पेड़ों की अवैध कटाई व वन्य जीव का आवास नष्ट करने वाले आरोपीगण का जमानत आवेदन निरस्त | Pedo ki katai va vany jiv k awas nasht karne wale aaropigan ka jamanat

पेड़ों की अवैध कटाई व वन्य जीव का आवास नष्ट करने वाले आरोपीगण का जमानत आवेदन निरस्त

पेड़ों की अवैध कटाई व वन्य जीव का आवास नष्ट करने वाले आरोपीगण का जमानत आवेदन निरस्त

ग्वालियर। माननीय न्यायालय श्रीमान अनिल कुमार नामदेव न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ग्वालियर ने अवैध पेड़ों की कटाई व  वन्यजीवों का आवास नष्ट करने वाले चारों आरोपीगण का जमानत आवेदन नष्ट कर जेल भेजने का आदेश दिया अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले  प्रभारी वन्य प्राणी अधिनियम,(अभियोजन अधिकारी )श्री अभिषेक सिरोठिया   ग्वालियर के द्वारा घटना के बारे में बताया गया कि  दिनांक 10/ 8 /2020 को  वन विभाग की कार्यवाही के दोरान प्रभारी बन चौकी मोहना  हमराह बीट गार्ड सिकटवली एवं समस्त स्टाफ बन चौकी मोहना ईश्वर  खोह मंदिर के पास आए यहां आकर देखा के ग्राम पथरोटा के आदिवासी समाज की महिला व पुरुष पूर्व दिनांक 8 एवं 9 अगस्त 2020 की भांति ही समूह में आकर कटाई करने लगे मौका स्थिति भापकर समस्त स्टाफ समय से पहले ही मौके पर पहुंच गए और उनको रोजाना की तरह ही समझाया गया एवं रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए लेकिन पूरे गांव वालों ने स्टाफ की बात को अनसुना कर दिया और जंगल काटने में जुट गए उनके द्वारा 20 से 25 व्यक्तियों के समूह बनाकर चार से पांच अलग-अलग जगह पर कटाई करने लगे खैर ,करघई, घोट, पलाश,  बिरबिटा, मकोइ , एवं जीवों का आवास भी नष्ट कर दिया ।   

आरोपीगण  दोजी पुत्र अंदई ,गोविंदा पुत्र नथुआ बन्नू पुत्र परमू, संजय पुत्र फुंदी  पल्लो आदिवासी महिला समस्त जाति आदिवासी निवासी ग्राम पथरोटा के हैं  समस्त  अपराधियों के खिलाफ बन चौकी मोहाना में अपराध क्रमांक 39/2020  अंतर्गत धारा 26,63,वन अधिनियम,9 ,51 वन्य प्राणी अधिनियम  के अंतर्गत प्रकरण पंजीवद्ध किया गया है। विवेचना दौरान चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय श्रीमान अनिल कुमार नामदेव न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ग्वालियर के समक्ष पेश किया अभियोजन अधिकारी ने  इलेक्ट्रॉनिक माध्यम ( वीडियो कॉंफ़्रेंसिंग)  से उपस्थित होकर अपराध का सामाजिक एवं वन्यजीवों पर पड़ने वाले प्रभाव के  कारण आरोपी गण की जमानत आवेदन निरस्त करने का निवेदन किया साथ ही आरोप की गंभीरता के कारण आरोपी गणों को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में   भेजे जाने का निवेदन किया   जिसे न्यायालय के द्वारा स्वीकार कर आरोपीगणों का जेल भेजने का आदेश दिया।

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