भगवान श्री अजितनाथ प्रभु के 18 अभिषेक कर जन्म कल्याणक दिवस मनाया | Bhagwan shri ajitnath prabhu ke 18 abhishek ka janm kalyanak divas manaya
भगवान श्री अजितनाथ प्रभु के 18 अभिषेक कर जन्म कल्याणक दिवस मनाया
टांडा धार (यश राठौड़) - राग द्वेष को त्याग कर अरिहंत पद को प्राप्त करने वाले तीर्थंकर भगवान श्री अजितनाथ प्रभु का जन्म कल्याणक दिवस पर शनिवार को भगवान के 18 अभिषेक कर व अन्य कार्यक्रम आयोजित कर धूमधाम से उत्सव मनाया गया।
जैन धर्म के 24 तीर्थंकरो में दूसरे तिर्थंकर व टांडा जैन मंदिर के मूलनायक भगवान श्री अजितनाथ प्रभु का जन्म कल्याणक दिवस माघ सुदी अष्टमी शनिवार के अवसर पर टांडा जैन समाज द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए । टांडा जैन समाज के प्रमुख व कोषाध्यक्ष पारस हरण ने जानकारी देते हुए बताया कि टांडा के 125 वर्षीय पुराने तीर्थ स्वरुप जैन मंदिर में विराजित मूलनायक भगवान श्री अजितनाथ प्रभु का जन्म कल्याणक दिवस पर शनिवार को प्रातः प्रभातफेरी निकाली गई। ततपश्चात केशर पूजा संपन्न हुई। प्रातः9.30 बजे भगवान के जन्म कल्याणक की भव्य शोभायात्रा जैन मंदिर से प्रारम्भ होकर नगर के प्रमुख मार्ग से होती हुई जैन मंदिर आराधना भवन पहुँची। शोभायात्रा के दौरान सुंदर सुसज्जित रथ में विराजित भगवान श्री अजितनाथ के चित्र की घर घर अक्षत गहुली की गई । युवा एवं युवतियां जयकारो के साथ प्रभु की भक्ति नाचते , गरबा करते चल रहे थे। आराधना भवन में आयोजित धर्म सभा के प्रारम्भ में पारस हरण ने सामूहिक चैत्ययवन्दन करवाया। समाज के वरिष्ठ व ट्रस्टी तेजमल नखेत्रा ने स्वागत उदबोधन दिया। ततपश्चात 18 अभिषेक,ध्वजा आदि के बोली के कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमे प्रथम अभिषेक का शांतिलाल मोतीलाल नखेत्रा परिवार व 18वे अभिषेक का तरुण परिषद ने चड़वा चढावा लिया। माघ सूदी तेरस को जिन मंदिर शिखर पर चढाई जाने वाली ध्वजा का चढावा अशोक कुमार रतनलाल श्रीश्रीमाल परिवार ने लिया। दोपहर 12. 39 बजे से भगवान के 18 अभिषेक का कार्य विधिकारक हँसमुख भाई मोहनखेड़ा वाले ने संगीत के साथ संपन्न कराया।जिसमे लाभार्थी परिवार व समाजजनों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया रात्रि में आरती व भक्ति का आयोजन हुआ। इस अवसर पर सुबह का स्वामीवत्सल्य शैतानमल हीरालाल चौहान परिवार एवं शाम का स्वामीवत्सल्य श्रीसंघ द्वारा रखा गया है। जन्म कल्याणक के एक दिन पूर्व संघ द्वारा जैन समाज मे घर घर मेहंदी वितरण की गई व रात्रि को चोविसी का आयोजन रखा गया था।
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