ट्रांसपोर्ट नगर विक्रम नगर स्टेशन के समीप बनाया जायेगा | Transport nagar vikram nagar station ke samip banaya jaega

ट्रांसपोर्ट नगर विक्रम नगर स्टेशन के समीप बनाया जायेगा

उज्जैन शहर के विकास से सम्बन्धित विस्तार से चर्चा हुई

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव की अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न

ट्रांसपोर्ट नगर विक्रम नगर स्टेशन के समीप बनाया जायेगा

उज्जैन (रोशन पंकज) - उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव की अध्यक्षता में उज्जैन विकास प्राधिकरण के सभाकक्ष में उज्जैन शहर के विकास से सम्बन्धित विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री पारस जैन, संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा, यूडीए सीईओ श्री एसएस रावत, कार्यपालन यंत्रीद्वय श्री केसी पाटीदार व श्री घनश्याम शुक्ला आदि उपस्थित थे। बैठक में सबकी सहमति से ट्रांसपोर्ट नगर विक्रम नगर रेलवे स्टेशन के समीप उज्जैन विकास प्राधिकरण के द्वारा बनाया जायेगा। उज्जैन शहर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल स्पर्धा हेतु मैदान विकसित किये जायेंगे। खेल मैदान के लिये जिस तरह बैंगलोर में अकेडमी है, उसी तरह उज्जैन में निर्मित करने के निर्देश दिये।

ट्रांसपोर्ट नगर विक्रम नगर स्टेशन के समीप बनाया जायेगा

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री पारस जैन ने विकास प्राधिकरण के सीईओ को निर्देश दिये कि उज्जैन शहर में प्राधिकरण द्वारा जो निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं, उनका लोकार्पण करवाने का समय निर्धारित किया जाये, ताकि निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया जा सके। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि उज्जैन शहर को साइंस सिटी बनाने का पूरजोर प्रयास किया जा रहा है, ताकि पर्यटन के साथ-साथ शोधार्थियों को शोध करने का भरपूर अवसर मिलेगा। डोंगला को धीरे-धीरे और अधिक बड़े पैमाने पर विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इसरो के मुख्य अधिकारी को आमंत्रित करने का प्रयास भी किया जायेगा। साइंस सिटी बनाने के लिये उज्जैन शहर की यह सबसे बड़ी उपलब्धी रहेगी। मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि श्री महाकालेश्वर मन्दिर में भगवान महाकाल की भस्म आरती में जन्म से मृत्यु तक का दो घंटे में सम्पूर्ण जीवन का सारांश है, इसलिये कम समय की फिल्म का निर्माण कर दर्शनार्थियों के लिये प्रदर्शित की जाये, ताकि भस्म आरती का उद्देश्य आगन्तुकों को मालूम हो सके। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना के अन्तर्गत पुरातत्व संग्रहालय को विकसित कर वाकणकरजी की मूर्ति स्थापित करवाई जाये। इसके अलावा सर्प उद्यान को भी विकसित करवाया जाये। स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत ही मल्टीपार्किंग बनाने के भी निर्देश यूडीए के अधिकारी को दिये। सांसद श्री अनिल फिरोजिया एवं विधायक श्री पारस जैन ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिये। सांसद श्री फिरोजिया ने कहा कि देवास रोड स्थित तरणताल को बेहतर बनाया जाये। उन्होंने कहा कि शिर्डी या अन्य स्थानों की तरह जिला प्रशासन द्वारा कवेलु कारखाने की भूमि को अधिग्रहण किया है। उस भूमि पर पर्यटकों के लिये बड़ी धर्मशाला बनाई जाये, ताकि आने वाले समय में बढ़ने वाले पर्यटकों को ठहरने में आसानी हो सकेगी। विधायक श्री पारस जैन ने कहा कि तरणताल के निर्माण के साथ-साथ उसका रखरखाव ठीक हो और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाये। श्री जैन ने कहा कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का शीतल रेस्ट हाऊस को और बेहतर विकसित किया जाये, ताकि वहां पर भी आगन्तुकों को ठहराया जा सके। उन्होंने कहा कि श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित गौशाला के लिये समाजसेवी संस्था के सदस्यों की एक समिति बनाई जाये। बैठक में जानकारी दी गई कि मन्दिर के महन्त ने प्रस्ताव दिया है कि गौशाला के रखरखाव हेतु उन्हें सौंपी जाये। इस पर सबने सहमति प्रकट करते हुए कहा कि महन्तजी का प्रस्ताव उचित है।

संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा ने निर्देश दिये हैं कि सम्माननीय जनप्रतिनिधियों के सुझावों एवं निर्देशों का पालन किया जाये, ताकि उज्जैन शहर को सुन्दर और अच्छे ढंग से विकसित किया जा सके। संभागायुक्त ने कहा कि डोंगला से बच्चों, छात्रों को जोड़ा जाये। इस हेतु बस चलाई जाना चाहिये, ताकि डोंगला को पर्यटन से जोड़ा जा सके। बैठक में उज्जैन विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एसएस रावत ने सर्वप्रथम उज्जैन शहर में चल रहे विकास कार्यों एवं किये गये निर्माण कार्यों के बारे में पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मास्टर प्लान के जरिये ही शहर का विकास प्राधिकरण के द्वारा निर्मित किया जा रहा है। यूडीए सीईओ श्री रावत ने बैठक में अवगत कराया कि मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में संशोधन हुआ है। संशोधन के मुताबिक अधिनियम के अन्तर्गत योजना अधिसूचित करने के प्रावधानों को विस्तार दिया गया है। अधिनियम में मुख्य रूप से योजना का लेआऊट लैंडपुल के तहत तैयार किया जाकर भूमिस्वामी को उसकी भूमि का 50 प्रतिशत की सीमा तक क्षेत्रफल विकसित भूखण्ड के रूप में दिया जाना निर्धारित किया गया है। मूल अधिनियम में खुली भूमि के लिये 10 प्रतिशत क्षेत्रफल का प्रावधान था, जिसे संशोधन अधिनियम में 5 प्रतिशत तक सीमित किया गया है।

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