कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए नवीन निगरानी पद्धति विकसित करें | Corona sankramit ki pehchan ke liye naveen nigrani paddhati

कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए नवीन निगरानी पद्धति विकसित करें

लोगों को फीवर क्लीनिक की लोकेशन पता होनी चाहिए- संभागायुक्त श्री आनंद शर्मा

रतलाम में बैठक लेकर दिए निर्देश

कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए नवीन निगरानी पद्धति विकसित करें

रतलाम (यूसुफ अली बोहरा) - रतलाम जिले में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की पहचान के लिए जिला स्तर पर नवीन निगरानी पद्धति विकसित करें। शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पृथक-पृथक कार्य योजना बनाकर प्रभावी उपचार व्यवस्था बनाई जाए। आमजन को फीवर क्लीनिक की लोकेशन पता होनी चाहिए। इससे ज्यादा व्यक्ति फीवर क्लीनिक आकर उपचार लाभ ले सकेंगे। फीवर क्लीनिक का दिशा सूचक तथा सहज दृष्टिगोचर स्थान पर फीवर क्नीनिक के बोर्ड लगाए जाए यह निर्देश उज्जैन संभागायुक्त श्री आनंद शर्मा ने रतलाम कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में अधिकारियों की बैठक में दिए। इस दौरान कलेक्टर श्री गोपालचंद्र डाड, पुलिस अधीक्षक श्री गौरव तिवारी, मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित, सीईओ जिला पंचायत श्री संदीप केरकेट्टा, अपर कलेक्टर श्रीमती जमुना भिड़े,  एसडीएम श्री अभिषेक गहलोत, श्री एम.एल. आर्य, सुश्री कामिनी ठाकुर, डिप्टी कलेक्टर सुश्री शिराली जैन, डिप्टी कलेक्टर सुश्री कृतिका भीमावद, सीएमएचओ डॉ प्रभाकर ननावरे तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

जिले में कोरोना नियंत्रण की समीक्षा करते हुए संभागायुक्त ने सैंपल टेस्टिंग पर निर्देश दिए कि बीमार व्यक्ति का शीघ्र अतिशीघ्र सैंपल लेकर जितनी जल्दी हो सके नेगेटिव पॉजिटिव की जानकारी दी जाए ताकि पॉजिटिव व्यक्ति का शीघ्र एवं प्रभावी उपचार संभव हो सके। शासन की गाइड लाइन में आने वाले व्यक्तियों को होम आइसोलेट करें। जो एसिंप्टोमेटिक हो 60 वर्ष से कम आयु के हो उनको श्वसन संबंधी समस्या नहीं हो उनके पास ऑक्सीमीटर, डिस्टेंस थर्मामीटर की व्यवस्था हो, घर पर आइसोलेट होने की सुविधा हो, हर 3 घंटे में उनकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली जाए। कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर मॉनिटरिंग करें, उनके इस्तेमाल की सामग्री एवं मेडिकल वेस्ट निपटान का प्रबंधन हो।

संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि जिला अस्पताल अपनी प्रतिष्ठा को खोए नहीं। उसकी उपयोगिता एवं महत्ता बनी रहे। जिला अस्पताल में भी एसिमटेमिटक पेशेंट की भर्ती एवं उपचार व्यवस्था की जाना चाहिए। मेडिकल कॉलेज मात्र रतलाम के लिए नहीं बल्कि अन्य जिलों के लिए भी है। मेडिकल कॉलेज से मरीज का स्वास्थ्य अच्छा पाया जाने पर शीघ्र डिस्चार्ज किया जाना चाहिए। जिले के कोविड-केयर सेंटर्स पर एंबुलेंस तथा मॉनिटरिंग सिस्टम सुनिश्चित करें।

कुपोषित माताओं की पहचान करें ताकि बच्चे कुपोषित नहीं हों

संभागायुक्त श्री शर्मा ने बैठक में महिला बाल विकास विभाग के कुपोषण के विरुद्ध अभियान की समीक्षा की। निर्देश दिए कि बच्चों के कुपोषण के मूल कारणों में जाना चाहिए यदि माता कुपोषित होगी तो बच्चा भी कुपोषित होगा इसलिए कुपोषित माताओं की पहचान कर उनको पोषण उपलब्ध कराया जाए। गर्भवती महिलाओं का शत् प्रतिशत पंजीयन हो। बताया गया कि जिले में वर्तमान में 4 हजार 392 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में आते हैं। पूर्व वर्ष में 3 हजार 312 बच्चे कुपोषित थे। उसके भी पूर्व वर्ष में 3 हजार 528 बच्चे कुपोषित श्रेणी में थे। संभागायुक्त ने गर्भवती माताओं की प्रसव पूर्व जांच उपचार व्यवस्था को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। महिला बाल विकास विभाग के सभी परियोजना अधिकारियों तथा सुपरवाइजर के पास यह जानकारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि किस गांव की कितनी महिलाओं को कब प्रसव होना है। संभागायुक्त ने जारी पोषण माह के दौरान विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की। निर्देशित किया कि गर्भवती महिलाओं का शत प्रतिशत पंजीयन तथा हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का शत प्रतिशत चिन्हांकन सुनिश्चित करें।

 कुपोषित बच्चों को गोद देने के संबंध में निर्देश दिए कि जिन व्यक्तियों द्वारा बच्चों को गोद लिया जाता है उन व्यक्तियों को बच्चे के वजन के संबंध में एसएमएस द्वारा समय-समय पर जानकारी प्रेषित की जाए। उनको बताया जाए कि आपके बच्चे के वजन में इतनी वृद्धि हो गई है। इससे संबंधित व्यक्ति में उत्साह बना रहेगा। संभागायुक्त ने कलेक्टर श्री गोपालचंद्र डाड की पहल पर जिले की आंगनवाड़ियों में पोषण से भरपूर सूरजने के पौधों के रोपण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि सूरजने की पत्तियों के पाउडर का उपयोग बिस्किट अथवा आटे में मिलाकर बच्चों के कुपोषण को दूर करने में किया जा सकता है।

स्वास्थ्य तथा महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों में भिन्नता क्यों

समीक्षा के दौरान संभागायुक्त ने पाया कि स्वास्थ्य विभाग तथा महिला बाल विकास विभाग के पास उपलब्ध मैदानी आंकड़ों में अंतर है। उन्होंने कहा कि दोनों विभागों के आंकड़ों में अंतर क्यों जबकि दोनों ही विभागों की मैदानी कार्यकर्ता गांव में मौजूद रहती है। संभागायुक्त द्वारा आंकड़ों में अंतर को दूर करने तथा आंकड़ो में एकरूपता लाने के निर्देश दोनों विभागों के अधिकारियों को दिए।

संभागायुक्त ने बताया कि मृत्यु दर कम करने तथा गर्भवती माताओं के चिन्हांकन के लिए संभागीय स्तर पर सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है जिससे मॉनिटरिंग की जाएगी। रतलाम जिले से पायलट रूप में सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आरंभ किया जाएगा। इसके पश्चात पूरे संभाग में सॉफ्टवेयर का प्रयोग होगा। बैठक के अंत में संभागायुक्त द्वारा, जारी पोषण माह के तहत पोषण शपथ भी उपस्थित जनों को दिलवाई गई। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास श्रीमती विनीता लोड़ा, सहायक संचालक सुश्री अंकिता पंड्या भी उपस्थित थी।

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