चार्तुमास मे प्रवेश से ज्यादा विहार का महत्व है - श्री कोचट्टा | Chaturmas main pravesh se jyada vihar ka mahatv hai

चार्तुमास मे प्रवेश से ज्यादा विहार का महत्व है - श्री कोचट्टा

चार्तुमास मे प्रवेश से ज्यादा विहार का महत्व है - श्री कोचट्टा

जावरा (यूसुफ अली बोहरा) - श्री वर्थमान स्थानकवासी संध मे चार्तुमास हैतु बिराजीत श्रमणसंध के उपप्रर्वतक नवकार मंत्र अराधक धोर तपस्वी मानवता के प्रणेता की उपाधि से अलंकृत श्री अरूणमुनिजी व सेवाभावी श्री सुरेश मुनिजी मा सा.का आज पाँच माह की एतिहासिक धर्म साधना अराधना के बाद आयोजीत विदाई समारोह को सम्बोधित करते हुए श्रीसंथ के वरिष्ठ श्रावक एवं अ. भा. जैन दिवाकर संगठन समिति के परामर्शदाता सुजानमल कोचट्टा ने कहा कि चार्तुमास हैतु संतो के प्रवेश समारोह के कार्यक्रम से भी अधिक महत्वपूर्ण विदाई समारोह का आयोजन होता है और आज  प्रवेश से ज्यादा बडी संख्या मे उपस्थित श्रावक श्राविकाओं ने यह सिद्ध कर दिया की चार्तुमास एतिहासिक रहा। दोनो संतो की सरलता सहजता धर्मनिष्ठता मधुर वाणी तथा लगातार धर्मज्ञान की प्रभावना से प्रभावित जनमानस आज उनको विदाई देने के लिये उमड पडा श्री कोचट्टा ने कहा की कोरोना काल के बाद भी संध पदाधिकारी अध्यक्ष इन्दरमल टुकडीया महामंत्री कनक चौरडिया कोषाध्यक्ष महावीर छाजेड उपाध्यक्ष ओमप्रकाश जी श्रमाल सुरेन्द्र मेहता युवाध्यक्षक मनोज डांगी के अथक प्रयासों से चार्तुमास सफल रहा जिसके लिये सभी साधुवाद के पात्र है  ओमप्रकाश जी हेमन्त व गगन जी श्रीमाल परिवार ने नवकारसी का लाभ लेकर विदाई समारोह को गरिमा प्रदान की।

   तपस्वी वक्ता श्री अरूणमुनि जी मा. सा. ने विदाई की अन्तिम धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुझ से जितना बनसका मेने पुरे संध को धर्म प्रभावना प्रदान की है मानवमात्र की सेवा व मुक प्राणियों की रक्षा के साथ संध एकता का भी संदेश दिया है अब आपकी जवाबदेही है कि आप इसे अपनी आत्मा मे उतारे तथा अपना जीवन सार्थक बनाये।आपने पाँच माह के चार्तुमास काल मे जाने अनजाने मे हुई गलती के लिए क्षमा याचना की श्री संध की और से भी महामंत्री कनकमल चोरडिया ने संतो से पुरे संध की और से हाथ जोडकर क्षमायाचना करते हुए चार्तुमास प्रदान करने के लिए कृतज्ञता ज्ञापित की तथा उत्तम स्वास्थ्य के लिए मंगलमय कामना की      ।कार्यक्रम के पुर्व जैसा कि सन्तो विहार जुलूस नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुँआ  सोमवारिया स्थित मांगलिक भवन पहुँचा जहाँ चार्तुमास हैतु बिराजीत दिगम्बर संन्त 1008 श्र प्रमुख सागर जी ने दोनो सन्तो की अगवानी की तथा उन्हें पाट पर बिराजीत कर  विश्वशांति हेतु श्री शान्तिनाथ भगवान की स्वर्ण मुर्ति पर  मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया  तत्पश्चात जुलूस मनमोहन पाश्र्वनाथ मन्दिर पहुँच कर धर्मसभा मे बदल गया।

 इस अवसर पर श्रीमाल परिवार ने दोनों सन्तो का शाल ओढाकर बहुमान किया श्रीमाल परिवार की बहुँओ ने विदाई गीत प्रस्तुत किया वही दिवाकर महिला मण्ल ने भी स्तवन प्रस्तुत किया ।बच्चों ने भी मनमोहक प्रस्तुति दी कार्यक्रम का शेरों शायरी के साथ सुन्दर संचालन अमित चत्तर             व महावीर छाजेड़ ने किया वत् आभार इन्दरमल टुकडीया ने माना।

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