जिन्दगी क्या है उसका महत्व क्या है | Zindagi kya hao uska mahatv kya hai
जिन्दगी क्या है उसका महत्व क्या है
लेखिका स्नेह दुधरेजिया चलो देखते है
सूरत (प्रवीण शाह) - जिंदगी क्या है तो हम ये कह सकते हे की जिंदगी और कुछ नही तेरी मेरी कहानी है एक चाहत होती है अपनों के साथ जिनकी वार्ना यहाँ हर कोई जानता है कि मरना अकेले ही पड़ता है हमे जिंदगी से क्या चाहिए क्या कभी सोचा हे आपने मुझे तो बस इस जिंदगी से छोटुसा सुकून चाहिए और ये सुकून मुजे दुसरो की मुस्कुरहट से मिलता है थोड़ा सा बिखर जाऊ मेंने यही ठानी हे ये जिंदगी थोडासा रुक मेंने हारकहाँ मानी हे ये लाईन जिंदगी बदल सकती है हम जी रहे हे पर कही बार हमारे पास सबकुछ होते हुए भी खाली पन सा लगता है हर वो चीज नो चाहिए वो होती है पर फिर भी कुछ कमी सी लगती है ये कमी क्या है पता है आपको हम जिंदगी जीते तो हे पर फिर भी कुछ कमी सी लगती है बस जीते जाओ यही जिंदगी हे क्या ? नही जिंदगी बहोत हसींन हे फूल की तरह जिस तरह से माला बनाने के लिए मोतियों को धागे में पिरोना पड़ता है कुछ इसी तरहां जिंदगी के हर पहेलु को यकीन के धागों में पिरोकर जिंदगी को हसीन बनाया जाता है फूल काँटों के बीच में रहता है फिर भी अपनी खुसबू नही छोड़ता खिलता तो हे पर टूट कर भी खुशिया बाटता हे हम तो इंसान हे अगर एक पल की ख़ुशी किसीको देता है तो इससे अच्छा क्या होगा पर अगर आपको लगता है कि किसीको एक पल की ख़ुशी दे के हमे क्या मिलेगा तो जवाब हे "सुकून"
बस यही तो चाहिए सुकून हां कही बार ऐसा होता है कि हम अपने सपनो से दूर होते है उनतक नही पहोच पाते पर ऐसा क्यों होता है पता है क्योंकि हम उन्हें भूल कर आगे बढ़ जाते हे कहते हे की अगर किसी चीज को सिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है कही बार हमारे साथ जो घटनाये घटित होती है उनके जिम्मेदार हम खुद होते है जाने अनजाने में
जब हर रोज सुबह के बाद रात होती है तो हम खुस हो जाते हे के चलो रात हो गयी आराम का वक्त पर ये क्यों नही चोचते जिंदगी का एक दिन खत्म हो गया आप काहोंगे ये भी क्या सोचने की बात है ये तो रोज होता ही हे पर जिस दिन आप ये सोचने लगेगो की जिंदगी का एक दिन ख़त्म हो गया उस दिन से आप के अंदर जीने की चाहत और बढ़ेगी और आप ये सोचेंगे कि में ऐसा क्या करूँ के मेरी वजह से किसीको मुस्कान दे सकू और खुद सुकून पा सकू।
जिंदगी गुबारे जैसी रंगीन हे पर पता नई कब फुट जाये ये जिंदगी का गुबारा उससे पहले थोड़ा सा जिलो ना यार... कहते हे की खुशियां बाटने से बढ़ती है और दुःख बाटने से कम होता है तो आओ बाट ते हे "खुशिया"
जैसे अँधेरे कमरे में रौशनी के लिए एक दिया ही काफी हे वैसे ही किसी को दी गयी एक ख़ुशी उनकी जिंदगी बदल सकती है तो हमे खड़ूस की तरह जीकर क्या करना हे यार...जियो जी भर के अगर आपसे कोई अपना छूट जाये या कोई सपना छूट जाये तो हारने की बजाय उन सपनो को उन खुशियो को किसी लाचार कमजोर की मदद करने में ढूंढिए किसीकी की हुई मदद आपको एक सुकून सा देती है जितनी ख़ूबसूरती से देंखोंगे ये जिंदगी उतनी ही खूबसूरत बन जायेगी में जब भी प्रकृति को देखती हूं तो ये ख्याल आता है कि ये फूल फल नदी पेड़ और कई ऐसी चीजें हे जो दूसरों को ख़ुशी देती है अरे भाई हमे कहाँ किसीको अपना बंगला गाड़ी दे देनी है बस मुस्कान ही तो देनी है क्या पता कोई डिप्रेशन में जी रहा हो और आपकी छोटी सी कोशिस से उसका जीवन सवर जाये जिंदगी सब लोग जीते हे पर कुछ लोग खास बनकर अपना नाम छोड़ जाते हे तो हम भी खास बनते है ना यार...
हर इंसान के अंदर कुछ न कुछ खुबिया होती है बस उन खूबियों को पहचान ने की देर हे खुद के अंदर एक आग सी लगाने की देर हे ऐसी भी आग नही की कोई पानी की बाल्टीया डालके ठंडा कर दे जिंदगी जीने की आग कुछ पाने की आग कुछ कर गुजरनेकी आग वो कहते हे न जूनून वो वाली आग जिंदगी की खाली सांसे चलती रहे और हम जीते रहे ये जिंदगी नही है हमे देख के कोई सांसे ले ये जिंदगी हे क्योंकि कभी कभी हमारी की गई छोटी सी मदद भी किसीकी सांसे बन सकती है ।
मानो तो बहोत हसीन हे ये जिंदगी और इसे हसीं बनाती हे हमारी सोच विज्ञानं भी ये कहता है कि जो आप सोचते है वोह आपको मिलता है तो चलो ना अच्छा सोचते है कुछ अच्छा करते हे और थोड़ा सुकून पाते है जिंदगी की एक कड़वी सच्चाई है के इंसान तबतक नही खोता जबतक वो भीड़ में होता है इंसान तब खोजाता हे जब अकेला होता है तो क्यू रहना भाई अकेला जिंदगी दी है भगवन ने तो हम उनके बदले में भगवान् को थेंक्यू तो नही कहते पर अच्छी जिंदगी जियेंगे तो थेंक्यू से कम नही होगा जिंदगी हमे ऐसी जिनि चाहिए की हमे खुद लगे की हम कैसे जी रहे है।
एक कविता मेने जिंदगी के नाम लिखी है
लिख रही हूँ कलम से कविता आज
ये कलम भी किसीकी दी हुई अमानत हे
मेरी तो जिंदगी बस मोत की दी हुयी जमानत हे
रोज उठ के देखती हूं सूरज को येतो बस उस परवरदिगार की करामात हे
खुशिया गम बाटलू जिलु जरा यहाँ
क्या पता किस पल सजने वाली सहादत हे
मेरी तो जिंदगी बस मोत की दी हुयी जमानत हे
मिलते है लोग नये नये रोज यहाँ एक कहानी का किरदार हु में वहां सुकून तो बस इतना हे मुझको की दिल नही दुखाया मेने कभी किसीका
बस हुयी हे परीक्षा हर रोज मेरी जिंदगी को देख के सोचती हूं जिंदगी क्या है ?
चाहत तो मेरी भी थी की जिलु करके बगावत
पर क्या करे
मेरी तो जिंदगी बस मोत की दी हुयी जमानत हे
Life is Goldan Period Of Joy
तो खुश रहो ना यार।
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