चंदा एकत्रित कर कीचड़ भरे मार्ग को दुरुस्त करने की मुहिम में जुटे ग्रामीण
डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - जिला मुख्यालय के करीबी ग्राम सिमरिया से तिरुपुर पहुंच मार्ग किरतपुर पहुंच मार्ग की हालत बेहद खराब है। अफसोस की बात है कि जिले के विकास की दुहाई देने वाले अधिकारियों और विभागों द्वारा जिला मुख्यालय के आसपास के गांवों की प्राथमिक आवश्यकताओं को तक पूरा नहीं करवाया जा सका है। जबकि वर्षों से ग्राम पंचायतें शासकीय राशि का मनमाना उपयोग और भ्रष्टाचार करती रही है।
विगत दिनों इसी गांव में एक गर्भवती महिला को लेने गई जननी एक्सप्रेस वाहन कीचड़ के कारंण महिला को लिए बगैर वापस आ गई थी और उस महिला का प्रसव घर में ही करवाना पड़ा था। वाहनों एवं आम नागरिकों के आने जाने में समस्या यहां वर्षों से है जिसके चलते लोग परेशान थे और पंचायत ने लोगों की समस्या का हल नहीं किया जबकि लोग इस सड़क के निर्माण के लिए गांव से लेकर जिले तक गुहार लगाते रहे है।
गर्भवती माताओं को अस्पताल से सुविधा प्रदान करवाने एवं किसी व्यक्ति का अचानक तबीयत खराब हो जाने पर 108 सेवा व अन्य सेवाएं किसी भी प्रकार से ग्राम तिरुपुर के नागरिकों को नहीं मिल पाती है,क्योंकि ग्राम पंचायत सिमरिया से तिरुपुर के लिए मार्ग पर इतना कीचड़ होता है कि गाड़ी वाले वहां जाने से मनाकर देते है।
ऐसे में वर्षों से परेशान हो रहे असमर्थ हो चुके ग्रामवासी आगे आए और ग्रामीणों से चंदा इकट्ठा करते हुए इस रोड में मुरूम डलवाने का काम जारी किया गया, ताकि लोगों का सिमरिया एवं तखतपुर मार्ग पर आसानी से हो सके व शासन से जो भी लाभ मिलता है वह लाभ सभी नागरिकों को मिले।
ग्राम सिमरिया के सचिव एवं सरपंच से बार बार मांग पर उनका कहना है की रोड बनवाने के लिए पैसा नहीं है। वर्षा ऋतु कटने के बाद देखा जाएगा अभी किसी भी हाल में रोड नहीं बनवा सकते। अब लोगों ने खुद चंदा कर मार्ग बनाने का काम शुरू किया है जबकि ग्राम पंचायत द्वारा कई लाख रुपए के अन्य कार्य गुणवत्ता विहीन कराकर शासन कि राशि का दुरुपयोग करते आये हैं।
ग्राम पंचायत के पास पर्याप्त राशि होने के बाद भी आम जन परेशान है वे खुद चंदा कर प्राथमिक जरूरत के कार्य करा रहे है। एक ओर पंचायत की करतूत उजागर हो रही है वहीं दूसरी ओर ग्राम के जागरूक युवाओं की यह प्रशंसनीय पहल है जो जिले के प्रशासनिक प्रयासों की हकीकत को भी बया करती है साथ ही ग्राम पंचायतों की करतूतों को उजागर करती है जो जनहित के कार्यों को न कराकर सिर्फ अपने लाभ के निर्माण कार्यों में रुचि रखते हैं।
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