ब्रह्मा बाबा का अव्यक्त स्मृति दिवस मनाया
जावरा (यूसुफ अली बोहरा) - ब्रह्मा बाबा ने हम सभी ब्रह्मा वत्सो को निर्विकारी,निरहंकारी,निराकारी याने विषय विकारों से दूर रहने, देह अभिमान व देह के अंहकार से मुक्त रहकर आत्मिक स्वरूप में स्थित रहने का संदेश दिया हैं, जिससे हम सबके जीवन मे दैवीय गुणों का संचार होता हैं, उक्त उद्गार स्थानीय सेवा केंद्र की प्रशासिका ब्रह्माकुमारी सावित्री दीदी ने ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त स्मृति दिवस पर व्यक्त किये, ब्रह्मा बाबा के जीवन के बारे में बताते हुए दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा का जन्म 15 दिसम्बर 1876 को सिंध हैदराबाद (प्रांत वर्तमान में पाकिस्तान में है) में हुआ था ,जिनका लौकिक नाम लेखराज कृपलानी रखा गया था,जन्म से ही धार्मिक भावना से ओतप्रोत और प्रभावी व्यक्तित्व होने से सब लोग उन्हें दादा लेखराज नाम से आदर से पुकारा करते थे,दादा हीरे जवाहरात का व्यापार करते थे , जिससे समाज के उच्च व प्रतिष्ठित व्यक्तियोँ में उनका बहोत सम्मान था। दादा की 60 वर्ष की आयु में उन्हें परमात्म शक्ति का साक्षात्कार हुआ जिसके बाद उन्होंने वर्ष 1937 में ॐ मंडली की स्थापना की तथा अज्ञानता के तम को दूर करने के लिए कार्य किया । वर्ष 1947 में भारत विभाजन के पश्चात वर्ष 1950 में कराची से संस्था को स्थानांतरित कर भारत के राजस्थान राज्य के माउंट आबू में अरावली पर्वत की सुंदर श्रृंखलाओं में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसे मधुबन भी कहा जाता हैं। इस संस्था का लक्ष्य जीवन की दौड़ धूप से थक चुके तथा सुख शांति की चाह में भटक रहे लोगो को जीवन कौशल की शिक्षा देना तथा दैवीय गुणों का विकास करना है, दिनांक 18 जनवरी 1969 को ब्रह्म बाबा अव्यक्त हुए तथा परमात्मा की गोद मे समा गए । बाबा ने जीवन भर स्वयं निमित्त बनकर कार्य किया तथा मातृ शक्ति को आगे कर ईश्वरीय सेवा को आगे बढ़ाया ।
इस अवसर पर सुश्री रश्मित कौर ने सुंदर गीत प्रस्तूत किया,कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी सावित्री दीदी ने किया।
इस अवसर पर स्थानीय सेवा केंद्र के भाई बहिन बड़ी संख्या में उपस्थित थे जिन्होंने अव्यक्त वाणी को सुना तथा योग के माध्यम से बाबा को याद किया ।
Tags
ratlam