना के अधीन ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न

इंदौर (राहुल सुखानी) - शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय, इन्दौर मध्य प्रदेश द्वारा कानूनी अनुसंधान, शिक्षण विधियों और तकनीकों पर  ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय ''विधिक अनुसंधान शिक्षण पद्धति एवं तकनीक''  का विषय चयनित किया गया था। कार्यशाला दिनांक 4 फरवरी 2021 को प्रात: 11:00 आरंभ होकर दोपहर 12:30 बजे संपन्न हुआ। ऑनलाइन कार्यशाला के प्रारंभ में डॉ. इनामुर्रहमान (प्राचार्य, शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय इंदौर) द्वारा अपने की-नोट सम्बोधन में कार्यशाला के प्रयोजन और उददेश्यों, साथ ही साथ भारत में शोध प्रस्ताव व फंडिग एजेन्सी की समस्या पर प्रकाश डाला। अनुसंधान के महत्व को बताते हुए विस्तृत जानकारी प्रदान की गई जिसमें विधि के क्षेत्र में कार्यरत प्राध्यापकगण, अधिवक्तागणगण एवं विधि के विद्यार्थियों को अनुसंधान करने के लिये प्रोत्साहित किया।

मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना के अधीन ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न

प्राचार्य द्वारा कार्यशाला आयोजन करने का उद्देश्य अवगत कराते हुए कहा गया कि- भारत के लिये उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना का विकास एवं उद्देश्य विशेष रूप से चयनित उच्च शिक्षण संस्थानों में वंचित एवं पिछडे़ वर्ग के समूह के छात्र के गुणवत्ता में सुधार करना और मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता को उच्च स्तर पर लाना है। उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना के तीन घटक है पहला घटक उच्च शिक्षा गुणवत्ता को समर्थन देता है।  इस घटक के तहत प्रदान किए गए अनुदान भी परियोजना के तहत सिस्टम सुधारों को सुदृढ़ करेंगे, जैसे (1) स्वायत्तता और जवाबदेही में वृद्धि हुई है, और उच्च शिक्षा विभाग, या डीएचई और सरकारी कॉलेजों के बीच संबंधों को फिर से परिभाषित करने में मदद करेगा और, (2) राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद, या बेंचमार्क गुणवत्ता के लिए राष्ट्रीय सहायता और स्वीकृति संघ मान्यता, और (3) राष्ट्रीय और राज्य सरकारों से गुणवत्ता में सुधार के लिए अतिरिक्त संसाधन की तलाश के लिए एक आधार।  

मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना के अधीन ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न

दूसरा घटक राज्य स्तरीय पहल है। यह घटक राज्य द्वारा किए जाने वाले रणनीतिक हस्तक्षेपों का समर्थन करता है (ए) वंचित और मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति के माध्यम से वित्तीय सहायता की प्रणाली में सुधार, (बी) नए और मौजूदा संकाय सदस्यों की योग्यता और कौशल उन्नयन, (सी) एक राज्य संस्थान की स्थापना  महाप्रबंधक प्रशिक्षण और अनुसंधान, और (घ) रणनीतिक योजना के लिए तकनीकी सहायता और सभी सरकारी महामहिमों को राष्ट्रीय सहायता और स्वीकृति संघ मान्यता प्राप्त करना चाहते हैं।  अंत में, तीसरा घटक है इम्प्रूविंग सिस्टम मैनेजमेंट। इस घटक का मुख्य उद्देश्य डीएचई, राज्य उच्च शिक्षा परिषद, या एसएचईसी, परियोजना निदेशालय, या पीडी और उच्च शैक्षणिक संस्थान को उनकी कार्यान्वयन क्षमता और क्षेत्र प्रशासन और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना है।


प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार पगारिया शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय इंदौर द्वारा ऑनलाइन कार्यशाला में उपस्थित मुख्य अतिथि माननीय डॉ सुरेश जी सिलावट (अतिरिक्त निदेशक, उच्च शिक्षा इंदौर विभाजन) एवं  मुख्य वक्ता के रूप में  डॉ आनंद पवार (लॉ प्रोफेसर,जी .एन.एल.यू.पटियाला) का स्वागत करते हुए अतिथि परिचय का वाचन किया गया।


