बिना लक्ष्य के आराधना में मंजिल नहीं मिलती: मुनि रजतचन्द्रविजय | Bina lakshy ke aradhna main manjil nhi milti

बिना लक्ष्य के आराधना में मंजिल नहीं मिलती: मुनि रजतचन्द्रविजय

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में षाष्वत नवपद ओलीजी आराधना

बिना लक्ष्य के आराधना में मंजिल नहीं मिलती: मुनि रजतचन्द्रविजय

राजगढ़ (संतोष जैन) - दिशा के अभाव में व्यक्ति तथ्यहीन बाते करता है । जिस आराधना का लक्ष्य ना हो उस आराधना में आराधक को कभी भी मंजिल की प्राप्ति नहीं होती है । हमें आराधना को सरल एवं सुन्दर बनाना है । निश्चित दिशा का चयन हो, उचित स्थान तय हो व निश्चित समय पर मंत्रों का जाप आराधना में होना चाहिये साथ ही मन में एकाग्रता के भाव होगें तभी आराधना सफल होगी । साधना में तन और मन की शुद्धि अति आवश्यक है । मन में किसी प्रकार के कषाय के भाव नहीं आना चाहिये तभी सिद्धचक्र की आराधना आराधक को संसार के चक्र से मुक्ति प्रदान कर पाती हैं । बड़े-बड़े भवनों में व्यक्ति सुख शांति नहीं मिलती पर सुख शांति प्राप्त करने का मार्ग व्यक्ति को मंदिर व उपाश्रय के माध्यम से ही प्राप्त होता है । उक्त बात वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने प्रवचन में कही और कहा कि नवपद ओलीजी आराधना में आराधक आहार का नियंत्रण, विचार का नियंत्रण व व्यवहार का नियंत्रण रखता है । तभी सिद्धचक्र औलीजी आराधना आराधक को तन और मन से सुखी करती है । मुनिश्री ने कहा कि मनुष्य चार प्रकार के होते है । आत्मारम्भी, परारम्भी, उभरारम्भी, निरारम्भी और श्रावक तीन प्रकार के होते है नाम श्रावक, द्रव्य श्रावक और भाव श्रावक । चतुर्थ दिन मुनिश्री ने श्रीपाल ओर मयणासुन्दरी रास के दोनों चरित्रों पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला और व्याख्या की । आज आराधकों ने नवपद आराधना ओलीजी के चैथे दिन नमो उव्वज्झायाणं पद की आराधना की । इस पद के 25 गुण होते है इसका वर्ण हरा रंग का होता है । प्रवचन में उपाध्याय श्री जशोविजय जी म.सा., उपाध्याय श्री विनयविजयजी म.सा., उपाध्याय श्री मोहनविजयजी म.सा. आदि को वंदना की गई और इनके द्वारा अर्जित व प्रदत्त ज्ञान का गुण गान भी किया गया ।

बिना लक्ष्य के आराधना में मंजिल नहीं मिलती: मुनि रजतचन्द्रविजय

श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के तत्वाधान में व दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा में श्रीपाल राजा और मयणासुन्दरी द्वारा आधारित सर्वकष्ट निवारक आत्म शांति दायक आसोज माह की शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना का आयोजन टाण्डा निवासी श्री राजेन्द्रकुमार सौभागमलजी लोढ़ा, श्रीमती मधुबेन, टीना जयसिंह लोढ़ा परिवार श्री शंखेश्वर पाश्र्व ग्रुप आॅफ कम्पनीज इन्दौर द्वारा रखा गया है । श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदत्त गाईड लाईन के अनुसार शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना चल रही है ।


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