साध्वी श्री विद्वद्गुणा श्री आराधना की पूर्णाहुति पर किया आराधको का बहुमान
झाबुआ। (अली असगर बोहरा) - संसार के अनेक मंत्रो में श्री नमस्कार महामंत्र की महत्ता अपने आप में अलग ही है। इस महामंत्र में व्यक्ति पूजा ना होते हुये गुणो की पूजा की गई है। गुनी एवं श्रेष्ठ महान आत्माओ का इसमे नमन किया गया है। जिससे स्वयं एवं संसार का कल्याण होने की कामना की गई है। उक्त विचार नौ दिवसीय नमस्कार महामंत्र की आराधना की पूर्णाहुति के अवसर पर चातूर्मास हेतु विराजित परम विदुषी साध्वी विद्वद्गुणाश्री जी ने व्यक्त किये। आपने कहा कि उक्त मंत्र कल्पवृक्ष एवं चिन्तामणी रत्न के समान तत्काल शुभ फल देता है। आराधक इस मंत्र के जाप से स्वयं की आधी व्याधी उपाधी से मुक्त होता है तथा सुख सौभाग्य समृ़िद्व को प्राप्त करता है। वास्तव में नवकार ही अपने भव को पार करता है। साध्वी श्री रश्मि प्रभाश्री मसा ने कहा कि नवकार मंत्र आदि अनादि काल से चला आ रहा है। जिसके स्मरण मात्र से हमारे मन को शांति प्राप्त होती है। आज के इस संक्रमण काल के समय नमस्कार महामंत्र की आराधना करने वाले आराधको को निश्चित रूप से कोई कष्ट या तकलिफ नही होगी। आपने कहा कि आप सबने पिछले नौ दिनो तक अपने घर पर रहकर यह तपस्या की उसके लिये आप सबको साधुवाद। इस अवसर पर आराधको की ओर से वरिष्ठ आराधक अशोक कटारिया ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुये अपने जीवन में नमस्कार महामंत्र के प्रभाव से होने वाले चमत्कारो के संबंध में बताया।
*साढे नव लाख से अधिक हुये जाप*
श्री नमस्कार महामंत्र की आराधना झाबुआ श्री संघ में पिछले 43 वर्षो से निरंतर चली आ रही है। राष्ट्रसंत पूण्यसमा्रट श्रीमद् जयतसेनसुरीश्वरजी मसा की प्रेरणा से श्री नमस्कार महामंत्र की आराधना स्व. श्री समीरमलजी वालीबाई भंडारी परिवार के द्वारा पा्ररंभ कि गई थी। भंडारी परिवार द्वारा लगातार 38 वर्षो तक उक्त आराधना का आयोजन किया जाता रहा है। पिछले 5 वर्षो से श्री संघ के द्वारा सामुहीक रूप से उक्त आराधना का आयोजन नियमित हो रहा है। उक्त जानकारी देते हुये श्री संघ के वरिष्ठ सदस्य एवं राजेन्द्र जयंत नित्यसेन विहारधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष यशवंत भंडारी ने बताया कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण होने के कारण शासन से प्राप्त निर्देशानुसार 45 आराधको ने नव दिन तक अपने घर पर ही इस महामंत्र की आराधना की। आपने बताया कि इन नव दिनो मे आराधक को प्रतिदिन 20 बंदी माला का जाप करना होता है जिससे 1960 मंत्रो का प्रतिदिन एक आराधक जाप करता है। नौ दिनो में 45 आराधको द्वारा करीब साढे नव लाख से अधिक महामंत्रो का जाप किया गया है।
जैन श्रैताम्बर श्री संघ के प्रवक्ता डाॅ प्रदीप संघवी एवं मीडिया प्रभारी रिंकु रूनवाल ने नव दिवसीय आयोजन कि जानकारी देते हुये बताया कि इन नौ दिनो तक सभी आराधको ने एकाशने का तप किया एवं साथ ही प्रतिक्रमण, देववंदन एवं आरती आदि की धार्मिक क्रिया सम्पन्न की। उक्त धर्म क्रिया श्री संघ के तपस्वी श्रावक धर्मचंद मेहता एवं विधिकारक ओ एल जैन द्वारा सम्पन्न कराई गई।
इस अवसर पर पूज्य साध्वीजी मसा के पावन निश्रा मे चातूर्मास समिति के द्वारा आराधको का अलग अलग करके बहुमान किया गया। जिसके अन्तर्गत स्व. श्री वालिबाई शमिरमलजी भंडारी के उनकी स्मृति मे उनके परिवार द्वारा चांदी के सिक्के तथा 15 अन्य साधर्मिक बंधुओ द्वारा नगद राशी की प्रभावना वितरित की। बहुमान के अवसर पर संजय मेहता, मुकेश नाकोडा, कमलेश भंडारी, प्रदीप भंडारी, हुकमीचंद छाजेड, वागमल कोठारी, शानु भंडारी, सहित आराधक श्राविकाएं उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन चातूर्मास समिति के सचिव निखिल भंडारी ने किया तथा सभी आराधको की अनुमोदना एवं आभार चातूर्मास समिति के अध्यक्ष अनिल रूनवाल ने माना।
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