ऑनलाइन कार्यशाला में उपस्थित मुख्य वक्ता श्रीमान डॉ. आनंद पवार द्वारा अपने उद्बोधन में विषय के संबंध में जानकारी देते हुए कहां कि- अनुसंधान प्रस्ताव स्पष्ट रूप से उल्लिखित उद्देश्यों, अपेक्षित चुनौतियों, अध्ययन निष्पादन योजना, धन, उपकरण या संसाधनों की आवश्यकताओं के साथ आपके प्रस्तावित शोध अध्ययन का एक संक्षिप्त दस्तावेज है और इसे मान्य वैज्ञानिक उद्धरण या पूर्व-प्रायोगिक कार्य या अध्ययन द्वारा समर्थित होना चाहिए। शोध प्रस्ताव एक दस्तावेज है जो इस संभावना को समझाने के इरादे से बनाया गया है कि उम्मीदवार द्वारा प्रस्तावित अनुसंधान परियोजना सार्थक है जो निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्पष्ट शोध योजना की रूपरेखा तैयार करके परियोजना को सफलतापूर्वक निष्पादित करने की क्षमता पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए तथा अनावश्यक जानकारी का समावेश जो प्रस्तावित अनुसंधान के लिए प्रासंगिक नहीं है, वह भी अराजकता का कारण बन जाता है जो अंतत: प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है। एक शोध प्रस्ताव में विवरण विषय के लिए अत्यंत प्रासंगिक होना चाहिए। पिछले अध्ययनों के अनुसार यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि शोध प्रस्तावों को गुणवत्तायुक्त होना चाहिये । 


 अनुसंधान प्रस्ताव और प्रारूप शोध की एक पद्धति है जो इस संभावना को समझने के लिए है कि आपके पास लक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक संगठित अनुसंधान योजना के साथ एक सार्थक अनुसंधान परियोजना और क्षमता है। अधिकांश अनुसंधान प्रस्तावों में पिछले अध्ययनों के अनुसार एक शोध प्रस्ताव में आवश्यक अनुभागों पर स्किप करके आवश्यक जानकारी का अभाव होता है और यह उनके प्रस्ताव अस्वीकृति का कारण बनता है। यह लेख एक अच्छी तरह से संरचित अनुसंधान प्रस्ताव लिखने में अंतरदृष्टि प्रदान करता है जिसमें सभी आवश्यक अनुभाग शामिल हैं। यह लेख उन प्रमुख तत्वों पर प्रकाश डालता है जिन्हें एक शोध प्रस्ताव के दस्तावेज में शामिल किया जाना चाहिए। ये खंड हैं शीर्षक, सार, परिचय, उद्देश्यों का विवरण, साहित्य का विश्लेषण, शोध पद्धति, शोध योजना, बजट अनुमान, शोध दल विशेष, धन स्रोत, सहकर्मी स्वीकार्यता, और संदर्भ एक शोध प्रस्ताव के अनुभाग अनुसंधान प्रस्ताव एक छोटे और बिंदु (आत्म-व्याख्यात्मक) शीर्षक से शुरू होता है। जबकि प्रस्ताव भाग को गहराई से लेकिन स्पष्ट रूप से सहायक साहित्य समीक्षा को प्रदर्शित करना चाहिए जो प्रस्तावित अध्ययन के अध्ययन की समस्याओं या चुनौतियों, उद्देश्यों और महत्व को उजागर करता है। अनुसंधान प्रस्ताव में प्रस्तावित अनुसंधान परियोजना के सभी महत्वपूर्ण तत्वों को शामिल करने और प्रस्तावित परियोजना की योग्यता और व्यवहार्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संभावना को सक्षम करने के लिए पर्याप्त जानकारी शामिल है और लेखक को गतिशील रुझानों के बारे में पता होना चाहिए जो प्रस्ताव लेखन को प्रभावित कर सकता है। प्रस्ताव में सबसे अद्यतन वैज्ञानिक शब्द होने चाहिये। अनुसंधान परियोजना के अनुसंधान डिजाइन के कारक पर विचार करने के लिए यह भी आवश्यक है कि क्या यह वर्णनात्मक अनुसंधान या व्याख्यात्मक अनुसंधान अध्ययन होगा और फिर तदनुसार शोध प्रस्ताव लिखें। मुख्य वक्ता द्वारा अपने उद्बोधन में कार्यशाला के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। 


  ऑनलाइन कार्यशाला कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक डॉ. सुरेश सिलावट (अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा विभाग, संभाग इन्दौर) संरक्षक - डॉ. इनामुर्रहमान (प्राचार्य शा. नवीन विधि महाविद्यालय, इन्दौर) निदेशक- डॉ. निर्मल कुमार पगारिया, संयोजक- प्रो. नरेन्द्र देव एवं सह संयोजक - डॉ. मिर्जा मोजिज, प्रो. पवन कुमार भदोरिया, प्रो. विपिन कुमार मिश्रा, प्रो. फिरोज अहमद मीर ,प्रो. सुहैल अहमद वाणी एवं आयोजन समिति के सदस्य डॉ. सुनीता असाटी, प्रो. जतिन वर्मा, प्रो. राहुल सुखानी एवं तकनीकी टीम में श्री राजेश कुमार वर्मा और श्री शंभू मेहता द्वारा सफल आयोजन में अपनी सफल आयोजन में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। कार्यक्रम के अंतर में आभार डॉ मिर्जा मोजिज बेग द्वारा व्यक्त किया गया।

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