किसानों से 10वें दौर की वार्ता आज
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फ़ाइल फ़ोटो |
नई दिल्ली (ब्यूरो रिपोर्ट) - तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। गतिरोध खत्म करने के लिए किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बुधवार को 10वें दौर की वार्ता होगी। उम्मीद है कि इसमें दोनों ही पक्ष पूरी तैयारी के साथ हिस्सा लेंगे। साथ ही वार्ता से पहले दोनों ही पक्षों द्वारा विभिन्न मंचों से सख्त बयान भी जारी किए गए हैं, ऐसे में बैठक के दौरान गर्मागर्मी का माहौल रह सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने समाधान निकालने के लिए जिस कमेटी का गठन किया है, उसकी सदस्यों की बैठक मंगलवार को हो गई।
इसमें किसान संगठन नए कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं किसान संगठनों को सलाह देते हुए एक बार कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसी और विकल्प को लेकर बैठक में आने को कहा है। इस पर अब संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इधर सरकार भी बातचीत के साथ आंदोलन की घोषणाओं पर सवाल उठा सकती है।
ट्रैक्टर रैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख भी साफ
गौरतलब है कि किसान संगठन 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली करना चाहते हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए मंजूरी नहीं दे रही हैं। 10वें दौर की वार्ता भी दरअसल मंगलवार को ही होना थी, लेकिन दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच चर्चा के कारण इसे एक दिन आगे बढ़ा दिया गया था।
इधर किसानों की ट्रैक्टर रैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख साफ कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देने का दायित्व दिल्ली पुलिस के पास है। किसान संगठनों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने की पूरी तैयारी कर ली है। वहीं अगली बैठक में सरकार की ओर से ठोस प्रस्ताव रखने के साथ किसान संगठनों से अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा जाएगा, ताकि वार्ता को सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ाया जा सके।
सरकार ने भी दे दिया सख्त संदेश
कृषि मंत्रालय में अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक में इस मामले में आए प्रस्तावों पर फिर विचार किया गया। बुधवार की वार्ता में किसान नेताओं से कानून रद्द करने के अलावा किसी और प्रस्ताव देने को कहा जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को ही बयान देकर केंद्र सरकार का रुख साफ कर दिया है।
सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को पूरी तरह से खारिज कर चुकी है। कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि किसानों से सीधे जुड़े मसले को सरकार ने पहले ही मान लेने की हामी भर ली है, जिसमें बिजली बिल भुगतान बिल और पराली अध्यादेश प्रमुख है। गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर बीते 55 दिनों से राजधानी दिल्ली के आसपास डेरा डाल रखा है और तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।