श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में षाष्वत नवपद ओलीजी आराधना, ज्ञान ही मोक्ष का मुख्य द्वार है: मुनि रजतचन्द्रविजय | Shri mohankheda mahatirth main shashvat navpad oliji aradhna

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में षाष्वत नवपद ओलीजी आराधना, ज्ञान ही मोक्ष का मुख्य द्वार है: मुनि रजतचन्द्रविजय

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में षाष्वत नवपद ओलीजी आराधना, ज्ञान ही मोक्ष का मुख्य द्वार है: मुनि रजतचन्द्रविजय

राजगढ़ (संतोष जैन) - हम ज्ञानियों और गुणीजनों को नमन करते है उनका सम्मान करते है तभी हमारे जीवन में ज्ञान प्रवेश करता है । यदि जीवन में ज्ञान ही नहीं है तो दया के भाव का प्रवेश नहीं हो पायेगा । भोजन के साथ पाचन जरुरी है, ज्ञान के साथ चिन्तन जरुरी है और धन के साथ वितरण जरुरी है जीवन में सद् साहित्य अति आवश्यक है सम्यकज्ञान रुपी दीपक यदि हमारे जीवन में प्रज्जवलित होगा तभी यह जीव भटक ने से बच पायेगा । ज्ञान के अभाव में ही संसार के सारे झगड़े फसाद होते है । मुंह के रास्ते से जाने वाला जहर एक व्यक्ति के मौत का कारण बनता है पर कानों से जाने वाला जहर पुरे परिवार को बर्बाद कर देता है । उक्त बात वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने प्रवचन में कही और कहा कि नवकार के 68 अक्षरों का सार बहुत ही कीमती है । नवकार के प्रति श्रद्धा होगी तभी सिद्धचक्र नवपद ओलीजी आराधना करना सार्थक सिद्ध होगा । सिद्धचक्र के नवपद शाश्वत है संसार के चक्र को तोड़ने की इसमें अपार शक्ति है । आज के इस पद की आराधना ओम नमो नाणस्य मंत्र की साधना के साथ की जाती है । ज्ञानावर्णीय कर्म के उदय से व्यक्ति के जीवन में ज्ञान प्रवेश नहीं कर पाता है । ज्ञानी व ज्ञान की आशातना करने से ही ज्ञानावर्णीय कर्म उदय में आते है और ज्ञान की आराधना करने से ज्ञानावर्णीय कर्मो का क्षय हो जाता है और ज्ञान की रुकावट समाप्त हो जाती है । सम्यकज्ञान ही मोक्ष का मुख्य द्वार है । सातवें दिन मुनिश्री ने श्रीपाल ओर मयणासुन्दरी रास के दोनों चरित्रों पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला और व्याख्या की । आज आराधकों ने नवपद आराधना ओलीजी के सातवें दिन सम्यकज्ञान पद की आराधना की । इस पद का विशेष महत्व माना गया है ।

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में षाष्वत नवपद ओलीजी आराधना, ज्ञान ही मोक्ष का मुख्य द्वार है: मुनि रजतचन्द्रविजय

दोपहर में ज्ञान पद की आराधना करते हुये 45 आगम की महापूजन का भव्य आयोजन मंदिर परिसर में रखा गया । इस महापूजन में 45 ज्ञान के आगमों की पूरी भाव के साथ पूजा अर्चना की गयी । महापूजन की मुख्य पीठिका पर श्रीमती मनीषा संजयजी मुणत बोरी, श्रीमती रानी प्रफुलकुमार जी जैन थांदला एवं श्रीमती मोना दिनेश जी नाहर राणापुर ने लाभ लिया ।

श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के तत्वाधान में व दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा में श्रीपाल राजा और मयणासुन्दरी द्वारा आधारित सर्वकष्ट निवारक आत्म शांति दायक आसोज माह की शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना का आयोजन टाण्डा निवासी श्री राजेन्द्रकुमार सौभागमलजी लोढ़ा, श्रीमती मधुबेन, टीना जयसिंह लोढ़ा परिवार श्री शंखेश्वर पाश्र्व ग्रुप आॅफ कम्पनीज इन्दौर द्वारा रखा गया है । श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदत्त गाईड लाईन के अनुसार शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना चल रही है ।

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